HomeAdivasi Dailyअरकू घाटी में पर्यटकों के बीच लोकप्रिय है आदिवासी जीवनशैली

अरकू घाटी में पर्यटकों के बीच लोकप्रिय है आदिवासी जीवनशैली

पेडलबुडु इको-टूरिज्म वेलफेयर सोसाइटी द्वारा डिजाइन किया गया यह प्रोजेक्ट, पर्यटकों को आदिवासी रीति रिवाज़ों के साथ शादी करने का अवसर देता है.

आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम के पडेरू डिवीजन में एकीकृत जनजातीय विकास एजेंसी (ITDA) ने “गिरी ग्राम दर्शनी” प्रोजेक्ट लॉन्च किया है, जो आदिवासी जीवन शैली, उनकी परंपराओं, रीति-रिवाजों और भोजन की आदतों को समझने का एक प्रयास है.

एजेंसी ने अरकू घाटी से लगभग छह किमी दूर पेडालाबुडु में एक आदिवासी गांव इसके लिए तैयार किया है. ओडिशा की सीमा से लगे इस इलाके की लगभग 92 प्रतिशत आबादी आदिवासी है.

आईटीडीए के कार्यक्रम प्रबंधक एस गणपति नायडू ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया, “गाँव में लगभग 10-15 पारंपरिक आदिवासी झोपड़ियाँ हैं, जो पर्यटकों के लिए एक खास स्थानीय आदिवासी माहौल प्रदान करती हैं. जो पर्यटक आदिवासी जीवन का अनुभव करना चाहते हैं, वे इन कॉटेज को बुक कर सकते हैं और एक या दो दिन रुक सकते हैं.”

अपने स्टे के दौरान, पर्यटकों को स्थानीय आदिवासी लोगों के जीवन को करीब से समझने का मौका मिलेगा.

खेती, मिट्टी के बर्तन बनाना और बैलगाड़ी की सवारी करना खास आकर्षण है. इसके अलावा मुर्गों को पकड़ना, जो आदिवासियों के लिए एक तरह का खेल है, पर्यटकों को काफी लुभाता है.

हालांकि, गिरि ग्राम दर्शनी में पर्यटकों के लिए सबसे आकर्षक चीज है विवाह की आदिवासी परंपरा.

“अरकू घाटी का दौरा करने वाला हर पर्यटक इस इलाके के आदिवासियों की शादी की रस्मों के बारे में जानना चाहता है. इनमें बगता, कोंडा रेड्डी और वाल्मीकि आदिवासी समूहों के रीति रिवाज़ शामिल है,”आईटीडीए के एक अधिकारी ने कहा.

पेडलबुडु इको-टूरिज्म वेलफेयर सोसाइटी द्वारा डिजाइन किया गया यह प्रोजेक्ट, पर्यटकों को आदिवासी रीति रिवाज़ों के साथ शादी करने का अवसर भी देता है. यह सुविधा उन सब के लिए उपलब्ध है जो एक अनोखे अंदाज में शादी करना चाहते हैं. पहले से शादीशुदा जोड़े भी आदिवासी विवाह शैली का अनुभव कर सकते हैं.

इसके लिए दूल्हा और दुल्हन दोनों आदिवासी पोशाक पहन सकते हैं, झोपड़ी को बांस, फूलों और पत्तों से सजाया जाता है, एक स्थानीय आदिवासी पुजारी आदिवासी परंपराओं के अनुसार शादी करता है, जिसमें तीन से चार घंटे लगते हैं. सभी अनुष्ठान आदिवासी संगीत के साथ होते हैं.

शादी की दावत भी स्थानीय आदिवासी शैली के अनुसार की जाती है. दिलचस्प बात यह है कि आदिवासी विवाह पूरी तरह से महिलाओं द्वारा आयोजित किया जाता है.

पडेरू क्षेत्र में आदिवासी संस्कृति पर काम करने वाले एक गैर सरकारी संगठन की कार्यकर्ता एम मालिनी के अनुसार, शादी दूल्हे के घर पर की जाती है और दुल्हन बारात में उसके घर आती है. शादी के दौरान महिलाओं की अहम भूमिका होती है.

“अगर शादी में दुल्हन और उसके रिश्तेदारों को कोई असुविधा होती है, तो वे समारोह को भी रद्द कर देते हैं और दूल्हे को माफी मांगनी होती है, और उससे शादी करने का अनुरोध करना होता है.ऐसा इसलिए क्योंकि इन आदिवासियों में महिलाएं घर को चलाती हैं,” मालिनी ने बताया.

पिछले कुछ महीनों में गिरी ग्राम दर्शनी में पर्यटकों की कम से कम 16 शादियां की गई हैं. उनमें से पांच शादियां नए जोड़ों की थीं, और बाकी पहले से शादीशुदा जोड़ों की, जो आदिवासी संस्कृति को अनुभव करना चाहते थे.

यहां शादी करना सस्ता भी है. रस्म की अवधि के आधार पर ₹ 5,000 से ₹ ​​10,000 का भुगतान करना पड़ता है.

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