गुजरात में अगले साल के आखिर में चुनाव होने हैं लेकिन सत्ताधारी बीजेपी अभी से चुनावी मोड में दिखने लगी है. इसके लिए बीजेपी ने न सिर्फ जनता को ध्यान में रखते हुए कदम उठाने शुरू कर दिए हैं बल्कि अपने कार्यकर्ताओं के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम भी चला रही है. गुजरात के वोटरों में एक बड़ा हिस्सा रखने वाले पाटीदार समुदाय को साधने के लिए भी बीजेपी हर संभव कोशिश करने में जुट गई है.
पाटीदार के साथ बीजेपी आदिवासियों को भी लुभाने में लगी है. गुजरात के मतदाताओं में करीब 15 फीसदी आदिवासी आबादी है. इतना ही नहीं गुजरात विधानसभा की 182 सीटों में से 27 आदिवासी समुदाय के लिए आरक्षित है. ऐसे में यह समुदाय कई चुनावी क्षेत्रों में अहम भूमिका में है. पार्टी ने अभी से इस समुदाय को साधने की कवायद शुरू कर दी है.
इसका सबसे बड़ा उदाहरण राज्य के पर्यटन और तीर्थयात्रा विकास मंत्री पुरनेष मोदी की बीते हफ्ते की गई घोषणा है. उन्होंने ऐलान किया था कि आदिवासी समुदाय का कोई भी शख्स यदि अयोध्या में राम मंदिर जा रहा है तो उसे सरकार की तरफ से 5 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी.
गुजरात की आदिवासी आबादी एक समय में कांग्रेस का मजबूत वोट बैंक हुआ करता था लेकिन अब यह बंट चुका है.
इस बीच बीजेपी अपने कार्यकर्ताओं के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम भी करवा रही है. यह ट्रेनिंग कार्यक्रम 16 अक्टूबर से शुरू हुआ था और 27 अक्टूबर तक चलेगा. इसके तहत राज्य की 41 जगहों पर तीन-तीन दिन का ट्रेनिंग कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा. जिसके तहत 33 जिलों और आठ नगर निगमों को कवर किया जाएगा. ट्रेनिंग का मुख्य मकसद कार्यकर्ताओं को बीजेपी की विचारधारा, इतिहास और जनसंघ के साथ ही मौजूद राजनीतिक स्थिति में बीजेपी की भूमिका के बारे में बताना है.
गुजरात की नई बीजेपी सरकार फिलहाल अपनी छवि बदलने में जुटी हुई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद में सरदारधाम भवन का उद्घाटन किया था और 11 सितंबर को सरदारधाम फेज -2 के लिए एक बालिका छात्रावास के लिए भूमि पूजन किया था. पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री ने सूरत में सौराष्ट्र पटेल सेवा समाज द्वारा निर्मित छात्रावास के लिए भूमि पूजन किया.
गुजरात सरकार के मंत्री लगातार एक्शन में दिख रहे हैं. वहीं वरिष्ठ मंत्रियों ने सार्वजनिक बयान देकर अधिकारियों को अधिक जन-समर्थक स्टैंड लेने के लिए कहा है.
छवि बदलने की कवायद के तहत ही सभी मंत्रियों और नौकरशाहों को सोमवार और मंगलवार को अपने-अपने दफ्तरों में अनिवार्य रूप से मौजूद रहने के लिए कहा गया है ताकि वे तमाम समस्याओं से जूझ रहे लोगों से मिल सकें.