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हेमंत सोरेन: आक्रोश में एक आदिवासी नेता जो बीजेपी से हिसाब चुकाने को बेताब है

पांच महीने जेल में बिताने के बाद हेमंत सोरेन एक ऐसे नेता नज़र आते हैं जो बीजेपी से हिसाब चुकाना चाहते हैं. वे आक्रोश में नज़र आ रहे हैं. वे ख़ासतौर से राज्य के आदिवासियों को बता रहे हैं कि बीजेपी ने उन्हें सिर्फ़ इसलिए जेल में डाल दिया क्योंकि वे आदिवासी हैं.

झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) को ज़मीन घोटाले से जुड़े मामले में हाईकोर्ट से ज़मानत मिले अब कई दिन हो चुके हैं. इस बीच उन्होंने अपने पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं से मुलाकात भी की है. 

इसके अलावा 30 जून को सिदो-कान्हू, फूलो-झानो के गांव भोगनडीह में एक सभा को भी संबोधित किया है. इन सभी मौकों पर हेमंत सोरेन एक ऐसे नौजवान नेता के तौर पर नज़र आए हैं जो आक्रोश से भरा हुआ है. यह अहसास उनकी बातों और उनके नए लुक से भी होता है. 

हेमंत सोरेन ने जेल से छूटने के बाद अपनी बढ़ी हुई दाढ़ी काटी नहीं है. उनके बाल भी थोड़े लंबे नज़र आ रहे हैं. वे कंधे पर गमछा रखते हैं जिसे बीच बीच में सिर पर पगड़ी की तरह से बांध भी लेते हैं. उनका यह रूप झारखंड के मुख्यमंत्री रहते हुए नज़र आने वाले रूप से बिलकुल अलग है.

बल्कि यह कहना चाहिए कि पिछले विधानसभा चुनाव यानि 2019 के चुनाव प्रचार के दौरान भी उनका जो रुप था आज का उनका रूप बिलकुल ही अलग है. झारखंड के मुख्यमंत्री रहते हुए हेमंत सोरेन कई तस्वीरो में अपनी पत्नी कल्पना सोरेन के साथ परंपरागत संथाल परिधान में नज़र आते हैं. कई तस्वीरों में वे एकदम फॉर्मल शर्ट पेंट में दिखाई देते हैं.  

2019 के विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान की उनकी तस्वीरों को देते हैं तो नज़र आता है कि वे ग्रामीण आदिवासी इलाकों में कुर्ते पजामे में प्रचार कर रहे हैं. वहीं शहरी इलाकों में उन्हें टी-शर्ट में देखा गया है. कुल मिला कर उनका एक क्लीन लुक नज़र आता है.

लेकिन इसी साल यानि मई 2024 में हेमंत सोरेन जब अपने चाचा के श्राद्ध में भाग लेने जेल से नेमरा गांव पहुंचे तो उनकी दाढ़ी बढ़ी हुई थी. जिन्होंने हेमंत सोरेन के पिता और झारखंड में दिशुम गुरू के तौर पर पहचान बनाने वाले शिबु सोरेन को जवानी में देखा था उनका लगा कि हेमंत सोरेन बिलकुल अपने पिता की तरफ दिखाई दे रहे हैं.

इसके बाद उनके इस लुक पर उनकी पत्नी कल्पना सोरेन ने चाईबासा की रैली में अपने भाषण में उनके नए लुक का ज़िक्र किया तो लोगों ने जवाब दिया ‘हेमंत सोरेन शेर हैं’. 

जेल से छूटने के बाद हूल दिवस पर  हेमंत सोरेन(Hemant Soren on Hul Diwas) ने सिदो-कान्हू, फूलो-झानो की धरती भोगनाडीह में लोगों को संबोधित किया. जेल से छुटने के बाद वे पहली बार किसी जनसभा को संबोधित कर रहे थे.  

इस जनसभा में वे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर हमलावर थे. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार लगातार उनके खिलाफ साजिश रच रही है. ये लोग समय से पहले झारखंड विधानसभा चुनाव कराना चाहते हैं. यह कहते हुए वे बीजेपी पर बरसते हुए कहते हैं आज ही चुनाव करा लो.

इसी जनसभा में उन्होंने कहा कि ये लोग यहां के जल, जंगल, जमीन को बेचना चाहते हैं और राज्य को लूटना चाहते हैं. हमलोग ऐसा कानून बनायेंगे कि यहां की खनिज संपदा का हक यहां के स्थानीय लोगों को मिलेगा. 

हेमंत सोरेन के भाषण, भाव भंगिमाओं और उनके नए रूप से वे एक सताए हुए कमज़ोर नेता की बजाए एक ऐसे नेता की तरह नज़र आ रहे हैं या नज़र आना चाहते हैं जो आक्रोश में और अन्याय के खिलाफ़ लड़ने के लिए तैयार है.

वह खुद को एक ऐसा नेता के तौर पर पेश कर रहे हैं जो सताया गया है और जिन्होंने उनके ख़िलाफ़ साजिश की है उन्हें वो सबक सिखाने की ठान चुके हैं. 

लोकसभा चुनाव 2024 झारखंड मुक्ति मोर्चा ने हेमंत सोरेन की ग़ैर हाज़री में लड़ा था. हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन ने उनकी ग़ैर हाज़री में उनका सोशल मीडिया से लेकर चुनाव प्रचार तक संभाला था. कल्पना सोरेन हर जनसभा में एक ही नारा लगवाती थीं – जेल का ताला टूटेगा-हेमंत सोरेन छूटेगा. 

यह बात अब मानी जा सकती है कि हेमंत सोरेन का जेल जाना लोकसभा चुनाव में झारखंड के आदिवासी मतदाता के लिए एक बड़ा मुद्दा था.

अब हेमंत सोरेन जेल से बाहर आ चुके हैं. लेकिन ऐसा लगता है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा और हेमंत सोरेन ने यह तय किया है कि वे विधानसभा चुनाव में भी इस मुद्दे को केंद्र में रखेंगे. जेल से छूट कर आए हेमंत सोरेन ऐसा इंप्रेशन दे रहे हैं जैसे वे बीजेपी से हिसाब चुकाने को बेताब हैं.

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