आंध्र प्रदेश में जनजातीय कल्याण मंत्री गुम्मदी संध्या रानी (Gummadi Sandhya Rani) ने बताया कि सरकार ने राज्य के विशेष रूप से कमज़ोर जनजातियों (PVTGs) के लिए उनके आवासों में घर बनाने का फैसला किया है.
गुम्मदी संध्या रानी ने 25 जून को सचिवालय में विभाग के कुछ अधिकारियों के साथ बैठक की थी. इस बैठक में उन्होंने सभी अधिकारियों को पीवीटीजी को घर देने के लिए एक कार्य योजना बनाने का आदेश दिया है.
संध्या रानी ने जानकारी दी कि राज्य में 5 लाख पीवीटीजी रहते हैं. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इन सभी 5 लाख पीवीटीजी समुदायों के लिए घर, बिजली और पेयजल जैसी मूल सुविधाएं देना चाहती है.
इन सभी मूल सुविधाओं को आदिवासियों तक पंहुचाने से पहले राज्य के अलग-अलग गाँव में रहने वाले पीवीटीजी समुदायों की पहचान की जाएगी.
इसके साथ ही पीवीटीजी समुदाय की बस्तियों में अन्य आवश्यक सुविधाओं का जायज़ा भी लिया जाएगा.
इसके अलावा अगर कोई पीवीटीजी समुदाय पहाड़ियों में अलग-थलग भी रह रहे हैं, तो उन्हें भी सभी आवश्यक सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी.
स्कूलों में बेहतर स्वास्थ्य
इसके साथ ही मंत्री गुम्मदी संध्या रानी ने जानकारी दी है कि राज्य के आदिवासी स्कूलों में छात्रों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए सहायक नर्सिंग दाइयां (ANMs) की नियुक्ति होगी.
इसके अलावा राज्य के इंटेग्रेटेड ट्राइबल डेवलपमेंट एजेंसी (Integrated Tribal Development agency) के अंतर्गत आने वाले आदिवासी स्कूलों के 554 छात्र-छात्राओं का हर महीनें स्वास्थ्य जांच परीक्षण होगा.
वहीं गुम्मदी संध्या रानी ने पिछली सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि पहले आदिवासी स्कूलों में विद्यार्थियों का स्वास्थ्य जांच परीक्षण होता था लेकिन इस जांच परीक्षण को बंद कर दिया गया था.
जिसके कारण आदिवासी विद्यार्थियों में स्वास्थ्य खराब होना और मृत्यु दर में वृद्धि देखी गई थी. वहीं उन्होंने यह जानकारी दी कि आंध्र प्रदेश के आदिवासी स्कूलों में 2,024 शिक्षक पदों में भर्ती की जाएगी.
इसके अलावा आदिवासी लड़कियों के स्कूलों में महिला शिक्षकों की ही नियुक्ति होगी.
आंध प्रदेश में इस बार लोकसभा चुनाव के साथ-साथ विधानसभा चुनाव हुए थे. राज्य में एक बार फिर तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) की वापसी हुई है.
टीडीपी पार्टी ने राज्य में बहुमत हासिल कर आदिवासी सहित अन्य समाज के लोगों के लिए काम करने की योजना बनाना शुरू कर दिया है.
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि टीडीपी की सरकार द्वारा आदिवासियों को किए वादों में से कितने पूरे होते हैं.