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वायनाड ज़िले की नूलपुझा बनी 100% कोविड वैक्सिनेशन करने वाली केरल की पहली आदिवासी पंचायत

नूलपुझा में चार आदिम जनजातियां यानि पीवीटीजी समुदाय - कुरुमा, पनिया, कुरिच्या और काट्टुनायका - के लोग रहते हैं. यह अब शत प्रतिशत वैक्सिनेशन का दर्जा हासिल करने वाली राज्य की पहली आदिवासी पंचायत बन गई है.

केरल सरकार ने हाल में जो कोविड संबंधित दिशा-निर्देश जारी किए थे, उसके पालन में अगर एक जगह है जहां ज़्यादा मुशिकल पैदा नहीं होगी, तो वह है वायनाड ज़िले की नूलपुझा ग्राम पंचायत.

यहां की 97% से ज़्यादा आबादी का वैक्सिनेशन हो चुका है, जबकि बाकि बचे लोग फ़िलहाल कोविड की चपेट में हैं. इस उपलब्धि का मतलब है कि यह राज्य का इकलौता पंचायत ब्लॉक है, जहां सभी वयस्क कोविड से लड़ने के लिए तैयार हैं.

नूलपुझा में चार आदिम जनजातियां यानि पीवीटीजी समुदाय – कुरुमा, पनिया, कुरिच्या और काट्टुनायका – के लोग रहते हैं. यह अब शत प्रतिशत वैक्सिनेशन का दर्जा हासिल करने वाली राज्य की पहली आदिवासी पंचायत बन गई है.

पंचायत ब्लॉक के लगभग 30,000 लोगों में से 22,616 18 साल या उससे ज़्यादा उम्र के हैं. उनमें से 21,964 को वैक्सीन लगाया जा चुका है. मुतंगा और जंगल के अंदर रहने वाले 7,602 आदिवासी वयस्कों में से 7,352 को भी वैक्सीन लगाया जा चुका है.

इसका मतलब है कि पंचायत में 97% से अधिक वयस्कों को कोविशील्ड या कोवैक्सिन की कम से कम एक डोज़ मिल चुकी है. पंचायत में फिलहाल कुल 158 कोविड पॉज़िटिव मामले सक्रिय हैं. इनके अलावा जिन्हें हाल ही में कोविड हुआ था, बस वही बचे हैं जिन्हें लगना है.

स्वास्थ्य विभाग ने पंचायत की 215 आदिवासी कॉलोनियों में कई छोटे-छोटे वैक्सीन कैंप लगाकर यह मुकाम हासिल किया है. यहां तक ​​कि जिन लोगों के पास आधिकारिक पहचान पत्र नहीं हैं, उनका भी वैक्सिनेशन हुआ. कुछ विशेष व्यवस्थाओं के माध्यम से उनके डीटेल्स कोविन पोर्टल पर दर्ज किए गए.

नूलपुझा पंचायत केरल की दूसरी सबसे बड़ी आदिवासी आबादी वाली ग्राम पंचायत है. यहां के वैक्सिनेशन प्रभारी डॉ. एस सिबी ने कहा कि सबको वैक्सिनेट करना मुस्किल काम था, क्योंकि इसके लिए आदिवासी प्रमोटरों की मदद लेनी पड़ी.

इन आदिवासी प्रोमोटरों की मदद से वैक्सिनेशन केंप्स का आयोजन किया गया, और पंचायत के 97 प्रतिशत से ज़्यादा लोगों को वैक्सीन लगाया गया.

इसका मतलब यह है कि आदिवासी समुदाय के अधिकांश लोगों को कोविड वैक्सीन लगा दिया गया है. कोविड से संक्रमित लोगों के लिए वैक्सिनेशन की न्यूनतम अवधि ख़त्म होने के बाद उनको भी वैक्सीन लगा दिया जाएगा.

यहां रहने वाले चारों आदिवासी समुदाय के लोग दुर्गम और घने जंगलों के अंदर रहते हैं. इसलिए यहां वैक्सिनेशन एक सामूहिक प्रयास से किया गया, और आदिवासी लोगों ने भी स्वास्थ्य कर्मियों से पूरा सहयोग किया.

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