राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से संबद्ध अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने सोमवार को कहा कि भारत में सभी जनजातियां मूल रूप से हिंदू हैं लेकिन कुछ लोग इसके सदस्यों को ‘सरना’ जैसे अन्य धर्मों से जोड़कर आदिवासी समाज में विभाजन पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं.
झारखंड और उसके पड़ोसी राज्यों के विभिन्न समूह मांग कर रहे हैं कि ‘सरना’ को आदिवासियों का धर्म घोषित किया जाए, क्योंकि उनकी प्रथाएं और पूजा पद्धति हिंदुओं और देश के अन्य सभी धर्मों से अलग हैं.
इस दृष्टिकोण का समर्थन करते हुए झारखंड में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) जनगणना में आदिवासियों के लिए अलग से ‘सरना कोड’ शामिल करने की मांग कर रही है.
वनवासी कल्याण आश्रम के अखिल भारतीय प्रचार एवं मीडिया संचार प्रमुख प्रमोद पेठकर ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘सभी जनजातियां मूल रूप से हिंदू हैं। वे अतीत में हिंदू थे, वे वर्तमान में हिंदू हैं और वे भविष्य में भी हिंदू ही रहेंगे।’’
उनसे जनगणना में आदिवासियों के लिए अलग से ‘सरना कोड’ शामिल करने की मांग के बारे में पूछा गया था. जिसके जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘कुछ लोग इस तरह के वैचारिक हमले करके आदिवासी समाज में विभाजन पैदा करने में लगे हुए हैं.’’
उन्होंने कहा कि आदिवासी और हिंदू दोनों ही प्रकृति पूजक हैं. भारत प्रकृति का पूजक है.
झारखंड के कुछ हिस्सों में जनसांख्यिकी परिवर्तन के भाजपा के दावों के बारे में पूछे जाने पर पेठकर ने कहा, ‘‘यह (प्रवृत्ति) केवल झारखंड तक ही सीमित नहीं है. यह परिदृश्य पूरे देश में है. सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी वर्षों से इस तरह की प्रवृत्ति के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं.’’
संघ परिवार और उसके सहयोगी दशकों से यह तर्क देते रहे हैं कि आदिवासी समुदाय हिंदू संस्कृति और समाज का अभिन्न अंग हैं. क्योंकि वे उनकी पूजा और कई हिंदू समुदायों की पूजा के बीच समानताएं बताते हैं.
जबकि झारखंड, ओडिशा, राजस्थान और अन्य कई राज्यों में आदिवासियों की स्वतंत्र धार्मिक और सामाजिक पहचान के लिए आंदोलन कर रहे हैं.इन तीनों राज्यों में सरना धर्म की माँग के समर्थन में लंबे आंदोलन देखे गए हैं.
इन इलाक़ों में कई आदिवासी संगठन कहते हैं कि उनकी पूजा हिंदू धर्म से बिल्कुल अलग है और हिंदू के रूप में वर्गीकृत किए जाने पर भी आपत्ति जताई है.
इसके अलावा देश के कई राज्यों में आदिवासी संगठन और कार्यकर्ता यह माँग कर रहे हैं कि जनगणना के फार्म में आदिवासियों की धार्मिक पहचान के लिए अलग से कॉलम होना चाहिए.
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