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धर्ती आबा अभियान से 1.17 लाख जनजातीय लोगों को होगा फायदा – जगत सिंह नेगी

हिमाचल प्रदेश में पहली बार ऐसा अभियान, जो आधार से लेकर आजीविका तक हर सेवा सीधे गांवों में पहुंचाएगा.

हिमाचल प्रदेश के राजस्व और जनजातीय विकास मंत्री जगत सिंह नेगी ने शुक्रवार को शिमला में पत्रकारों से बातचीत के दौरान बताया कि 15 जून से 30 जून तक हिमाचल प्रदेश के जनजातीय बहुल गांवों में ‘धर्ती आबा जनजातीय ग्राम विकास अभियान’ चलाया जाएगा.

इस अभियान के तहत 10 ज़िलों के 270 गांवों के करीब 1.17 लाख जनजातीय लोग केंद्र और राज्य सरकार की 35 से ज्यादा योजनाओं का लाभ उठा सकेंगे.

ब्लॉक स्तर पर लगेंगे सेवा शिविर

मंत्री ने बताया कि इस अभियान का मुख्य उद्देश्य सरकारी योजनाओं को सीधे जनजातीय लोगों तक पहुँचाना है.

इसके लिए ब्लॉक स्तर पर गांव-गांव में सेवा कैंप लगाए जाएंगे.

इन कैंपों में आधार कार्ड अपडेट, राशन कार्ड, आयुष्मान कार्ड, जाति प्रमाण पत्र जैसी मूलभूत सेवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी.

पांच साल का होगा रोडमैप

जगत नेगी ने बताया कि इस विशेष अभियान में 17 केंद्रीय मंत्रालयों को शामिल किया गया है. इन 17 मंत्रालयों की सूची में ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य, शिक्षा, ऊर्जा, जल शक्ति, महिला एवं बाल विकास, आईटी, दूरसंचार, पर्यटन, मत्स्य पालन, पंचायती राज और जनजातीय कार्य मंत्रालय प्रमुख रूप से शामिल हैं.

इन मंत्रालयों की योजनाओं के लिए अगले पांच वर्षों के लिए प्रारंभिक बजट प्रस्तावित किया गया है.

संबंधित विभाग कार्ययोजना बनाकर उसे मंजूरी के लिए केंद्र को भेजेंगे. इसके बाद बजट जारी किया जाएगा.

सोलन ज़िले के 10 गांवों को चुना गया

सोलन जिला प्रशासन ने भी जानकारी दी है कि ज़िले के 9 ग्राम पंचायतों के 10 गांवों को इस अभियान के तहत चुना गया है.

इसमें बैर्चा, मस्तानपुर, गोल जमाला, धना, कौंडी, मालपुर, लेही, मखनू माजरा (नालागढ़ उपमंडल), करवाणा और कम्बरवाला (पट्टा उपमंडल) शामिल हैं.

सोलन के उपायुक्त मनमोहन शर्मा ने बताया कि यह अभियान देश के 26 राज्यों और 4 केंद्र शासित प्रदेशों में चलाया जा रहा है.

हिमाचल के ऐसे गांव जहां 50 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या जनजातीय है, उन्हें प्राथमिकता दी जा रही है.

स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार पर विशेष ध्यान

मनमोहन शर्मा ने बताया कि इस अभियान के तहत जनजातीय आबादी के जीवन में ठोस सुधार लाने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं.

मोबाइल मेडिकल यूनिट्स (MMU): गांवों में स्वास्थ्य सुविधाएं पहुँचाने के लिए मोबाइल यूनिट्स चलाई जाएंगी.

स्वरोजगार और कौशल विकास: युवाओं को कौशल प्रशिक्षण और उद्यमिता के अवसर उपलब्ध कराए जाएंगे.

छात्रों के लिए योजनाएं: 10वीं और 12वीं में पढ़ रहे छात्रों के लिए ट्रेनिंग और करियर गाइडेंस की व्यवस्था होगी.

पक्के घर, पेयजल और इंटरनेट कनेक्टिविटी पर भी काम

इस योजना के तहत हर घर को नल से जल और पक्के मकान देने की दिशा में ठोस कदम उठाने की भी पहल शामिल है. इसके साथ ही इंटरनेट और मोबाइल कनेक्टिविटी के ज़रिए गांवों को डिजिटल इंडिया से जोड़ना का भी टारगेट रखा गया है.

ग्रामीण स्तर पर रोजगार सृजन के लिए स्थानीय कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देने की बात भी कही गई है. इसके अलावा दूरदराज के छात्रों को भी बेहतर शिक्षा मिल सके इसलिए जनजातीय छात्रावासों का निर्माण भी किया जाएगा.

अभियान का दीर्घकालिक उद्देश्य जनजातीय समुदाय को सामाजिक और आर्थिक मुख्यधारा में शामिल करना है. इसके लिए विकास कार्ययोजना (DAPST) के तहत निधि आवंटित की जाएगी.

‘धर्ती आबा जनजातीय ग्राम विकास अभियान’ सराहनीय पहल है. लेकिन इसका फायदा केवल तब होगा जब इसे ईमानदारी और सुनियोजित ढंग से ज़मीन पर उतारा जाए.

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