मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने शनिवार को कहा कि मणिपुर में राष्ट्रपति शासन के बीच फिर से एक निर्वाचित सरकार बनाने की कोशिशें चल रही हैं.
बीजेपी और उसके सहयोगी दल जल्द से जल्द राज्य में एक लोकप्रिय सरकार लाना चाहते हैं.
बीजेपी के प्रदेश मुख्यालय में एक कार्यक्रम के दौरान पत्रकारों से बात करते हुए बीरेन सिंह ने कहा, “हमारी कोशिश है कि जल्द से जल्द मणिपुर में एक नई सरकार बने. हम एक राष्ट्रीय पार्टी हैं और हम ज़मीनी हालात को देखते हुए आगे बढ़ रहे हैं. मुझे पूरा विश्वास है कि सरकार का गठन शीघ्र होगा.”
उन्होंने आगे कहा कि बीजेपी और उसके सहयोगी दल राज्य में लोकतांत्रिक सरकार की बहाली के पक्ष में हैं और इसके लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं. इसके लिए विधायकों की बैठकें भी हो रही हैं.
बीरेन सिंह ने कहा कि उनकी पार्टी किसी भी पक्ष की आलोचना नहीं कर रही है बल्कि उनका पूरा ध्यान वर्तमान संकट को सुलझाने पर है.
उन्होंने कहा, “हम केंद्र सरकार और अन्य ज़िम्मेदार लोगों से बातचीत कर रहे हैं ताकि कोई शांतिपूर्ण हल निकले. पिछले सात-आठ महीनों में समुदायों के बीच कोई बड़ी हिंसा की खबर नहीं आई है, जो एक सकारात्मक संकेत है.”
पूर्व मुख्यमंत्री ने दावा किया कि केंद्र सरकार मणिपुर में शांति स्थापित करने के लिए लगातार और गंभीर प्रयास कर रही है. उन्होंने कहा कि इस दिशा में कई स्तरों पर काम चल रहा है और सभी का एक उद्देश्य मणिपुर में सामान्य स्थिति की बहाली है.
एक सवाल के जवाब में बीरेन सिंह ने कहा कि मणिपुर ही नहीं बल्कि पूरा उत्तर-पूर्वी क्षेत्र और देश अवैध घुसपैठ और नशे के कारोबार से प्रभावित हो रहा है. धीरे-धीरे सभी लोग इस खतरे को समझने लगे हैं. यह एक सकारात्मक बदलाव है और हम मिलकर इन चुनौतियों का सामना कर सकते हैं.
गौरतलब है कि जब मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने इस्तीफा दिया था, उसके बाद 13 फरवरी 2025 को मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाया गया था.
हालांकि विधानसभा को भंग नहीं किया गया है बल्कि ‘सस्पेंडेड एनिमेशन’ यानी निलंबित स्थिति में रखा गया है. यानी विधानसभा अब भी वैध है लेकिन कार्य नहीं कर रही है. इसकी अवधि 2027 तक है.
मई 2023 से मणिपुर में मैतई और कुकी-ज़ो समुदायों के बीच हिंसा शुरू हुई थी जिसमें अब तक 260 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और हजारों लोग बेघर हो चुके हैं.
इस संकट ने राज्य को राजनीतिक और सामाजिक दोनों ही रूप से अस्थिर कर दिया.
अब जबकि हिंसा की घटनाएं कम हो रही हैं और विभिन्न पक्षों के बीच बातचीत हो रही है, राज्य में लोकतांत्रिक सरकार की वापसी की उम्मीद बढ़ रही है.
अगर सब कुछ ठीक रहा तो आने वाले समय में मणिपुर में फिर से एक चुनी हुई सरकार देखने को मिल सकती है.