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मणिपुर: गिरफ्तार आदिवासी छात्र नेताओं को ‘सबूत के अभाव में’ रिहा किया गया

एटीएसयूएम स्वायत्त जिला परिषद (एडीसी) संशोधन विधेयक 2021 को राज्य विधानसभा के मानसून सत्र में पेश करने के लिए दबाव बना रहा है. एडीसी विधेयक पहाड़ी क्षेत्रों में अधिक वित्तीय और प्रशासनिक स्वायत्तता की मांग करता है ताकि इंफाल पर्वतीय क्षेत्र, घाटी क्षेत्र के समान विकास कर सके.

मणिपुर (पहाड़ी क्षेत्रों) स्वायत्त जिला परिषद विधेयक 2021 (Manipur (Hill Areas) Autonomous District Council Bill 2021) को पारित करने की मांग को लेकर इंफाल में गिरफ्तार किए गए पांच आदिवासी छात्रों को सोमवार को “सबूत के अभाव में” रिहा कर दिया गया.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर (All Tribal Student’s Union Manipur) के नेताओं को, जिन्हें 2 अगस्त की सुबह बंद और नाकाबंदी लगाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने शाम लगभग 6:30 बजे रिहा कर दिया.

रिहाई से पहले, आदिवासी छात्र समूहों और सरकार के प्रतिनिधियों ने कथित तौर पर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए, जिसे सोशल मीडिया पर प्रकाशित किया गया था.

समझौता ज्ञापन में कहा गया है कि मणिपुर हिल एरिया जिला परिषदों के सातवें और छठे संशोधन बिल को हिल एरिया कमेटी (Hill Areas Committee) को भेज दिया गया है और समिति विधानसभा में उनकी सिफारिश करने से पहले विचार-विमर्श करेगी.

इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने वालों में से एक, ऑल नागा स्टूडेंट्स एसोसिएशन मणिपुर के अध्यक्ष पीटर वांग्लर थिर्टुंग वांग्लर ने कहा, “हम अपने नेताओं को रिहा करने के लिए समझौते के लिए सैद्धांतिक रूप से सहमत हैं. हालांकि, हम एक बैठक बुलाएंगे और अपने रुख के बारे में एक आधिकारिक बयान जारी करेंगे.”

एटीएसयूएम स्वायत्त जिला परिषद (एडीसी) संशोधन विधेयक 2021 को राज्य विधानसभा के मानसून सत्र में पेश करने के लिए दबाव बना रहा है. एडीसी विधेयक पहाड़ी क्षेत्रों में अधिक वित्तीय और प्रशासनिक स्वायत्तता की मांग करता है ताकि इंफाल पर्वतीय क्षेत्र, घाटी क्षेत्र के समान विकास कर सके.

इसके विपरित, राज्य की एन. बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी सरकार ने इस सप्ताह की शुरुआत में एडीसी विधेयक को पेश करने के बजाय राज्य विधानसभा में संशोधन विधेयक पेश किया और छठा संशोधन विधेयक शुक्रवार को पारित कर दिया गया. जिसे लेकर प्रदर्शनकारियों ने कहा कि उनकी मांगों के अनुरूप नहीं था.

नए संशोधनों को अघोषित रूप से पेश किए जाने के बाद एटीएसयूएम मंगलवार से आदिवासी बहुल कांगपोकपी और सेनापति में बंद का आह्वान कर रहा था.

बंद के कारण स्कूल, कॉलेज, दुकानें और व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद रहे, जबकि यात्री बसें सड़कों से नदारद रहीं. हड़ताल शुक्रवार, 5 अगस्त की सुबह समाप्त हुई, जिसके बाद “आर्थिक नाकेबंदी” शुरू हुई, जिससे मेइतेई बहुल (Meitei-dominated) इम्फाल घाटी क्षेत्र में आपूर्ति प्रभावित हुई.

दरअसल मणिपुर सरकार ने दो अगस्त को विवादास्पद मणिपुर (पहाड़ी क्षेत्र) जिला परिषदों के 6वें और 7वें संशोधन विधेयक को विधानसभा में पेश किया था. उसके बाद से मणिपुर में तनाव पैदा हो गया. मणिपुर सरकार ने बिलों के खिलाफ राज्य के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन के बाद शनिवार को राज्य में इंटरनेट सेवाओं को पांच दिनों के लिए निलंबित कर दिया. शनिवार के विरोध प्रदर्शन में छात्र प्रदर्शनकारियों और पुलिस कर्मियों के बीच इंफाल के पश्चिम जिले में झड़प हुई थी.

क्यों हो रहा है विरोध

मणिपुर (पहाड़ी क्षेत्र) जिला परिषद अधिनियम को 1971 में पारित किया गया था. इसमें राज्य के आदिवासी आबादी वाले पहाड़ी जिलों में स्वायत्त जिला परिषदों के निर्माण का प्रावधान शामिल हैं.

पहाड़ी इलाकों में बड़े पैमाने पर बसे नागा और कुकी जैसे आदिवासी समूह दशकों से आरोप लगाते आए हे कि उनके विकास की उपेक्षा की गई है, खासकर मेइतेई-आबादी वाले इंफाल घाटी की तुलना में. पिछले साल पहाड़ी जिलों के 18 विधायकों वाली हिल एरिया कमेटी ने एडीसी संशोधन विधेयक 2021 का प्रस्ताव रखा था.

नए बिल एडीसी संशोधन विधेयक के कुछ प्रस्तावों से अलग हैं, जो राज्य सरकार को जिला परिषदों और परिसीमन आयोग के लिए नियुक्तियों और एडीसी द्वारा निर्धारित वार्षिक ‘आय और व्यय’ के समय अधिक अधिकार देते हैं.

(प्रतिकात्मक तस्वीर)

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