पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने शुक्रवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर आदिवासियों के अधिकारों को छीनने और विभिन्न पिछड़े समुदायों के बीच कलह पैदा करने की योजना बनाने का आरोप लगाया.
टीएमसी के झारग्राम लोकसभा उम्मीदवार कालीपद सोरेन (Kalipada Soren) के समर्थन में एक चुनावी रैली में बोलते हुए बनर्जी ने जोर देकर कहा कि भाजपा का लक्ष्य एनआरसी लागू करके आदिवासियों को उखाड़ना है आख़िरकार उन्हें उनके भूमि अधिकारों से वंचित करना है.
भाजपा पर आदिवासियों और कुर्मियों के बीच तनाव पैदा करने का आरोप लगाते हुए ममता बनर्जी ने आदिवासी भूमि अधिकारों की सुरक्षा के लिए अपने प्रशासन के समर्पण पर जोर दिया.
उन्होंने कहा, “हमने यह सुनिश्चित करने के लिए पहले ही एक कानून पारित कर दिया है कि आदिवासी अपनी पैतृक भूमि पर निवास कर सकें.”
उन्होंने कहा, “बीजेपी एनआरसी के जरिए आदिवासियों, कुर्मियों और अन्य पिछड़ी जातियों को बाहर निकालना चाहती है और समान नागरिक संहिता लाकर उनके बीच लड़ाई कराना चाहती है. लेकिन मैं अपनी आखिरी सांस तक उनकी रक्षा करने की कसम खाती हूं.”
बनर्जी ने कहा कि भाजपा के वरिष्ठ नेता सीएए को लेकर इतने उत्साहित हैं तो वे सीएए के लिए आवेदन क्यों नहीं कर रहे हैं. उन्होंने कहा, “मैं मोदी और अमित शाह से पूछना चाहती हूं कि आप पहले सीएए के लिए आवेदन क्यों नहीं करते. लोगों को उदाहरण देकर दिखाएं.”
उन्होंने भाजपा को आदिवासी विरोधी बताते हुए जेल में बंद झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का जिक्र किया.
उन्होंने कहा, “भाजपा ने लोकप्रिय आदिवासी नेता हेमंत सोरेन को सलाखों के पीछे डाल दिया है. मैं उनकी पत्नी के संपर्क में हूं. यह भाजपा है, एक ऐसी पार्टी जो तानाशाही और एक पार्टी के शासन में विश्वास करती है.”
इसके अलावा ममता बनर्जी ने मीडिया के एक वर्ग पर बिना उचित कारण बताए केंद्र की भाजपा सरकार की उपलब्धियों का बखान करते हुए प्रधानमंत्री की तस्वीरों वाले विज्ञापन प्रकाशित करने का आरोप लगाया.
उन्होंने कहा, “भाजपा गलत जानकारी के साथ विज्ञापन प्रकाशित कर रही है. ऐसे ही एक विज्ञापन में कहा गया है कि प्रवासी हिंदू और सिख समुदाय सीएए के तहत नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं. कृपया उन पर विश्वास न करें, आप सभी पहले से ही वास्तविक नागरिक हैं. अगर तुम आवेदन करो, तुम्हें बाहर कर दिया जाएगा.”
उन्होंने कहा, “मेरे मन में पत्रकारों के खिलाफ कुछ भी नहीं है लेकिन उन प्रकाशनों के अधिकारी बिना किसी जांच के ऐसे विज्ञापनों को कैसे चलने देते हैं.”
उन्होंने कहा, “अगर इंडिया ब्लॉक दिल्ली में सत्ता में आता है तो मैं आश्वासन देती हूं कि एनआरसी को खत्म कर दिया जाएगा. हम ऐसे कानून लाएंगे जो आदिवासियों को उनकी जमीन पर स्थायी अधिकार सुनिश्चित करेंगे.”
बनर्जी ने सीपीआई (एम) पर अपने कार्यकाल के दौरान जंगलमहल क्षेत्र में अशांति को बढ़ावा देने का आरोप लगाया और इसकी तुलना 2011 से क्षेत्र में समृद्धि लाने के उनकी सरकार के प्रयासों से की.
उन्होंने कहा कि 2011 से जंगलमहल मुस्कुरा रहा है. बीजेपी को वोट न दें, ‘हरमद’ (पीड़ित करने वाली) सीपीआई (एम) को वोट न दें.
झारग्राम के भाजपा उम्मीदवार प्रणत टुडू का नाम लिए बिना उन्होंने कहा, “हम उनका नामांकन रोक सकते थे क्योंकि वह एक सरकारी स्वास्थ्य सुविधा में प्रैक्टिस करने वाले चिकित्सक थे, लेकिन हमने ऐसा नहीं किया.”
टुडू ने बाद में भाजपा द्वारा नामांकित किए जाने के बाद राज्य चिकित्सा अधिकारी के पद से इस्तीफा दे दिया.
झारग्राम लोकसभा सीट
पश्चिम बंगाल में जंगलमहल क्षेत्र का महत्वपूर्ण जिला झारग्राम एक सुरक्षित लोकसभा सीट है. आदिवासियों के लिए आरक्षित 1962 में अस्तित्व में आए झाड़ग्राम लोकसभा सीट पर शुरुआती तीन चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने जीत दर्ज की. बाद में यह क्षेत्र सीपीएम का गढ़ बन गया. झारग्राम में 1977 से लेकर 2014 तक लगातार सीपीएम का कब्जा रहा.
2014 में यहां के लोगों ने परिवर्तन पसंद किया और सीपीएम के इस किले को टीएमसी ने फतह कर लिया. 2019 में भारतीय जनता पार्टी ने टीमएसी को हरा कर इस सीट पर कब्जा कर लिया और परिवर्तन जारी रखा. बीजेपी के कुंअर हेंब्रम ने यहां से जीत दर्ज की.
झारग्राम में 2014 में परिवर्तन की लहर दिखी. इससे पहले करीब 37 सालों तक यहां के लोग सीपीएम नेता को जिताकर सांसद भेजते रहे. 2014 में टीएमसी फिर 2019 में बीजेपी ने पहली बार यहां जीत दर्ज की.
आगामी चुनाव में इस सीट से बीजेपी ने रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टर प्रणत टुडू को मैदान में उतारा है, जो पहले झारग्राम सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में काम करते थे. उनके प्रतिद्वंद्वी तृणमूल कांग्रेस (TMC) के कालीपद सोरेन हैं.
झारग्राम निर्वाचन क्षेत्र पर लोकसभा चुनाव के छठे चरण में 25 मई को मतदान होगा.