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महाराष्ट्र के 16 आदिवासी जिलों में 15 हजार से ज्यादा नाबालिग लड़कियां बनी मां

मंगल प्रभात लोढा ने कहा कि बाल विवाह कुछ जनजातियों में परंपरा का हिस्सा है. इसलिए ऐसे मामलों की पहचान करना मुश्किल हो जाता है. हालांकि मंत्री लोढ़ा ने ये भी माना कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार, केरल की तुलना में महाराष्ट्र में बाल विवाह की अधिक घटनाएं हुई हैं.

महाराष्ट्र के आदिवासी जिलों से चौंकाने वाली खबर सामने आई है. राज्य के आदिवासी जिलों में बीते तीन साल में 15 हजार से अधिक नाबालिग लड़कियां गर्भवती हुई हैं. महिला एवं बाल विकास मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा ने मंगलवार को विधान परिषद में यह जानकारी साझा की.

उन्होंने बताया कि राज्य के 16 आदिवासी बहुल जिलों में पिछले तीन वर्षों में 15 हजार 253 नाबालिग लड़कियां मां बनी हैं.

मंत्री लोढ़ा विधान परिषद में बाल विवाह पर एक सवाल का जवाब दे रहे थे. एक लिखित जवाब में मंगल लोढ़ा ने कहा कि जो आंकड़े सामने आए हैं उसके अनुसार विभाग ने इसकी जानकारी जुटाने के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है.

यह पूछे जाने पर कि क्या राज्य में पिछले तीन वर्षों में 15 हजार से अधिक बाल विवाह की सूचनाएं मिली हैं और क्या इनमें से 10 फीसदी को रोका जा सकता था. इस पर लोढ़ा ने अपने लिखित उत्तर में कहा कि यह आंशिक रूप से सच है.

मंगल प्रभात लोढा ने कहा कि बाल विवाह कुछ जनजातियों में परंपरा का हिस्सा है. इसलिए ऐसे मामलों की पहचान करना मुश्किल हो जाता है. हालांकि मंत्री लोढ़ा ने ये भी माना कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार, केरल की तुलना में महाराष्ट्र में बाल विवाह की अधिक घटनाएं हुई हैं.

लोढ़ा ने कहा कि साल 2019 से 2021 के बीच बाल विवाह निषेध अधिनियम के तहत 152 आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें से 136 अदालत में हैं.

इस मामले पर चिंता जताते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने पिछले साल कहा था कि राज्य सरकार को बालिकाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए आदिवासी समुदाय को संवेदनशील बनाना चाहिए.

कोर्ट ने कहा था कि आदिवासियों के अपने रीति-रिवाज और रस्में हैं. आदिवासी समाज को भी अपनी बच्चियों की रक्षा के लिए काम करना चाहिए. साथ ही बाल अधिकारों की रक्षा को लेकर कदम उठाना शासन का काम है. बाल विवाह के बढ़ते हुए मामलों को देखते हुए साफ है कि जागरूकता कितनी जरूरी है.

संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनीसेफ ने साल 2021 में अपनी एक रिपोर्ट कुछ आंकड़े पेश किए थे जिसके मुताबिक भारत में 23 करोड़ से ज्यादा बाल वधू है और हर साल करीब 15 लाख लड़कियों की शादी 18 साल से कम उम्र में हो जाती है.

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