त्रिपुरा के वरिष्ठ आदिवासी नेता एन सी देबबर्मा का निधन हो गया है. एन सी देबबर्मा त्रिपुरा के वरिष्ठ मंत्री और राज्य में बीजेपी की सत्तारूढ़ सहयोगी IPFT के संस्थापक अध्यक्ष थे.
उन्हें शनिवार को ब्रेन स्ट्रोक के कारण अस्पताल में दाखिल किया गया था. लेकिन उनको बचाया नहीं जा सका और रविवार को उनका निधन हो गया.
सोमवार को उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ खोवाई जिले के उनके पैतृक गांव उत्तर महारानीपुर में किया गया. त्रिपुरा में बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार ने आदिवासी नेता के सम्मान में तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देबबर्मा के निधन पर शोक व्यक्त किया और कहा कि उन्हें आने वाली पीढ़ियां एक मेहनती जमीनी नेता के रूप में याद रखेंगी जिन्होंने हमेशा लोगों की भलाई के लिए काम किया।
मोदी ने श्रद्धांजलि देते हुए ट्वीट किया, ‘‘श्री एन. सी. देबबर्मा जी को आने वाली पीढ़ियां एक मेहनती जमीनी नेता के रूप में याद करेंगी, जिन्होंने हमेशा लोगों की भलाई के लिए काम किया. उन्होंने त्रिपुरा की प्रगति में बहुमूल्य योगदान दिया. उनके निधन से दुख हुआ. उनके परिवार और समर्थकों के प्रति संवेदना.ओम शांति.’’
वहीं मुख्यमंत्री माणिक साहा ने देबबर्मा के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है. उन्होंने एक फेसबुक पोस्ट में कहा, ‘‘राज्य मंत्रिमंडल के एक वरिष्ठ सदस्य – एन सी देबबर्मा के निधन से मुझे गहरा दुख हुआ है और शोक संतप्त परिवार के प्रति मेरी गहरी संवेदना है. उनकी दिवंगत आत्मा को शांति मिले.’’
IPFT यानी इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा’ के प्रवक्ता अमित देबबर्मा ने बताया कि राज्य के राजस्व एवं वन मंत्री की हालत पिछले कुछ महीनों से ठीक नहीं थी और वह मधुमेह से भी पीड़ित थे. शनिवार को ब्रेन स्ट्रोक हुआ जिसके बाद उन्हें यहां एक सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी सर्जरी हुई, लेकिन रविवार दोपहर बाद 2 बजकर 45 मिनट पर उन्होंने आखिरी सांस ली.
एन सी देबबर्मा 80 वर्ष के थे. उनके परिवार में उनकी पत्नी, चार बेटे और तीन बेटियां हैं. ऑल इंडिया रेडियो, अगरतला के निदेशक के रूप में अपनी सेवानिवृत्ति के बाद देबबर्मा ने 2009 में आईपीएफटी की स्थापना की थी.
उन्होंने 2018 के विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा के साथ गठबंधन किया और 25 साल से सत्तारुढ़ माणिक सरकार के नेतृत्व वाली वाममोर्चा सरकार को सत्ता से बेदखल कर दिया.
आईपीएफटी ने उनके नेतृत्व में पिछले विधानसभा चुनाव में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित आठ सीट पर जीत हासिल की थी.