मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह का इस्तीफ़ा (resignation of N Biren Singh) चिरप्रतक्षित घटना है. राजनीति में मुख्यमंत्री या सरकारों से इस्तीफ़ा मांगना कोई अनोखी बात नहीं होती है. लेकिन मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह के इस्तीफ़ा राज्य में शांति स्थापना की कोशिशों की पहली ज़रूरी शर्त बताई जा रही थी.
इसका कारण ये था कि एन बीरेन सिंह ना सिर्फ़ राज्य में हिेंसा को रोकने में असमर्थ रहे बल्कि उनके बातों ने हिंसा को भड़काने का ही काम किया था. मणिपुर में मैतई-कुकी संघर्ष में उनके बयानों ने ध्रुवीकरण को बढ़ावा दिया जिससे जान-माल की भारी नुकसान हुआ.
यह उम्मीद की जानी चाहिए कि एन बीरेन सिंह के इस्तीफ़े के बाद अब उन लोगों का रास्ता आसान हो जाएगा जो राज्य में मैतई-कुकी संघर्ष को ख़त्म करके राज्य में शांति स्थापना के काम में लगे हैं.
मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के इस्तीफ़े की घटना में देरी इसलिए कहा जा रहा है कि अगर उन्होंने पहले कुर्सी छोड़ दी होती तो शायद मणिपुर में मैतई-कुकी के बीच खाई इतनी गहरी और चौड़ी नहीं होती. फ़िलहाल ऐसा लगता है कि ये दोनों समुदाय एक दूसरे से नफ़रत करने लगे हैं.

इसलिए इन दोनों ही पक्षों को बातचीत की मेज पर लाना आसान नहीं होगा. इसके साथ ही दोनों ही पक्षों ने पिछले लगभग दो साल में इतने हथियार जमा कर लिए हैं कि वे बरसों तक एक-दूसरे का ख़ून बहा सकते हैं.
इसके अलावा मैतई शायद इस बात के लिए कभी तैयार नहीं होंगे कि मणिपुर को दो हिस्सों में बांट दिया जाए. जबकि कुकी अपने लिए अधिक स्वयत्तता की मांग नहीं छोड़ सकते हैं.
दूसरी तरफ़ म्यंमार से लगातार घुसपैठ और हथियारों की सप्लाई भी मणिपुर में हालात को काबू करने में मुश्किलें पैदा कर रही है. इस पृष्ठबभूमि में यह भी अभी स्पष्ट नहीं है कि मणिपुर में केंद्र सरकार की आगे की रणनीति क्या होगी.
क्या मणिपुर में नए मुख्यमंत्री की नियुक्ति होगी या फिर राज्य में केंद्रीय शासन लागू कर दिया जाएगा.
मणिपुर में हिंसा को रोक कर दोनों समुदायों के बीच विश्वास बहाली सबसे बड़ी चुनौती है. इसके लिए केंद्र सरकार, सुरक्षा बलों और सिविल सोसाइट को मिल कर धैर्य के साथ प्रयास करना होगा. मणिपुर के हालातों से वाकिफ़ लोग यह जानते हैं कि यह काम आसान नहीं होगा, लेकिन एन बीरेन सिंह का इस्तीफ़ा इस प्रक्रिया की शुरुआत ज़रूर हो सकती है.
आंतरिक सुरक्षा की चिंता
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के इस्तीफ़े के बाद हिंसा भड़कने की आशंका भी जताई गई है. इस बारे में पता चला है कि केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन ने राज्य की आंतरिक सुरक्षा पर सेना, असम राइफ़ल्स और मणिपुर पुलिस के साथ एक बैठक की अध्यक्षता की थी.

इस बैठक में सभी सुरक्षा एजेंसियों को यह कहा गया है कि वे स्थिति को संभालने के लिए तैयार रहें. उन्हें यह भी कहा गया है कि तत्काल सुरक्षाकर्मियों की तैनाती के लिए तैयार रहें. इस बैठक में यह आशंका जताई गई है कि कुछ गुट मुख्यमंत्री के इस्तीफ़े की घटना को इस्तेमाल कर हिंसा भड़काने की कोशिश कर सकते हैं.
अमित शाह ने इस्तीफ़ा देने को कहा
यह बताया गया है कि मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की रविवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात हुई थी. इसके बाद एन बीरेन सिंह ने राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को अपना इस्तीफ़ा सौंप दिया.
एन बीरेन सिंह पहली बार 2017 में मणिपुर के मुख्यमंत्री बने थे. उनके नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार का राज्य में यह लगातार दूसरा कार्यकाल है. मणिपुर में 3 मई 2023 से मैतेई समुदाय और कुकी जनजाति के बीच शुरू हुई जातीय हिंसा के बाद से बीरेन सिंह की भूमिका पर सवाल उठ रहे थे.