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झारखंड : मलेरिया से पहाड़िया जनजाति के 7 बच्चों की मौत, 100 से ज़्यादा संक्रमित

प्रशासन ने पहाड़िया जनजाति में फैले मलेरिया संक्रमण की सघन जांच का दावा किया है. लेकिन 7 बच्चों की मौत से यह साफ़ है कि इस मामले में प्रशासन ने अगर कुछ कदम उठाए भी हैं तो उनमें काफी देर की गई.

झारखंड (Jharkhand) के गोड्डा ज़िले (Godda District) के छह गाँवों (six village) में मलेरिया संक्रमण तेजी से फैल रहा है.

ये पता चला है कि इन गाँव में 100 से भी ज्यादा आदिवासी बच्चे ब्रेन मलेरिया (brain malaria) और प्लाज्मोडियम मलेरिया (plasmodium malaria) से संक्रमित हैं. ये सभी पहाड़िया जनजाति से है और इन छह गाँव का नाम जोलो, बैरागो, सारमी, सिदलेर, डांडो, तिलयपाड़ा इत्यादि बताया गया है.

इसी सिलसिले में संक्रमण के कारण पिछले हफ्ते ही सात आदिवासी बच्चों की मौत हो गई. इन सभी बच्चों की आयु 10 वर्ष से भी कम की बाताई गई है.इस मामले की गंभीरता को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन ने सघन चेंकिग अभियान का दावा किया है.

इस अभियान के अंतर्गत ज़िले के 16 गाँव में 22 और 23 नवंबर को कैंप लगाए गए. इन कैंप में चेकअप के लिए 15 मेडिकल टीम का गठन किया गया था.

इस बारे में अभी तक मिली जानकारी के अनुसार 22 नवंबर, बुधवार को 233 मरीजों की जांच की गई. इनमें से 88 मरीजों को ब्रेन मलेरिया से संक्रमित पाया गया था. वहीं 8 बच्चों में प्लाज्मोडियम मलेरिया के लक्षण देखने को मिले.

इसके अलावा 23 नवंबर, गुरूवार को भी कई मरीजों की जांच की गई थी. कैंप के दौरान सभी संक्रमित लोगों को दवाइयां, मेडिकेटेड मच्छरदानी और चिकित्सा किट उपलब्ध कराए जा रहे हैं.

वहीं जिनमें मलेरिया के कोई भी लक्षण देखने को नहीं मिले उन्हें भी प्रोफाइलैक्सिस की दवाईयां दी जा रही है.

मलेरिया के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए राज्य सरकार द्वारा ये फैसला किया गया है की मुख्यमंत्री स्वास्थ्य सहायता योजना के अंतर्गत सभी संक्रमित वयक्तियों को पौष्टिक भोजन के लिए आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाई जाएगी.

पहाड़िया जनजाति में फैले संक्रमण को काबू में लाने के लिए प्रशासन ने कुछ कदम ज़रुर उठाए हैं, लेकिन तब तक 7 बच्चों की मौत हो चुकी थी. दरअसल पहाड़िया आदिवासी दुर्गम पहाड़ियों में बसे हुए हैं जहां पर अभी तक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भी ठीक से काम नहीं करते हैं.

स्थानीय प्रशासन को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि कुछ फौरी तौर पर लगा दिये गए मेडिकल कैंप स्थाई समाधान नहीं हैं.

पहाड़िया आदिवासी कौन है?

पहाड़िया आदिवासी को तीन समूह में जाना जाता है – माल पहाड़िया, कुमारभाग पहाड़िया और सौरिया पहाड़िया. इन्हें पीवीटीजी यानी विशेष रूप से कमज़ोर जनजाति में शामिल किया गया है. हालांकि कुमारभाग पहाड़िया को कई पुराने दस्तावेजों में पीवीटीजी के अंतर्गत नहीं रखा गया था.

2011 की जनगणना के अनुसार माल पहाड़िया और कुमारभाग पहाड़िया समुदाय की संयुक्त आबादी 1,82,560 है और सौरिया पहाड़िया की आबादी 51,634 बाताई गई है. इन सभी पहाड़िया समुदाय की कुल आबादी 2,34,194 हैं.

अगर 2001 और 2011 में हुई जनगणना को ध्यान से देखे तो सौर पहाड़िया की जनसंख्या में 24.38 प्रतिशत की कमी आई है. इसके कई कारण है
• स्वच्छ पानी की कमी
• आस पास कोई स्वास्थ्य केंद्र ना होना
• प्रसाव में पुरानी तकनीकों का इस्तेमाल
• शराब सेवन
• सीमित क्षेत्र में शादी
• सतुलित आहार की कमी

इसके अलावा सौर पहाड़िया कमाई के लिए खेती पर ही निर्भर है. ये मुख्य रूप से जारा और कुरवा खेती करते है. अत्याधिक खेती के कारण इनकी जमीनों में भू-क्षरण का खतरा हो सकता है.

माल पहाड़िया में होने वाली मुख्य समस्या है की ये आदिवासी अन्य लोगों की तुलना में कम जीते हैं. 2019 में संसद में पूछे गए एक सवाल के जवाब में केंद्रीय जनजातीय मंत्रालय ने ये बताया था की जनजातियों की जनसंख्या की जीने की उम्र 63.9 वर्ष है, जबकि अन्य लोगों की जनसंख्या की जीवित रहने की उम्र 67 वर्ष है.

इसके कई कारण हो सकते हैं विभिन्न स्वास्थ्य और पोषण संकेतक, शिक्षा स्तर, गरीबी स्तर का बढ़ना इत्यादि.

वहीं कुमारभाग पहाड़िया कई हिस्सों में बट चुके हैं.

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