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राजस्थान: आदिवासियों ने 6.5 प्रतिशत उप-कोटा आरक्षण की मांग को लेकर रैली की

डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ और उदयपुर जैसे आदिवासी बहुल जिलों से आए सैकड़ों प्रतिभागियों ने बैनर लेकर "उप-कोटा बनाएं" के नारे लगाए.

दक्षिणी राजस्थान के आदिवासी समुदायों ने रविवार को बांसवाड़ा में आदिवासी आरक्षण मंच (AAM) के बैनर तले एक विशाल रैली की. इस रैली में उन्होंने अनुसूचित जनजातियों (ST) के लिए 12 फीसदी राज्य-स्तरीय आरक्षण के भीतर 6.5 फीसदी उप-कोटा की अपनी लंबे समय से चली आ रही मांग पर जोर दिया गया.

उन्होंने राज्य सरकार से विधानसभा के आगामी शीतकालीन सत्र में उनकी चिंताओं को दूर करने का आग्रह किया.

विभिन्न आदिवासी क्षेत्रों और समुदायों के नेता, कुछ राजनीतिक दलों के पदाधिकारियों के साथ इस कार्यक्रम में एकत्र हुए और “तत्काल न्याय” के लिए अपनी माँगों को आवाज़ दी. उन्होंने सरकार से राज्य की सेवाओं में अनुसूचित क्षेत्र की जनजातियों के लिए आनुपातिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने का आग्रह किया.

भाजपा नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री महेंद्रजीत सिंह मालवीय ने मांग का समर्थन करते हुए कहा, “अगर हमें आरक्षण मंच की टीम के साथ जयपुर में डेरा डालना पड़ा तो हम ऐसा करेंगे. हम अनुसूचित क्षेत्र की जनजातियों के लिए 6.5% उप-कोटा आरक्षण सुनिश्चित करने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं.”

डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ और उदयपुर जैसे आदिवासी बहुल जिलों से आए सैकड़ों प्रतिभागियों ने बैनर लेकर “उप-कोटा बनाएं” के नारे लगाए.

वहीं सभा को संबोधित करते हुए आम आदमी पार्टी की केंद्रीय समिति के सलाहकार कमलाकांत कटारा ने रैली को राजस्थान में हाशिए पर पड़े समुदायों के उत्थान के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण बताया.

कटारा ने कहा, “सभी सेवाओं में 6.5% उप-कोटा हजारों भील आदिवासी युवाओं के भविष्य की रक्षा करेगा. सरकार को रिक्त पदों को भरने और न्याय सुनिश्चित करने के लिए पात्रता मानदंडों में भी ढील देनी चाहिए.”

उन्होंने आदिवासी राजनीतिक नेताओं को आगाह करते हुए कहा कि अगर वे राजनीति में अपना भविष्य देखते हैं, तो उन्हें राज्य में आदिवासी समुदाय के बीच इस मुद्दे को उठाना चाहिए.

रैली में वक्ताओं ने तर्क दिया कि एसटी के 12 फीसदी आरक्षण का एक बड़ा हिस्सा मीना समुदाय द्वारा छीना जा रहा है. मीना समुदाय पूर्वी राजस्थान  

कटारा ने कहा, “उप-कोटा की आवश्यकता इस तथ्य पर आधारित है कि दक्षिणी राजस्थान के भील आदिवासी समूहों को आरक्षण में उनका उचित हिस्सा नहीं मिल रहा है क्योंकि वे मीना समुदाय की तुलना में कम शिक्षित हैं.”

बांसवाड़ा से पूर्व भाजपा सांसद कनकमल कटारा ने आशा व्यक्त की और कहा कि मांग न्यायसंगत और प्राप्त करने योग्य दोनों है. उन्होंने उपस्थित लोगों को आश्वासन दिया कि वे जयपुर और दिल्ली दोनों जगहों पर भाजपा के शीर्ष नेताओं के समक्ष इस मुद्दे को उठाएंगे.

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