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आदिवासी गोथरा महासभा ने केरल सरकार पर आदिवासी और दलित छात्रों को छात्रवृत्ति नहीं देने का लगाया आरोप

आदिवासी गोथरा महा सभा ने केरल सरकार पर यह आरोप लगाया है कि शैक्षणिक संस्थानों में पैसे भुगतान में देरी करने के कारण अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति के छात्रों को काफी दबाव का सामना करना पड़ रहा है.

केरल (Kerala) में आदिवासी गोथरा महासभा (Adivasi Gothra MahaSabha) ने आरोप लगाया है कि राज्य में कई आदिवासी और दलित छात्रों को एक साल से अधिक समय से उनकी उच्च शिक्षा के लिए अनुदान या छात्रवृत्ति नहीं मिली है.

उन्होंने बताया कि जो छात्र ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन और रिसर्च प्रोग्राम के साथ विभिन्न प्रोफेशनल क्षेत्रों के कई छात्रों ने लंबे समय तक वित्तीय सहायता न मिलने की शिकायत की है.

इसके साथ ही एजीएमएस के स्टेट कोऑर्डिनेटर एम गीतानंदन (AGMS state co- ordinator M Geethanandan) और आदिशक्ति समर स्कूल के अध्यक्ष मणिकंदन सी (Adishakthi Summer School acting chairman Manikandan C) ने कहा कि सरकारी कर्मचारियों, मंत्रियों के कर्मचारियों के वेतन पर कोई रोक नहीं लगाई गई है लेकिन दूसरे प्रोग्राम पर्याप्त धन नहीं होने के कारण रुके हुए है.

इन्होंने यह भी कहा कि सरकार के द्वारा बजट में फंड का आवंटन करने के बावजूद भी जाति और जातीय भेदभाव छात्रों को उनकी स्टडी पीरियड के दौरान वित्तीय सहायता के कम वितरण के लिए जिम्मेदार प्राथमिक का कारण बना हुआ है.

इसके साथ ही जब भी इस बारे में शिकायत की जाती है तो मंत्री जी ई-ग्रांट (e grant) के नाम पर दिए गए करोड़ों रुपयों की धनराशी को दे दी गई है बोल देते हैं.
हालांकि मंत्री जी यह भी नहीं बताते है कि यह जो करोड़ों की धनराशि है यह किस पर, कब और किस उद्देश्य से खर्च की गई है.

एम गीतानंदन और अध्यक्ष मणिकंदन सी ने बताया कि सरकार के द्वारा शैक्षणिक संस्थानों में पैसे भुगतान में देरी करने के कारण अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति के छात्रों को काफी दबाव का सामना करना पड़ रहा है.

इसके अलावा नए निर्देश के अनुसार हर साल ई-ग्रांट दिया जाएगा. जिसमें विशेष रुप से संस्थानों को ट्यूशन फीस, छात्रों को अलाउंस और परीक्षा शुल्क को एक पैकेज में समेकित किया जाएगा जिसका भुगतान हर साल एक बार किया जाएगा.

एजीएमएस की मांगे

एजीएमएस की यह मांग है कि ग्रांट को हर महीने देने को सुनिश्चित करने के लिए सालाना अनुदान के वितरण का निर्देश देने वाले खंड में संशोधन किया जाना चाहिए.

अलाउंस और ग्रांट में समय- समय पर वृद्धि की जानी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वास्तविक बोर्डिंग और आवास लागत कितना लगता है.

इसके साथ ही उन्होंने यह भी मांग की है कि शैक्षणिक संस्थानों को दी जाने वाली ट्यूशन फीस के लिए एक अलग भुगतान मोड होना चाहिए.

एजीएमएस ने बताया कि वह 27 जनवरी को सुबह 10 बजे एर्नाकुलम के सार्वजनिक लाइब्रेरी (Public Library in Ernakulam) के पास अच्युता मेनन हॉल (Achutha Menon Hall) में एक ई-ग्रांट संरक्षण सम्मेलन (e-grants protection convention) का आयोजन कर रहे हैं.

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