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गुजरात में गर्भवती आदिवासी महिलाओं की अभी तक सुरक्षित डिलीवरी की गारंटी क्यों नहीं

गुजरात के आदिवासी जिलों में देखभाल के वितरण में भेदभाव है. देश का विकसित राज्य होने के बाद भी गुजरात गर्भवती महलाओं के स्वास्थ्य से संबंधित सहस्राब्दी विकास लक्ष्यों ( Millennium Development Goals) को पाने में सफल नहीं रहा है.

गुजरात की कुल जनसंख्या का कम से कम 14.8 प्रतिशत आदिवासियों का है. राज्य के कुल 14 ज़िलों में लगभग 90 लाख आदिवासी लोग रहते हैं. इस लिहाज़ से जनजातीय समुदायों के विकास के लिए आसानी से और समय पर स्वास्थ्य देखभाल की सुविधाएं बेहद ज़रूरी हैं.

लेकिन गुजरात के आदिवासी इलाकों में बाकी इलाकों की तुलना में स्वास्थ्य सेवाएं कम और ख़राब हैं. यहां के आदिवासी इलाकों में ख़ासतौर से गर्भवती महिलाओं के लिए स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच बहुत कम है. यह बात हाल ही में छपे एक शोधपत्र में सामने आई है. यह शोधपत्र इकनोमिक एंड पॉलिटिकल वीकली (EPW) में छपा है.

इस शोधपत्र के बारे में बताया गया है कि गुजरात के आदिवासी क्षेत्रों में सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं के वितरण और पहुंच का अध्ययन करने के लिए भू-स्थानिक विश्लेषण (geospatial analysis to study ) का उपयोग किया गया है. 

इस स्टडी में पाया गया है कि आदिवासी क्षेत्रों और सीमावर्ती जिलों, ब्लॉकों और गांवों की तुलना में आदिवासी इलाकों में  सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में भेदभाव बरता जाता है. इसके अलावा, अधिकांश आदिवासी आबादी वाले जिलों में सही जगह पर सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्र नहीं बनाए गए हैं. इसलिए अभी भी गुजरात के आदिवासी इलाकों में गर्भावस्था देखभाल ठीक नहीं कही जा सकती है. 

स्वास्थ्य सुविधाओं तक समय पर पहुंच कई बातों पर निर्भर करती है. मसलन स्वास्थ्य सुविधाओं का बंटवारा या वितरण कैसा है. स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंचने के लिए सड़क और यातायात कितने उपलब्ध हैं. स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच, विशेष रूप से गर्भावस्था देखभाल एक ज़रूरी अधिकार है. आदिवासी इलाकों में अपर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएँ, सड़कें और यातायात की कमी गर्भवती महिलाओं को समय से ज़रूरी स्वास्थ्य सेवाओं हासिल करने में बाधा पैदा करते हैं. 

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यह स्टडी बताती है कि गुजरात में  आदिवासी ज़िलो में सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं तक गर्भवती महिलाओं की पहुंच सीमित है. इस सिलसिले में शोधपत्र ने कई ज़िला स्तर के अन्य अध्ययनों का ज़िक्र करता है. 

मसलन इस शोधपत्र में साल 2009 की एक स्टडी के हवाले से बताया गया है कि गुजरात के डांग जिले में गैर-आदिवासी क्षेत्रों की तुलना में आदिवासी क्षेत्रों में गर्भवती महिलाओं को अच्छी स्वास्थ्य देखभाल उपलब्ध नहीं है. 

गुजरात में आदिवासी आबादी राज्य की कुल आबादी का लगभग 14.76% है. राज्य में कुल 89 मान्यता प्राप्त आदिवासी समूह मौजूद हैं. यानि आदिवासी बहुल इलाकों में गर्भवती महिलाओं के लिए स्वास्थ्य देखभाल की कमी बड़ी संख्या में महिलाओं और बच्चों को जोखिम में डालते हैं.  

अभी भी यानि साल 2024 में भी  भौगोलिक, सामाजिक और सांस्कृतिक बाधाओं के कारण गर्भावस्था देखभाल सहित अन्य स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच आदिवासी समुदायों के लिए चुनौतीपूर्ण बनी हुई है.

खराब बुनियादी ढांचा, अपर्याप्त स्टाफ, परिवहन की कमी और वित्तीय बाधाएं मां बनने वाली महिलाओं की स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में बाधा डालती हैं. इसके अलावा सांस्कृतिक मान्यताएँ और जागरूकता की कमी भी आदिवासी इलाकों में महिलाओं को उचित स्वास्थ्य देखभाल से वंचित करने के कारण हैं. 

इसके अलावा ग़रीबी और वित्तीय परेशानियां तो हैं ही जो आदिवासी महिलाओं के लिए स्वास्थ्य देखभाल तक सीमित पहुंच में योगदान करती हैं.

इन चुनौतियों से निपटने के लिए, भारत सरकार और गुजरात सरकार ने जननी सुरक्षा योजना, राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन, मुख्यमंत्री अमृतम योजना, बाल सखा योजना, कस्तूरबा पोषण सहाय योजना और प्रधान मंत्री मातृ वंदना योजना जैसे विभिन्न कार्यक्रम और पहल लागू की हैं. 

फिर भी गुजरात के आदिवासी समुदायों के बीच अभी गर्भवती महिलाओं के लिए समय पर स्वास्थ्य देखभाल दिलाना एक चुनौती बना हुए है.  

गुजरात भारत का एक विकसित राज्य माना जाता है जिसकी कुल आबादी 6 करोड़ है. यहां की कुल आबादी का लगभग 15% आदिवासी है. इन समुदायों में विशिष्ट सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक प्रथाएं हैं. गुजरात में आदिवासी जिले वे क्षेत्र हैं जहां अक्सर गरीबी, कुपोषण और स्वास्थ्य सेवाओं तक सीमित पहुंच की उच्च दर होती है. 

यह पेपर गुजरात के आदिवासी क्षेत्रों में गर्भावस्था देखभाल की पहुंच का एक व्यापक विश्लेषण प्रस्तुत करता है. इस स्टडी में सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं के वितरण और इन सुविधाओं तक पहुंचने में गर्भवती महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों पर विशेष ध्यान दिया गया है. 

इस अध्ययन के निष्कर्षों से पता चलता है कि गुजरात के आदिवासी क्षेत्रों में गर्भावस्था देखभाल का प्रसार के लिए ज़रुरी 90% की सीमा से नीचे है. यहां के आदिवासी जिलों में देखभाल के वितरण में भेदभाव है. देश का विकसित राज्य होने के बाद भी गुजरात गर्भवती महलाओं के स्वास्थ्य से संबंधित सहस्राब्दी विकास लक्ष्यों ( Millennium Development Goals) को पाने में सफल नहीं रहा है.

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