HomeAdivasi Dailyआदिवासी निगम में 94 करोड़ का घोटाले कैसे किया गया

आदिवासी निगम में 94 करोड़ का घोटाले कैसे किया गया

भारतीय कंपनी अधिनियम 1956 के तहत स्थापित, KMVSTDC कर्नाटक के अनुसूचित जनजाति कल्याण मंत्रालय का एक हिस्सा है. यह स्वरोजगार योजनाओं के तहत सब्सिडी और लोन प्रदान करता है और आदिवासी समुदाय के आर्थिक विकास के लिए स्किल ट्रेनिंग देते हैं.

कर्नाटक सरकार (Karnataka government) के अनुसूचित जनजाति कल्याण मंत्री बी नागेंद्र (B Nagendra) ने राज्य के आदिवासी विकास निकाय (Tribal development body) से जुड़े 94 करोड़ रुपये के घोटाले के आरोपों के बीच गुरुवार (6 जून) को अपने पद से इस्तीफा दे दिया.

कर्नाटक महर्षि वाल्मीकि अनुसूचित जनजाति विकास निगम (KMVSTDC) के अधीक्षक की 26 मई को कथित तौर पर आत्महत्या के बाद नागेंद्र को हटाने की मांग की गई.

राज्य में विपक्षी दल भाजपा ने जांच की मांग की है, जबकि जेडी(एस) के प्रदेश अध्यक्ष एच डी कुमारस्वामी (H D Kumaraswamy) ने आरोप लगाया कि धन की हेराफेरी कांग्रेस आलाकमान के निर्देशों पर हुई है.

कथित घोटाला कैसे सामने आया?

भारतीय कंपनी अधिनियम 1956 के तहत स्थापित, KMVSTDC कर्नाटक के अनुसूचित जनजाति कल्याण मंत्रालय का एक हिस्सा है. यह स्वरोजगार योजनाओं के तहत सब्सिडी और लोन प्रदान करता है और आदिवासी समुदाय के आर्थिक विकास के लिए स्किल ट्रेनिंग देते हैं.

कथित घोटाला तब सामने आया जब शिवमोगा निवासी और KMVSTDC के अधीक्षक पी चंद्रशेखरन की आत्महत्या से मौत की खबर आई.

उन्होंने छह पन्नों का एक सुसाइड नोट लिखा जिसमें उन्होंने निगम में कुछ अनियमितताओं का उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि संगठन के भीतर भ्रष्टाचार को उजागर न करने के लिए उन पर बहुत दबाव था.

शिवमोगा पुलिस ने इसके बाद आत्महत्या के लिए उकसाने के लिए आईपीसी की धारा के तहत अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज किया.

इसके बाद शिवमोगा के भाजपा विधायक एस एन चन्नबसप्पा (S N Channabasappa) ने बाद में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्र दिखाते हुए सरकार से मामले की जांच करने को कहा.

चन्नबसप्पा ने दावा किया कि निगम को अपने विभिन्न खातों में कुल 187.3 करोड़ रुपये का अनुदान मिला था. जिसमें से 85 करोड़ रुपये अन्य खातों में ट्रांसफर कर दिए गए और संदेह है कि उन्हें गबन कर लिया गया है.

कथित घोटाला क्या है?

29 मई को केएमवीएसटीडीसी के प्रबंध निदेशक ए राजशेखर ने शिकायत दर्ज कराई थी कि निगम के यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (UBI) खाते से 94.73 करोड़ रुपये की राशि गबन कर ली गई.

उन्होंने कहा कि बोर्ड के प्रस्तावों पर फर्जी हस्ताक्षर करके 94 करोड़ 73 लाख 8 हज़ार 500 रुपये अवैध रूप से विभिन्न खातों में ट्रांसफर कर दिए गए.

राजशेखर ने कहा कि उन्होंने 23 मई को बैंक की एमजी रोड शाखा के मुख्य प्रबंधक को सूचित किया था. इसके बाद निगम को तुरंत 5 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर दिए गए.

उन्होंने एफआईआर में यह भी कहा कि उन्होंने सीसीटीवी फुटेज मांगी थी लेकिन बैंक ने अभी तक उन्हें उपलब्ध नहीं कराया है. इसके बाद निगम ने 27 मई को यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के उप महाप्रबंधक (पूर्व) को पूरी राशि जमा करने के लिए पत्र लिखा.

इसके बाद पुलिस ने 28 मई को बेंगलुरु के हाई ग्राउंड्स पुलिस स्टेशन में कुछ यूबीआई अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया. अन्य धाराओं के अलावा आईपीसी की धारा 149 (सामान्य उद्देश्य के लिए गैरकानूनी सभा), 409 (लोक सेवकों, बैंकरों आदि द्वारा आपराधिक विश्वासघात), 420 (धोखाधड़ी) और 467 (जालसाजी) लगाई गई.

राज्य सरकार ने आपराधिक जांच विभाग (CID) में आर्थिक अपराध के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक मनीष खरबीकर की अध्यक्षता में एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन भी किया.

