HomeAdivasi Dailyबुनियादी सुविधाओं के नाम पर कब तक आदिवासियों को मिलेगा आश्वासन?

बुनियादी सुविधाओं के नाम पर कब तक आदिवासियों को मिलेगा आश्वासन?

सड़क के अभाव का पता चलने के बाद जब 3 करोड़ का बजट आवंटित किया गया उसके बाद भी क्यों नहीं बनी सड़क? कब तक आदिवासियों को विकास के नाम पर सिर्फ आश्वासन मिलेगा?

आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीताराम राजू (ASR) ज़िले के बुरीगा और चिना कोनेला पहाड़ी बस्तियों के आदिवासियों ने अपने गांवों तक सड़क निर्माण के लिए ‘वन अनुमति’ की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया. 

CPI (M) के ज़िला सचिवालय सदस्य के. गोविंदा राव ने चेतावनी दी कि यदि जल्द ही अनुमति नहीं दी गई तो विशाखापट्टनम में मुख्य वन संरक्षक (CCF) कार्यालय के सामने बड़ा आंदोलन होगा.

प्रदर्शनकारियों ने सवाल उठाया कि जब ग्रेनाइट खदानों और पावर प्लांट्स के लिए वन मंजूरी में कोई देरी नहीं होती तो फिर आदिवासियों की बुनियादी जरूरतों को क्यों रोका जा रहा है?

प्रशासन की अनदेखी

अल्लूरी सीताराम राजू (ASR) ज़िले के बुरीगा और चिना कोनेला गांव पहाड़ियों पर बसे हुए हैं, जहां आज भी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है.

जुलाई 2024 में ज़िला प्रशासन ने वोनिजा से चिना कोनेला तक सड़क निर्माण के लिए ₹3 करोड़ की मंजूरी दी थी.

इस सड़क से आसपास के पांच और गांवों को भी लाभ मिलता लेकिन वन विभाग की अनुमति न मिलने के कारण अब तक कार्य शुरू नहीं हो सका है.

जब बेटे का शव गोद में उठाकर पहाड़ चढ़ना पड़ा

इस सड़क की जरूरत कितनी अहम है, इसका सबसे दर्दनाक उदाहरण अप्रैल 2024 में देखने को मिला था. चिना कोनेला के सारा कोट्टैया और उनकी पत्नी को अपने डेढ़ साल के बेटे एस्वर राव का शव गोद में उठाकर पहाड़ चढ़ना पड़ा था.

बीते वर्ष कोट्टैया अपने परिवार के साथ गुन्टूर ज़िले में एक ईंट-भट्ठे में मज़दूरी करने गए थे. वहां उनका बच्चा बीमार पड़ गया और अस्पताल में भर्ती कराने के बावजूद उसकी मौत हो गई.

अस्पताल ने शव गांव तक ले जाने के लिए एंबुलेंस की व्यवस्था की, लेकिन खराब सड़क के कारण ड्राइवर ने वोनिजा गांव में ही उतार दिया.

माता-पिता अपने मासूम बेटे का शव गोद में उठाकर अंधेरी रात में, 8 किलोमीटर तक पैदल चले. यह घटना मीडिया की सुर्खियों में रही, जिसके बाद प्रशासन ने सड़क निर्माण के लिए बजट जारी किया, लेकिन वन विभाग की मंजूरी न मिलने से काम शुरु ही नहीं हुआ.

आदिवासियों का सवाल: कब मिलेगा न्याय?

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वे सड़क निर्माण के लिए कई बार अधिकारियों से गुहार लगा चुके हैं लेकिन उन्हें सिर्फ़ आश्वासन ही मिला.

वन विभाग खदानों और उद्योगों के लिए मंजूरी दे सकता है, लेकिन जब आदिवासियों के अधिकारों की बात आती है तो नियमों का हवाला दिया जाता है.

अब CPI (M) के सदस्य के. गोविंदा राव ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही मंज़ूरी नहीं दी गई तो आंदोलन तेज़ होगा.

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