महाराष्ट्र के नासिक के पांच आदिवासी गांवों के निवासियों ने हाल ही में घोषित मुख्यमंत्री माझी लड़की बहिन योजना (Mukhyamantri Majhi Ladki Bahin Yojana) में मांगे जाने वाले दस्तावेजों को लेकर महत्वपूर्ण चिंता जताई है.
इस योजना के तहत विवाहित, तालकशुदा और बेसहारा महिलाओं को 15,00 रूपये प्रति माह दिए जाएंगे.
इस योजना का लाभार्थी बने के लिए आयु 21 से 65 वर्ष होनी चाहिए और उनके परिवार की वार्षिक आय 2.5 लाख रूपये से अधिक ना हो.
इस योजना का लाभार्थी बनने के लिए महिलाओं को दस्तावेज़ों को लेकर कई चुनौतियां का सामना करना पड़ रहा है.
योजना में आवेदन के लिए आवेदक के पास आधार कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र और राशन कार्ड सहित कुछ दस्तावेज होना अनिवार्य है.
यह सभी दस्तावेज राज्य के अधिकतर आदिवासियों के पास मौजूद नहीं है. इन सभी दस्तावेज़ों के अलावा बैंक में एक खाता होना भी आवश्यक है.
यह योजना जिन महिलाओं के फायदे के लिए बनाई गई है, उन्ही के पास दस्तावेज़ो की कमी है.
इसके अलावा नाशिक ज़िले के त्र्यंबकेश्वर तहसील के टेक हर्ष गाँव में 300 घरों की आदिवासी महिलाएं राशन केंद्रों पर आदोंलन कर रही है.
इन महिलाओं की मांग है कि जांच के साथ साथ एक पोषण किट उपलब्ध करवाई जाए. महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाकों में महिलाओं के बीच एनीमिया काफी प्रचलित है.
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (National Family health survey) 2019-20 के अनुसार नासिक की 15 से 49 वर्ष की 55.4 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया से प्रभावित है. वहीं 15 से 49 वर्ष की 73.4 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं एनीमिया से पीड़ित है.
योजना के लिए योग्यता
इस योजना में आवेदन के लिए महिलाओं के पास आधार कार्ड या राशन कार्ड और उनके नाम पर क बैंक खाता होना चाहिए.
इसके अलावा महाराष्ट्र के बाहर पैदा होने वाली महिला को अपने पति का जन्म प्रमाण पत्र या स्कूल छोड़ने का प्रमाण पत्र होना अनिवार्य है.
इसके साथ ही आवेदकों को एक आय प्रमाण पत्र होना भी आवश्यक होना चाहिए, जो उनकी वार्षिक परिवारिक आय का प्रमाण दें. आवेदन के बाद अंतिम मंजूरी ज़िला कलेक्टर की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा दी जाएगी.
अफसोस की बात यह है कि इस योजना में रक्त जांच जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों का उल्लेख नहीं किया गया है. इस रक्त जांच के ज़रिए ही महिलाओं में एनीमिया का पता लगाया जाता है.
इसके अलावा एक और सवाल जो इस योजना को लेकर बनता है कि क्या 15,00 रूपये प्रति माह एनीमिया जैसी बीमारी से निपटने के लिए पर्याप्त है.
अगर देखा जाए तो महिलाओं को मिलने वाली यह राशि उनके पोषण संबधी जरूरतों को पूरा करने में भी सक्षम नहीं है.