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कोलकाता की एमिटी यूनिवर्सिटी में जातिगत उत्पीड़न के बाद छात्रों पर मामला दर्ज

यूनिवर्सिटी जैसे जगहों पर, जहाँ हर किसी को बराबरी और इज्ज़त मिलनी चाहिए, वहाँ भी अगर ऐसा भेदभाव होता है तो यह बहुत चिंता की बात है.

कोलकाता की एमिटी यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले कुछ आदिवासी छात्रों के साथ जाति के नाम पर बुरा व्यवहार किया गया.

यह घटना 16 सितंबर 2025 की है. इस दिन सिक्किम से आए पाँच छात्र, जो यूनिवर्सिटी में लॉ (Law) के पहले साल के छात्र हैं, फुटबॉल खेलने के लिए यूनिवर्सिटी के मैदान में गए थे.

लेकिन तभी BBA के दूसरे साल के कुछ छात्रों ने उन्हें मैदान में खेलने से रोक दिया.

आदिवासी छात्रों ने बताया कि जब वे मैदान में खेलने गए, तो सीनियर छात्रों ने उन्हें ताने मारने शुरू कर दिए.

उन्होंने उन्हें “ट्राइबल्स” कहा और बोले कि “जंगल में जाकर खेलो”.

इसके बाद जब इन छात्रों ने विरोध किया, तो करीब 25 से 30 सीनियर छात्रों ने मिलकर उनके साथ मारपीट की.

किसी तरह यूनिवर्सिटी के कुछ कर्मचारियों ने बीच-बचाव किया और झगड़ा रुका.

घटना के बाद पीड़ित छात्र बहुत डर गए और उन्होंने अगले ही दिन कोलकाता छोड़ दिया और अपने घर सिक्किम लौट गए.

उन्होंने वहाँ जाकर 24 सितंबर को गंगटोक के सदर थाना में एक “ज़ीरो एफआईआर” दर्ज कराई. यह एफआईआर अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण कानून (SC/ST Act) के तहत दर्ज की गई है.

इस एफआईआर को बाद में पश्चिम बंगाल पुलिस को भेजा गया क्योंकि घटना वहीं हुई थी.

अब यह केस कोलकाता के बिधाननगर पुलिस कमिश्नरेट के टेक्नोसिटी थाना क्षेत्र में स्थानांतरित कर दिया गया है.

पुलिस अब मामले की जाँच कर रही है.

शिकायत में जिन छात्रों पर आरोप लगाए गए हैं, वे BBA सेकंड ईयर के हैं.

पुलिस ने कहा है कि दो छात्रों के नाम शिकायत में हैं, बाकी को पीड़ितों ने पहचान के आधार पर बताया है.

पुलिस अब यूनिवर्सिटी के सीसीटीवी फुटेज भी खंगाल रही है ताकि सच्चाई सामने आ सके.

यूनिवर्सिटी प्रशासन से कहा गया है कि वे सीसीटीवी वीडियो और अन्य जानकारी पुलिस को दें.

पीड़ित छात्रों ने यह भी बताया कि यह पहली बार नहीं था जब उन्हें ताना मारा गया या परेशान किया गया.

वे बोले कि जब से उन्होंने यूनिवर्सिटी जॉइन की थी, तभी से उन्हें ‘आउटसाइडर’ (बाहरी), ‘जंगल से आए’ या ‘अनपढ़ ट्राइबल्स’ जैसी बातें कहकर अपमानित किया जाता रहा.

उन्होंने पहले कुछ शिक्षकों से शिकायत भी की थी, लेकिन किसी ने उनकी बात को गंभीरता से नहीं लिया.

अभी तक इस मामले में किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है.

पुलिस का कहना है कि वह पहले सबूत इकट्ठा कर रही है, फिर सभी पक्षों से पूछताछ की जाएगी.

पुलिस ने यह भी कहा है कि वे इस मामले को बहुत गंभीरता से देख रहे हैं.

इस घटना ने एक बार फिर यह दिखाया है कि हमारे देश में आज भी कुछ लोग जाति या समुदाय के आधार पर दूसरों को छोटा समझते हैं.

यूनिवर्सिटी जैसे जगहों पर, जहाँ हर किसी को बराबरी और इज्ज़त मिलनी चाहिए, वहाँ भी अगर ऐसा भेदभाव होता है तो यह बहुत चिंता की बात है.

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