ओडिशा के 7,300 डाकघरों में से 221 में इंटरनेट कनेक्टिविटी नहीं है. और इनमें भी ज़्यादातर आदिवासी बहुल ज़िलों में हैं. नेटवर्क के बिना वाले 221 डाकघरों में से 202 मलकानगिरी, कोरापुट और कालाहांडी जैसे आदिवासी बहुल ज़िलों में हैं, बाकि के 19 संबलपुर और झारसुगुडा ज़िलों में हैं.
पहाड़ी और दूरदराज़ के इलाकों में मोबाइल टावरों की कमी के कारण, इन डाकघरों में इंटरनेट नहीं पहुंच पाया है. इंटरनेट न होने से इन डाकघरों के कर्मचारी दैनिक लेनदेन का डाटा, और दूसरा दैनिक डाटा ऑफ़लाइन मोड के माध्यम से फ़ीड करने को मजबूर हैं.
ओडिशा आर्थिक सर्वेक्षण (OES) 2018-19 के अनुसार, राज्य के 51,311 गांवों में से लगभग 11,000 गांवों में मोबाइल कनेक्टिविटी है ही नहीं. इन 11,000 गांवों में से लगभग 10,000 गांव माओवाद प्रभावित इलाक़ों में हैं.
31 जनवरी, 2020 को 87.45% की राष्ट्रीय औसत की तुलना में ओडिशा में वायरलेस टेली-डेन्सिटी (Wireless Tele-Density) 76.15% थी. सरकार ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि राज्य में टेली-डेन्सिटी सुधारने के लिए इन अछूते इलाक़ों में ज़्यादा मोबाइल टावर स्थापित करने होंगे, और उसके लिए विशेष फ़ंड की ज़रूरत है.

नेटवर्क की कमी सिर्फ़ डाकघरों के काम पर ही असर नहीं डालती है. इससे इलाक़े के छात्रों की पढ़ाई पर भी असर पड़ता है. पिछले एक साल से पढ़ाई ऑनलाइन शिफ़्ट होने से इंटरनेट बच्चों के लिए उतना ही ज़रूरी बन गया है, जितना कोई कॉपी, किताब या पेंसिल.
ओडिशा इकोनॉमिक सर्वे 2018-19 के अनुसार राज्य के 51,311 गांवों में से 20% से ज़्यादा में मोबाइल फ़ोन कनेक्टिविटी नहीं थी. राज्य में इंटरनेट की पहुंच 38.02 प्रतिशत के राष्ट्रीय औसत की तुलना में सिर्फ़ 28.22 प्रतिशत है. राज्य के स्कूल और जन शिक्षा विभाग ने माना कि पिछले साल 60 लाख स्कूली छात्रों में से एक तिहाई तक ऑनलाइन शिक्षा नहीं पहुंची थी.
हाल ही में ओडिशा के रायगड़ा ज़िले के पंडरगुडा गांव के एक आदिवासी लड़के के लिए बेहतर मोबाइल इंटरनेट कनेक्टिविटी की तलाश घातक साबित हुई थी. 13 साल के अंद्रिया जगरंगा एक पहाड़ी से फिसलकर गंभीर रूप से घायल हो गए, और बाद में दम तोड़ दिया.
ओडिशा के अलावा देश के अधिकांश आदिवासी इलाक़ों में यही हाल है.
गोवा में आदिवासी समुदायों के महासंघ गाकुवेद ने राज्य सरकार को आदिवासी गावों में इंटरनेट कनेक्टिविटी सुधारने के लिए कई सुझाव दिए हैं. ऑनलाइन शिक्षा के इस दौर में गोवा में ख़राब कनेक्टिविटी की वजह से राज्य के आदिवासी छात्रों की पढ़ाई पर भी बुरा असर पड़ा है.
गोवा में हर पंचायत में इंटरनेट की पहुंच का दावा है, तो ऐसे में राज्य के सभी गांवों को फ़ाइबर ऑप्टिक इंटरनेट से जोड़ा जा सकता है.
इसके अलावा गाकुवेद ने मांग की है कि ट्राइबल सब-प्लान के तहत राज्य के आदिवासी छात्रों को स्मार्टफ़ोन दिए जाएं, और हर इलाक़े में वाई-फ़ाई टावर लगाए जाएं.
गाकुवेद का कहना है कि क्यूपेम, सेंगुएम, बिचोली, सत्ताली और कानाकॉन जैसे ग्रामीण इलाक़ों में रहने वाले छात्र ज़्यादातर समय अपनी ऑनलाइन क्लास में शामिल नहीं हो पाते हैं. अगर उन्हें नेटवर्क मिलता भी है तो उसकी स्पीड 30केबीपीएस (30KBPS) ही होती है.
इसके अलावा संगठन ने स्कूलों को सुझाव दिया है कि टीचर अपने लेसन वीडियो पर रिकॉर्ड करें, और बच्चों को भेज दें. इससे जो बच्चे ऑनलाइन क्लास में शामिल नहीं हो पा रहे, वो बाद में इन वीडियोज़ को देख सकेंगे.