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ज़मीन का मालिकाना हक़ मांग रहे आदिवासियों की गिरफ़्तारी, पोडु भूमि पर संघर्ष जारी

किसानों का कहना है कि रामन्नागुडेम की सीमा में लगभग 500 एकड़ पोडु भूमि पर उनके द्वारा पिछले तीन दशकों से खेती किए जाने के बावजूद वन विभाग गलत तरीके से उस ज़मीन पर दावा कर रहा है.

मॉनसून की शुरुआत के साथ ही तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में पोडु भूमि को लेकर आदिवासियों और वन अधिकारियों के बीच संघर्ष भी शुरु हो गया है. पिछले कुछ हफ़्तों से ही इन दोनों गुटों के बीच झड़पों की ख़बरें लगातार आ रही हैं.

अब अपने मालिकाना हक की मांग को लेकर अश्वरावपेट मंडल के रमन्नागुडेम गांव के करीब 200 आदिवासी किसानों की सोमवार को पुलिस और वन अधिकारियों से झड़प हो गई. स्थिति तनावपूर्ण होने पर पुलिस ने कई आदिवासियों को गिरफ़्तार कर लिया.

क्या है पोडु खेती?

पोडु खेती आदिवासियों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली खेती की एक पारंपरिक प्रणाली है, जिसके तहत फसल लगाने के लिए हर साल जंगल के अलग-अलग हिस्सों को जलाकर साफ किया जाता है. इसे देश के उत्तर पूर्वी राज्यों में जूम खेती कहा जाता है, अंग्रेज़ी में shifting agriculture, और तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में पोडु खेती.

रमन्नागुडेम गांव के आदिवासी किसानों ने वन अधिकार अधिनियम, 2006 के तहत पट्टा जारी करने की मांग करते हुए मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के आधिकारिक निवास तक एक “ग्रेट वॉकथॉन” भी शुरू किया है.

किसानों का कहना है कि रामन्नागुडेम की सीमा में लगभग 500 एकड़ पोडु भूमि पर उनके द्वारा पिछले तीन दशकों से खेती किए जाने के बावजूद वन विभाग गलत तरीके से उस ज़मीन पर दावा कर रहा है.

एक ख़बर यह भी है कि आदिवासी किसान कुछ सर्वेक्षण संख्या वाली ज़मीन पर खेती करना चाहते थे, लेकिन वन विभाग ने वन भूमि पर अतिक्रमण करने का आरोप लगाते हुए इसका विरोध किया.

क्या मुख्यमंत्री से मिलने की कोशिश करना अपराध है? ‘

लगभग 200 किसानों ने हैदराबाद पहुंचकर मुख्यमंत्री केसीआर से मिलने औऱ उनके सामने अपनी चिंताएं रखने के प्लान से रैली निकाली थी, हालांकि जब पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो दोनों के बीच टकराव हुआ.

जैसे ही रामन्नागुडेम गांव के सरपंच और दूसरे वॉर्ड सदस्य किसानों के साथ हैदराबाद जाने लगे, पुलिस ने उनमें से कई को हिरासत में ले लिया. बताया जा रहा है कि सरपंच को सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) के ही हैं. प्रदर्शनकारियों को मुलकपल्ली और किन्नरसानी पुलिस थानों में हिरासत में रखा गया है.

किसानों और पूर्व विधायक ताट्टी वेंकटेश्वरलू ने मुलकपल्ली पुलिस स्टेशन के बाहर किसानों की रिहाई की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किया. उन्होंने कहा कि आदिवासी किसान अपनी जमीन का अधिकार ताहते हैं, और इसलिए सीएम से मिलना चाहते थे. उन्होंने द न्यूज़ मिनट से बात करते हुए पूछा कि क्या मुख्यमंत्री से मिलने की कोशिश करना अपराध है?

पोडु भूमि पर आदिवासियों और वन विभाग के बीच झड़प आम बात है

मुआवज़े का इंतज़ार

इन किसानों का यह भी दावा है कि अंकम्मा चेरुवु परियोजना के लिए सिंचाई नहर के निर्माण के लिए उनकी जिस ज़मीन का अधिग्रहण किया गया था, उसका मुआवज़ा भी उन्हें अभी तक नहीं दिया गया है.

भद्राद्री कोठागुडेम के जिला कलेक्टर अनुदीप दुरीशेट्टी ने कहा कि रामन्नागुडेम में पोडु भूमि के मुद्दे को हल करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं.

भद्राद्री कोठागुडेम जिले के एसपी सुनील दत्त के मुताबिक़ गिरफ़्तारियां कानून व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए की गई थीं. हिरासत में लिए गए लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 341 के तहत गलत तरीके से संयम और दूसरी संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है.

पोडु भूमि कई ज़िलों में एक मुद्दा

तेलंगाना के आदिलाबाद जिले से भी पोडु भीमि के मुद्दे पर अशांति की ख़बर आई है. आसिफाबाद के राउतसंकेपल्ली में किसानों ने वन अधिकारियों को अपनी पोडु भूमि में धुसने से रोक दिया. मंचेरियल जिले में भी पोडु किसानों ने मालिकाना हक और खेती के अधिकार की मांग करते हुए जिला कलेक्ट्रेट पर विरोध प्रदर्शन किया.

2021 नवंबर में वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) को लागू करने की मांग को लेकर आदिवासियों द्वारा कई विरोध प्रदर्शनों के बाद, तेलंगाना सरकार ने इस मुद्दे को हल करने के लिए उन्हें ज़मीन का स्वामित्व देने की प्रक्रिया शुरू की थी. लेकिन इसे एक महीने में ही रोक दिया गया.

राज्य में पोडु भूमि पर खेती के अधिकार का दावा करने वाली हजारों याचिकाएं विभिन्न स्तरों पर फ़िलहाल लंबित हैं.

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