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माओवाद प्रभावित इलाक़ों में सड़क और इलाज़ पहुँच रहा है – भूपेश बघेल

मुख्यमंत्री ने बताया कि आदिवासी शहरी इलाक़ों में जाने में झिझकते हैं. इसलिए हाट बाज़ार के माध्यम से जंगल और पहाड़ी इलाक़ों के अलावा दूर दराज़ के ग्रामीण इलाक़ों में रहने वाले जनजाति समुदायों के लिए हाट बाज़ार क्लीनिक योजना के तहत इलाज उपलब्ध कराया जा रहा है. उन्होंने दावा किया कि शहरी ग़रीब और आदिवासी आबादी में कम से कम 45 लाख लोगों तक इस तरह की योजनाओं का फ़ायदा पहुँचा है.

छत्तीसगढ़ में अंतागढ़ विधानसभा क्षेत्र के केसेकोडी गाँव कि एक महिला की जान ख़तरे में पड़ गई है क्योंकि उसे समय से अस्पताल नहीं पहुँचाया जा सका. इस महिला का नाम कौशल्या देवी बताया गया है. उनके परिवार ने उन्हें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक पहुँचाने के लिए एंबुलेंस को फ़ोन किया था.

लेकिन उन्हें बताया गया कि उनके गाँव भेजने के लिए एंबुलेंस नहीं है. परिवार वालों ने मरीज़ की हाल बिगड़ते हुए देख कर उसे चारपाई पर लिटा कर अस्पताल तक पहुँचाने का फ़ैसला किया. गांव से क़रीब 8 किलोमीटर दूर कोयलीबेड़ा में प्राथमिक केंद्र है.

परिवार जंगल के रास्ते बीमार महिला को क़रीब 3 किलोमीटर खाट पर लिटा कर चल चुके थे तो रास्ते में उन्हें एंबुलेंस मिल गई. लेकिन उनकी मुसीबत यहीं पर ख़त्म नहीं हुई थी. कोयलीबेड़ा में इन महिला का इलाज संभव नहीं था.

यह फ़ोटो हमें स्थानीय पत्रकार अंकुर तिवारी ने भेजी है

उन्हें वहाँ से ज़िला मुख्यायलय कांकेर ले जाने के लिए कहा गया. लेकिन कोयलीबेड़ा से कांकेर के लिए भी परिवार को गाड़ी का लंबा इंतज़ार करना पड़ा था. 

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज नई दिल्ली में मौजूद थे. यहाँ उन्होंने एक पत्रकार सम्मेलन को भी संबोधित किया. जब MBB ने उनसे यह सवाल पूछा तो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कहना था,”आदिवासी इलाक़ों में अक्सर यह देखा जाता है कि जब तक बीमार की हालत बहुत ज़्यादा ख़राब ना हो जाए तो उसे अस्पताल नहीं लाया जाता है. हम इस बात को समझते हैं. इसलिए हमने हाट बाज़ार क्लीनिक की योजना की शुरूआतें की है.”

उन्होंने बताया कि आदिवासी शहरी इलाक़ों में जाने में झिझकते हैं. इसलिए हाट बाज़ार के माध्यम से जंगल और पहाड़ी इलाक़ों के अलावा दूर दराज़ के ग्रामीण इलाक़ों में रहने वाले जनजाति समुदायों के लिए हाट बाज़ार क्लीनिक योजना के तहत इलाज उपलब्ध कराया जा रहा है. 

उन्होंने दावा किया कि शहरी ग़रीबों और आदिवासियों के लिए शुरू की गई विशेष स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ अभी तक कम से कम 45 लाख लोगों को मिल चुका है. अंतागढ़ और कोयलीबेड़ा माओवाद प्रभावित इलाक़े हैं. इन इलाक़ों में सड़कों का निर्माण एक चुनौती भरा काम है.

लेकिन आज नई दिल्ली में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दावा किया कि राज्य सरकार ने अब अबूझमाड़ तक सड़क निर्माण का कार्य पूरा कर दिया है. मुख्यमंत्री के अधिकारियों ने कोयलीबेडा की घटना के बारे में पता करने के बाद MBB को सूचना दी है कि उस इलाक़े में भी रेगुलर हाट बाज़ार क्लीनिक काम करता है.

MBB के सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि 2 अक्टूबर 2019 को राज्य में मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान की शुरुआत की गई थी. उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय परिवार सर्वेक्षण -4 के अनुसार प्रदेश के 5 साल से कम उम्र के 37.7 प्रतिशत बच्चे कुपोषित थे. इसके अलावा 15 से 49 साल की 47 प्रतिशत महिलाओं में खून की कमी (एनीमिया)थी.

राज्य सरकार ने इसे चुनौती के तौर पर लिया था. उन्होंने दावा किया कि स्वास्थ्य सेवा सर्वेक्षण -5 में पता चलता है कि छत्तीसगढ़ में कुपोषण के मामलों का औसत राष्ट्रीय औसत से कम हो गया है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर कुपोषण का औसत 32.10 प्रतिशत है जबकि छत्तीसगढ़ में यह घट कर 31.10 प्रतिशत हो गया है.

उन्होंने आश्वासन दिया कि कौशल्या देवी मामले की जानकारी तलब की जाएगी और ज़रूरी कदम उठाए जाएँगे. 

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