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आदिवासी प्रियंका जारकीहोली अब संसद में सबसे कम उम्र की सांसदों में से एक

प्रियंका जारकीहोली का परिवार पिछले 3 दशक से राजनीति में है. परिवार से राष्ट्रीय राजनीति में कदम रखने वाली पहली महिला हैं. अपनी जीत का श्रेय उन्होंने अपने पिता को दिया है.

कांग्रेस उम्मीदवार और मंत्री सतीश जारकीहोली की बेटी प्रियंका जारकीहोली (Priyanka Jarkiholi) ने लोकसभा चुनाव 2024 में कर्नाटक की चिक्कोडी (Chikkodi) से मौजूदा सांसद और भाजपा नेता अन्नासाहेब जोले (Annasaheb Jolle) को हरा जीत हासिल की है.

प्रियंका जारकीहोली आजादी के बाद से कर्नाटक में अनारक्षित सीट से संसद में प्रवेश करने वाली सबसे कम उम्र की आदिवासी महिला बन गई हैं.

भाजपा ने चिक्कोडी को छोड़कर मुंबई कर्नाटक की सभी सीटें जीतीं.

लोकसभा चुनाव में इस जीत के साथ प्रियंका कर्नाटक में अनारक्षित सीट से जीतने वाली आदिवासी समुदाय की पहली महिला बनीं. साथ ही वह कोट्टुरु हरिहरप्पा रंगनाथ के बाद सामान्य सीट से जीतने वाली आरक्षित समुदाय की दूसरी नेता भी बनीं, जो 1984-89 के दौरान चित्रदुर्ग से लोकसभा सदस्य थे.

प्रियंका संसद पहुंचने वाली सबसे कम उम्र की व्यक्तियों में से एक होंगी. 4 जून तक उनकी उम्र 27 वर्ष, 1 महीना, 18 दिन है. संसद चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम आयु 25 वर्ष है.

वैसे बीदर से कांग्रेस के एक और विजयी उम्मीदवार सागर खंड्रे और भी कम उम्र के हैं. उनकी उम्र 26 वर्ष, 5 महीने, 24 दिन है.

प्रियंका जारकीहोली सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की अधिक भागीदारी की वकालत करती हैं.

उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि राजनीति में महिलाओं की संख्या में बढ़ोत्तरी की जरूरत है.  आम जनता ग्रामीण और शहरी स्थानीय निकायों में महिलाओं को आरक्षण प्रदान करने के प्रभाव को जानना चाहेगी. कुछ लोगों का कहना है कि राजनीतिक परिवारों की महिलाएं स्वतंत्र निर्णय लेने के बजाय परिवार के पुरुषों की बात सुनती हैं. ऐसे सवालों का जवाब उन महिलाओं को देना चाहिए जिन्हें लोगों की सेवा करने का अवसर मिला है.

उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि उनका जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ था, जिसका काफी प्रभाव था और जिसे कुछ विशेष अधिकार प्राप्त थे.

उन्होंने कहा, “मेरी कई पहचान हैं- एक युवा व्यक्ति, एक मंत्री की बेटी और एक आदिवासी लड़की जिसे पोस्ट-ग्रेजुएट होने का सौभाग्य मिला. मैं इन पहचानों से नहीं कतराती. लेकिन फिर एक अच्छा नेता या एक योग्य व्यक्ति बनने के लिए आपको खुद को साबित करने की जरूरत होती है. मुझे उम्मीद है कि मैं ऐसा कर पाऊँगी.’’

वहीं प्रियंका अपनी शानदार जीत का श्रेय अपने पिता और पीडब्ल्यूडी मंत्री सतीश जारकीहोली को देती हैं, जो राज्य में राजनीतिक रूप से कद्दावर नेता हैं. प्रियंका ने कहा कि उनके पिता ने उन्हें राजनीति में लाने में अहम भूमिका निभाई.

उन्होंने कहा कि उनके पिता उनके आदर्श हैं और राजनीति की कला उन्होंने उनसे ही सीखी है. उनका कहना है कि जब मेरे परिवार के अन्य लोग मुझे राजनीति में आने नहीं देना चाहते थे तो उनके पिता ने ही उनका समर्थन किया और चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित किया.

इसके अलावा उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं, नेताओं की कड़ी मेहनत और सभी मतदाताओं के समर्थन औऱ कांग्रेस की कल्याणकारी योजनाओं को जीत का श्रेय दिया.

प्रियंका शुरू से ही राजनीति में प्रवेश करने और लोगों की बेहतर तरीके से सेवा करने के लिए उत्सुक थीं. उन्होंने पिछले कुछ महीनों में अपने निर्वाचन क्षेत्र के ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंची और उन्हें आश्वासन दिया कि अगर वह निर्वाचित होती हैं तो उनके कल्याण के लिए काम करेंगी.

उन्होंने कहा कि पिछले तीन दशकों में राज्य में उनके पिता द्वारा किए गए विकास कार्यों और समाज सेवा को देखते हुए लोगों ने मुझे चिक्कोडी से चुनने का फैसला किया. मैं अपने पिता के मार्गदर्शन में काम करना जारी रखूंगी और एक सांसद के रूप में चिक्कोडी संसदीय क्षेत्र के विकास के लिए प्रयास करूंगी.

16 अप्रैल 1997 को जन्मी प्रियंका के पास एमबीए की डिग्री है और वह राज्य में कई कंपनियों की डायरेक्टर हैं. जिनमें सतीश शुगर्स लिमिटेड, बेलगाम शुगर्स प्राइवेट लिमिटेड और नेचर नेस्ट हॉर्टिकल्चर शामिल हैं.

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