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वन अधिकारी और आदिवासी आमने-सामने, आदिवासी घरों की बेतरतीब तलाशी को लेकर तनाव

मामला एक गिरोह के दस शिकारियों की गिरफ़्तारी का है. जांच ने इलाक़े के आदिवासियों को नाराज कर दिया है. वो दावा कर रहे हैं कि अधिकारी बिना किसा ठोस जानकारी के जगह-जगह रेड कर रहे हैं, और उन्हें निशाना बना रहे हैं.

तेलंगाना में कागज़नगर में वन अधिकारियों और आदिवासियों के बीच गहरा विवाद खड़ा हो गया है. विवाद के पीछे वन अधिकारियों द्वारा दस शिकारियों की गिरफ़्तारी है. इलाक़े के आदिवासियों का आरोप है कि वन अधिकारी अपनी कार्रवाई के दौरान बिना किसी प्रासंगिक जानकारी के तलाशी कर रहे थे, और आदिवासियों को निशाना बना रहे थे.

मामला एक गिरोह के दस शिकारियों की गिरफ़्तारी का है. इन शिकारियों से एक बाघ की खाल को भी ज़ब्त किया गया था. यह शिकारी इसे कागज़नगर डिवीज़न से आदिलाबाद ज़िले के इंद्रवेली मंडल से महाराष्ट्र ले जा रहे थे. शिकारियों ने हीरापुर वन क्षेत्र में बाघ का शिकार किया था.

जांच के हिस्से के रूप में कागज़नगर, उत्नूर और इंद्रवेली के वन अधिकारियों ने पुलिस अधिकारियों के साथ वडगांव और हीरापुर वन क्षेत्रों का दौरा किया और उस जगह का निरीक्षण किया जहां बाघ को मारा गया था. उन्होंने इंद्रवेली मंडल में एक राजस्व कर्मचारी को भी हिरासत में लिया.

हालांकि, जांच ने इलाक़े के आदिवासियों को नाराज कर दिया है. वो दावा कर रहे हैं कि अधिकारी बिना किसा ठोस जानकारी के जगह-जगह रेड कर रहे हैं, और उन्हें निशाना बना रहे हैं.

वन अधिकारियों के क़दम का विरोध करने के लिए आदिवासी हकुला पोराटा समिति (तुडुम डेब्बा) के नेताओं और दूसरे आदिवासियों ने इंद्रवेली ब्लॉक मुख्यालय में आदिलाबाद-मंचेरियल रोड पर रास्ता रोको आभियान चलाया. उन्होंने कागज़नगर वन अधिकारियों की गाड़ियों को रोका, और उनके टायरों से हवा निकाल दी.

तुडुम डेब्बा के जिलाध्यक्ष गोड्डम गणेश ने आरोप है लगाया कि गिरफ़्तार किया गया इंद्रवेली राजस्व अधिकारी निर्दोष है. उन्होंने कहा, “तलाशी करने के बहाने, वन अधिकारी आदिवासियों के घरों में जूते पहनकर घुस गए. यह आदिवासियों के लिए अपमानजनक है, क्योंकि दीपावली के पास आने की वजह से वो घर पर पूजा कर रहे थे.”

गणेश ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि जंगल में रहने वाले आदिवासियों ने हमेशा सिर्फ़ जंगल की रक्षा की है, और इसे कभी नष्ट नहीं किया है. उनका यह भी आरोप है कि बाघों के शिकार में खुद वन अधिकारी और कर्मचारी शामिल हैं, क्योंकि वो अपने घरों को सजाने के लिए बाघों के नाखून और खाल, और जंगलों से सागौन की लकड़ी का उपयोग करते हैं.

“यह चीज़ें आदिवासियों के घरों में कैसे आएंगी, जहां बांस के दरवाज़े हैं?”

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