तमिलनाडु के कोयंबटूर जिले के पोल्लाची क्षेत्र में स्थित चिन्नरपथी आदिवासी बस्ती में इन दिनों बारिश मुसीबत बनकर टूट पड़ी है.
यहां रहने वाले 27 परिवारों में से 16 को पक्के मकान बनाए जाने की स्वीकृति मिल चुकी है. लेकिन निर्माण कार्य अभी अधूरा है.
ऐसे में ये परिवार मजबूरी में टीन और तिरपाल से बनाए गए अस्थायी शेडों में रह रहे हैं.
बीते दो महीने पहले इनका कच्चा मकान गिरा दिया गया था ताकि नई पक्की छतों वाले मकानों का निर्माण हो सके. लेकिन निर्माण शुरू होने के बाद से अब तक प्रशासन ने इन्हें सुरक्षित अस्थायी आश्रय देने की कोई व्यवस्था नहीं की है.
खुद बनाए अस्थायी ठिकाने
स्थानीय आदिवासी कार्यकर्ताओं का कहना है कि जब पुराने आश्रय हटाए गए तो लोगों ने वहीं से निकाली गई तिरपाल और लोहे की चादरों से खुद के लिए अस्थायी शेड बना लिए.
अब लगातार हो रही मूसलाधार बारिश में इन टीन शेडों में रहना जान जोखिम में डालने जैसा है.
विशेष रूप से तब जब कोयंबटूर ज़िले के घाट क्षेत्रों को भारी बारिश को लेकर रेड अलर्ट पर रखा गया है.
ज़िला प्रशासन भले ही हिल स्टेशनों और मैदानी इलाकों में बारिश से बचाव की तैयारियों का दावा कर रहा हो लेकिन इन आदिवासी परिवारों की स्थिति पूरी तरह से नजरअंदाज की गई है.
सालों पुराना है मुद्दा
चिन्नरपथी क्षेत्र में मालय मालासर और मालासर समुदाय के लोग रहते हैं.
यहां सुरक्षित आवास की मांग कई वर्षों से चली आ रही है लेकिन काम सिर्फ दो महीने पहले शुरू हुआ है.
आदिवासी संगठनों का कहना है कि जब प्रशासन को पता था कि इन लोगों को हटाकर निर्माण शुरू किया जाएगा तो कम से कम तब तक के लिए सुरक्षित अस्थायी ठिकाने की व्यवस्था की जानी चाहिए थी.
तमिलनाडु आदिवासी संघ के ज़िला अध्यक्ष वी. एस. परमशिवम ने बताया, “यह लोग ऐसे इलाकों में रह रहे हैं जहां बारिश का पानी बस्ती में घुस आता है.
अलीयार डैम के पानी के बढ़ने पर चिन्नरपथी का कुछ हिस्सा डूब जाता है.
इस हालत में बिना सुरक्षित छत के रहना खतरे से खाली नहीं है. सरकार को तुरंत इन लोगों के लिए अस्थायी रूप से सुरक्षित ठिकाने उपलब्ध कराने चाहिए.
कलेक्टर ने दिए आश्वासन
यह मुद्दा रविवार को कोयंबटूर के जिला कलेक्टर पवनकुमार गिरियप्पनावर के संज्ञान में लाया गया.
उन्होंने भरोसा दिया कि वह राजस्व विभाग के अधिकारियों को निर्देश देंगे कि इन परिवारों को किसी सुरक्षित स्थान पर तुरंत स्थानांतरित किया जाए.
कलेक्टर ने कहा, “इन मकानों का निर्माण निजी सहायता से किया जा रहा है इसलिए हम सबके लिए वैकल्पिक आवास नहीं दे सकते. लेकिन स्थिति सामान्य होने तक इन्हें सुरक्षित स्थान पर भेजा जा सकता है.”
अन्य बस्तियों में भी संकट
जिला प्रशासन ने यह भी कहा कि वे वेट्टैक्कारणपुडुर टाउन पंचायत के अन्ना नगर और कोट्टूर टाउन पंचायत के पुलियंकांडी जैसी अन्य आदिवासी बस्तियों का भी निरीक्षण करेंगे.
इनमें से अन्ना नगर में रविवार को कुछ मकान बारिश के कारण गिर गए और पुलियंकांडी में लोग सुरक्षित मकानों की मांग को लेकर प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं.
बारिश के मौसम में आदिवासी परिवारों की यह दुर्दशा सिर्फ एक प्रशासनिक चूक नहीं है बल्कि लंबे समय से उनके वंचित जीवन की कहानी है.
जब तक निर्माण कार्य पूरा नहीं हो जाता इन परिवारों के लिए सुरक्षित ठिकानों की व्यवस्था करना सरकार की प्राथमिक ज़िम्मेदारी है. वरना यह आपदा किसी बड़ी त्रासदी का कारण बन सकती है.
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