केरल के कण्णूर ज़िले में 3,500 एकड़ में फैले आरलम फ़ार्म वन्यजीव अभयारण्य में रहने वाले 1,515 आदिवासी परिवारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए केरल हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को कहा है.
यह आदिवासी परिवार लंबे समय से जंगली हाथियों के हमलों से जूझ रहे हैं. अब हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है कि वो 18 महीने के अंदर बस्ती के चारों तरफ़ दीवार बनाने का काम पूरा करे.
सरकार ने 36 महीने का समय मांगा था, जिसे कोर्ट ने मना कर दिया. कोर्ट ने सरकार से कहा है कि 3.5 किलोमीटर की बाड़ लगाने के अलावा, 10.5 किलोमीटर की कंक्रीट की दीवार का निर्माण जल्द पूरा हो.
इसके लिए 22 करोड़ रुपये पहले ही मंजूर किए जा चुके हैं, और पूरी परियोजना का अध्ययन भी हो चुका है.
कोर्ट ने यह भी कहा कि चूंकि लोक निर्माण विभाग अभी ही इस परियोजना में शामिल हुआ है, इसलिए उसे काम पूरा करने के लिए 18 महीने का समय दिया जा सकता है, जिसमें टेंडर को जारी करना और अंतिम रूप देना भी शामिल होगा.
शुरु में यह काम राज्य के एससी/एसटी विभाग को सौंपा गया था, लेकिन वह इसे पूरा नहीं कर सका. इसके बाद लोक निर्माण विभाग ने यह ज़िम्मा उटाया है.
कोर्ट के आदेश में कहा गया है, ”कंक्रीट की दीवार बनाने का निर्णय बहुत पहले हो चुका है और इसलिए उस क्षेत्र में रहने वाले आदिवासियों के जीवन और संपत्ति की रक्षा के लिए निर्माण बिना किसी देरी के पूरा किया जाना चाहिए.”
कोर्ट ने यह भी कहा कि जब तक ‘उचित और समय-समय पर निगरानी’ नहीं होगी काम पूरा नहीं होगा. इसलिए, केरल सरकार के मुख्य सचिव को संबंधित अधिकारियों को काम शुरू और समय पर पूरा करने के लिए उचित निर्देश जारी करने के लिए कहा गया है.
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क़रीब 1,515 आदिवासी परिवार आरलम फ़ार्म आदिवासी बस्ती में सरकार द्वारा दी गई भूमि पर 2004 से रह रहे हैं. लेकिन अलग-अलग वजहों से – जैसे वन क्षेत्र की वृद्धि, जंगली जानवरों, ख़ासतौर पर जंगली हाथियों का हमला, आवंटित भूखंडों की सही पहचान न होना, परिवहन और स्कूलों की कमी, और भारी वित्तीय संकट ने कई आदिवासियों को बस्ती से दूर रखा है.
नाबार्ड (NABARD) ने आरलम फ़ार्म पुनर्वास क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिए 167 करोड़ रुपये का प्रस्ताव दिया है, और किटको (KITCO) ने परियोजना के पहले चरण के लिए एक रिपोर्ट भी तैयार की है.
कोर्ट ने इस बात पर ज़ोर दिया कि इन योजनाओं और सरकारी कार्यक्रमों के अप्रभावी और ख़राब कार्यान्वयन की वजह से इन आदिवासियों का जीवन अभी भी मुश्किल में है. हाल ही में जंगली हाथियों के हमले से हुई मौतों ने इस मुद्दे को जटिल बना दिया है और आदिवासियों का पलायन बढ़ गया है.
हाई कोर्ट का यह आदेश आदिवासी बस्ती के कुछ निवासियों द्वारा दायर की गई एक याचिका का निपटारा करते हुए आया. याचिका में राज्य सरकार को किसी भी तरह से आरलम बस्ती में जंगली हाथियों के प्रवेश को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने का निर्देश देने की मांग की गई थी.
आरलम फ़ार्म में कई आदिवासी समुदाय रहते हैं. इनमें पनिया, करिम्बला, कुरिच्या, माविलन, कुरुमर, काट्टुनायकन, कणिकारन, अडिया और मलवेट्टुवा आदिवासी समुदाय शामिल हैं.