जांच क्या कहती है?

इस मामले में अभी तक प्राप्त दस्तावेजों के हवाले बताया जा रहा है कि 31 मार्च को कुछ संगठनों के नाम पर हैदराबाद के आरबीएल बैंक (पूर्व में रत्नाकर बैंक) में खोले गए फर्जी खातों में पैसा ट्रांसफर किया गया था.

एसआईटी जांच के मुताबिक, 31 मार्च को वित्तीय वर्ष समाप्त होने पर राज्य के खजाने से 50 करोड़ रुपये यूबीआई के साथ निगम के प्राथमिक खाते में ट्रांसफर किए गए थे. उस समय खाते में 187.33 करोड़ रुपये थे.

उसी दिन एक बोर्ड बैठक में यह निर्णय लिया गया कि 12 महीने के लिए 50 करोड़ रुपये सावधि जमा के रूप में बचाए जाएंगे. साथ ही उसी दिन 50 करोड़ रुपये की सावधि जमा को सुरक्षा के रूप में दिखाकर 45 करोड़ रुपये का लोन लिया गया था.

एक पुलिस अधिकारी ने कहा, “ये सभी लेन-देन एक ही दिन में हुए. बैंक अधिकारियों के अलावा, निगम के भीतर भी कई लोग इसमें शामिल हैं.”

आगे की जांच में पता चला कि जिन 15 खातों में पैसे ट्रांसफर किए गए, उनमें से नौ 31 मार्च को हैदराबाद के आरबीएल बैंक में खोले गए थे.

इसके बाद एसआईटी पुलिस ने हैदराबाद से केएमवीएसटीडीसी के पूर्व एमडी जेजे पद्मनाभ, अकाउंट ऑफिसर परशुराम जी दुरुगनवर और फर्स्ट फाइनेंस क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड के चेयरमैन सत्यनारायण को गिरफ्तार किया. पुलिस को संदेह है कि फर्जी खाते बनाने में सत्यनारायण की बड़ी भूमिका थी.

3 जून को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने यूबीआई के उप महाप्रबंधक और बेंगलुरु पूर्व के क्षेत्रीय प्रमुख महेशा जे की शिकायत के आधार पर मामला दर्ज किया.

एफआईआर में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की एमजी रोड शाखा की तत्कालीन प्रमुख सुचिस्मिता राउल, उसी शाखा की तत्कालीन उप शाखा प्रमुख दीपा डी के साथ ही कुछ निजी व्यक्तियों और सरकारी कर्मचारियों के नाम शामिल हैं.

विपक्ष और सरकार ने क्या कहा?

भाजपा ने बी नागेंद्र को बर्खास्त न किए जाने पर कर्नाटक सरकार के खिलाफ अभियान शुरू करने की धमकी दी थी. साथ ही सरकार को पत्र लिखकर उनके इस्तीफे की मांग की थी.

भाजपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने मीडिया से कहा कि भ्रष्टाचार का मामला वित्त मंत्रालय की मंजूरी के बिना नहीं हो सकता.

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के पास यह विभाग है.

वहीं जेडीएस नेता एच डी कुमारस्वामी ने आरोप लगाया कि तेलंगाना में 14 खातों में अवैध रूप से पैसे ट्रांसफर करना कांग्रेस आलाकमान के इशारे पर किया गया.

उन्होंने कहा, “इससे पता चलता है कि कांग्रेस ने विभिन्न राज्यों में चुनावों के लिए कर्नाटक से धन भेजा है.”

दबाव बढ़ने के बाद नागेंद्र ने गुरुवार को सीएम सिद्धारमैया को अपना इस्तीफा सौंप दिया. यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें कथित अनियमितताओं के बारे में पता था, नागेंद्र ने कहा, “मुझे इसकी बिल्कुल जानकारी नहीं थी और जब यह मामला जब सामने आया तो मैंने अपने इसी कार्यालय से मैनेजिंग डायरेक्टर को निलंबित कर दिया. ऐसा कोई तरीका नहीं है जिससे सरकार घोटाले में शामिल किसी भी व्यक्ति को बचा सके.”

जब उनसे एक ऑडियो क्लिप के बारे में पूछा गया, जो व्यापक रूप से प्रसारित हो रही है, जिसमें एक संदिग्ध व्यक्ति को एक “मंत्री” का जिक्र करते हुए सुना जा सकता है, जो लेन-देन से वाकिफ था.

तो चार बार के विधायक ने कहा, “उसने मेरा नाम नहीं लिया है और सिर्फ मंत्री शब्द बोलने का मतलब यह नहीं है कि यह मेरे बारे में है. एसआईटी मामले की जांच कर रही है… अगर मैं जांच के दौरान मंत्री पद पर हूं तो इससे समस्याएं पैदा हो सकती हैं. इसे देखते हुए मैंने यह फैसला (इस्तीफा देने का) लिया है.”

बी नागेंद्र ने अपने खिलाफ आरोपों को निराधार बताया.

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