आगामी आम चुनाव के लिए ओडिशा के फुलबनी में एक सार्वजनिक बैठक के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjuna Kharge) ने कंधमाल जिले में सांप्रदायिक सद्भाव (Communal harmony) को बाधित करने के लिए भाजपा की आलोचना की.
खड़गे ने पार्टी पर वोटों के लिए 2007 के कंधमाल दंगों (Kandhamal riots) का फायदा उठाने का आरोप लगाया. उन्होंने यह भी बताया कि आदिवासी क्षेत्र अभी तक रेलवे से नहीं जुड़ा है और हल्दी के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) नहीं दिया गया है.
खड़गे ने बीजेडी और भाजपा दोनों पर मिलकर एक ऐसे रेल मंत्री को चुनने का आरोप लगाया, जो ओडिशा से होने के बावजूद अहमदाबाद में मोदी की सेवा कर रहा है और कंधमाल जिले को रेलवे से जोड़ने के बजाय गुजरात में बुलेट ट्रेन चलाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है.
उन्होंने ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से कंधमाल जैसे जिलों में रेलवे लाने की जिम्मेदारी लेने का आह्वान किया, खासकर भाजपा को राज्यसभा सीट देने के बाद.
खड़गे ने इस बात पर भी जोर डाला कि पिछले 10 वर्षों में ओडिशा में आदिवासियों के खिलाफ अपराधों में 45 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और 24 वर्षों में ओडिशा में PESA अधिनियम लागू नहीं किया गया है.
खड़गे ने दावा किया कि आज भी यहां 22 लाख आदिवासियों को उनकी कानूनी भूमि रिकॉर्ड प्राप्त करने से प्रतिबंधित किया गया है. इस बीच नवीन पटनायक और नरेंद्र मोदी दोनों आदिवासियों से जल, जंगल और जमीन छीन रहे हैं और अपने दोस्तों को बेच रहे हैं. उन्होंने कहा कि इसके विपरीत कांग्रेस ने हमेशा आदिवासियों को जल, जंगल और जमीन की गारंटी दी है.
खड़गे ने वादा किया कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो डिग्री और डिप्लोमा वाले प्रत्येक युवा को 1 लाख रुपये, प्रत्येक महिला को प्रति वर्ष 1 लाख रुपये दिए जाएंगे और किसानों का कर्ज माफ किया जाएगा.
साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी (मनरेगा) योजना के तहत दैनिक मजदूरी 250 रुपये से बढ़ाकर 400 रुपये की जाएगी. उन्होंने जनता से कांग्रेस प्रत्याशियों को हाथ के निशान पर वोट देने की अपील की.
फुलबनी में पीएम मोदी और सीएम नवीन पटनायक के प्रचार के बाद गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कांग्रेस उम्मीदवारों के लिए प्रचार किया.
रैली में कई वरिष्ठ नेता और कांग्रेस उम्मीदवार भी शामिल हुए, जिनमें कंधमाल लोकसभा उम्मीदवार अमित चंद नाइक, फुलबनी विधानसभा सीट से उम्मीदवार प्रतिभा कन्हार, बालीगुडा से उम्मीदवार उपेन्द्र प्रधान, जी. उदयगिरि से उम्मीदवार प्रफुल्ल प्रधान, बौध से उम्मीदवार नबा कुमार मिश्रा, दासपल्ला से उम्मीदवार नकुल शामिल थे.
जहां एक तरफ आदिवासियों का विकास नहीं होने के लिए कांग्रेस ने बीजेपी और बीजेडी पर निशाना साधा… वहीं बीजेपी ने BJD और कांग्रेस को आदिवासी विरोधी बताया.
दरअसल, हाल ही में चुनावी सभाओं को संबोधित करने के लिए ओडिशा आए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा था कि कांग्रेस और बीजू जनता दल ने आदिवासियों का कोई विकास नहीं किया. उसे केवल बंधुआ मजदूर समझा, वोट बैंक समझा. जबकि भाजपा ने आदिवासियों का भरपूर सम्मान किया, कर रही है और आगे भी करेगी.
साय ने आगे कहा कि आज आपके ओडिशा की एक आदिवासी परिवार की बेटी, बहन द्रौपदी मुर्मू जी देश की राष्ट्रपति हैं. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री का दायित्व नरेंद्र मोदी जी ने मुझे सौंपा है. इसलिए हम कह सकते हैं कि आदिवासियों का हित भाजपा में ही सम्भव है. क्योंकि भाजपा में लोकतंत्र है, कार्यकर्ताओं का सम्मान है. जबकि अन्य पार्टियों में परिवारवाद है, अयोग्य लोग ही पार्टी में अपना प्रभुत्व चला रहे हैं.
लोकसभा चुनाव के साथ ओडिशा में विधानसभा चुनाव भी हो रहा है. यहां साल 2000 से नवीन पटनायक लगातार मुख्यमंत्री हैं. इस बार बीजेपी, बीजेडी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है. 147 सदस्यीय विधानसभा के लिए वोटिंग चार चरणों में हो रही है. पहले चरण की वोटिंग 13 मई को लोकसभा चुनाव के चौथे चरण के साथ संपन्न हो चुकी है.
अब ओडिशा विधानसभा चुनाव के लिए दूसरे चरण की वोटिंग 20 मई को है. जबकि तीसरे चरण में 25 मई को और चौथे चरण में 1 जून को वोटिंग होगी. नतीजे लोकसभा चुनाव के साथ ही 4 जून को आएंगे.
ओडिशा देश का वह राज्य है जिसमें सबसे ज़्यादा संख्या में आदिवासी समुदाय मौजूद हैं. अनुसूचित जनजाति में शामिल यहां पर 62 आदिवासी समुदाय रहते हैं.
ओडिशा की 21 लोकसभा सीटों में से 5 सीटें – सुंदरगढ़, क्योंझर, मयूरभंज, नबरंगपुर और कोरापुट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं. इनमें से सुंदरगढ़ सीट पर पांचवें चरण में 20 मई को मतदान होगा.