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मणिपुर में शांति व्यवस्था भंग करने के लिए मुख्यमंत्री का फर्जी ऑडियो क्लिप जारी किया गया : सरकार

पुलिस ने एक समुदाय के खिलाफ कुछ आपत्तिजनक टिप्पणियों वाले इस कथित ऑडियो क्लिप का सोर्स पता लगाने के लिए जांच शुरू कर दी है.

एक साल से भी ज्यादा वक्त से हिंसा की आग में झुलस रहा मणिपुर अभी भी शांति की राह देख रहा है. राज्य में आए दिन अभी भी हिंसा की छुटपुट घटनाएं घटित हो रही है.

इस बीच एक ऑडियो क्लिप काफी वायरल हो रहा है…जिसे लेकर दावा किया जा रहा है कि ऑडियो क्लिप में आवाज मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की है और उन्होंने कुछ समुदायों के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की है.

लेकिन राज्य सरकार ने ऑडियो क्लिप को ‘फर्जी’ करार दिया और कहा कि वह कथित ऑडियो क्लिप मणिपुर में शांति व्यवस्था भंग करने के मकसद से जारी किया गया है.

राज्य सरकार ने एक बयान में कहा, ‘‘सरकार के संज्ञान में आया है कि एक ‘ऑडियो रिकॉर्डिंग’ सोशल मीडिया मंचों पर प्रसारित की जा रही है जिसमें मणिपुर के मुख्यमंत्री की आवाज होने का झूठा दावा किया गया है.’’

एक बयान में कहा गया है ‘‘यह छेड़छाड़ किया गया ऑडियो कुछ वर्गों द्वारा सांप्रदायिक हिंसा भड़काने या विभिन्न स्तरों पर शुरू की गई शांति प्रक्रिया को पटरी से उतारने का दुर्भावनापूर्ण प्रयास है.’’

बयान में आगे कहा गया है कि मणिपुर पुलिस मामले की सक्रियता से जांच कर रही है और दुष्प्रचार वाले इस अभियान के स्रोत को उजागर करने के लिए प्रतिबद्ध है. साथ ही इस ‘‘षड्यंत्र’’ में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

पुलिस ने एक समुदाय के खिलाफ कुछ आपत्तिजनक टिप्पणियों वाले इस कथित ऑडियो क्लिप का सोर्स पता लगाने के लिए जांच शुरू कर दी है.

मणिपुर सरकार ने इस बात पर जोर दिया कि शांति की बहाली उसके लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है.

दरअसल, बुधवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक ऑडियो रिकॉर्डिंग वायरल हुई थी, जिसमें एक शख्स को मैतेई भाषा में कई और लोगों से बात करते सुना जा सकता है.

कुकी छात्र संगठन (केएसओ) ने एक बयान में दावा किया कि ऑडियो क्लिप में बीरेन सिंह का बयान है, जिसमें वो अपने गुटों के साथ एक बंद दरवाजे की बैठक में बोल रहे हैं कि उन्होंने मैतेई सभ्यता को बचाने के लिए कुकी-ज़ो लोगों के खिलाफ युद्ध शुरू किया था.

आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए मणिपुर सरकार ने कई सोशल मीडिया यूजर्स के स्क्रीनशॉट साझा करते हुए दावा किया कि उनके पास कई लोगों के ऐसे ही कमेंट आए हैं.

मणिपुर में पिछले एक साल से भी ज्यादा वक्त से हिंसा जारी है. दरअसल, मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में पिछले साल 3 मई को पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें शुरू हुई थीं.

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