HomeAdivasi DailyPM JANMAN के तहत 1 लाख आदिवासी (PVTG) परिवारों को रौशन करने...

PM JANMAN के तहत 1 लाख आदिवासी (PVTG) परिवारों को रौशन करने का वादा

सरकार ने दावा किया है कि उसका लक्ष्य विशेष रुप से पिछड़े आदिवासियों के 1 लाख से ज़्यादा परिवारों के घरों में सौर बिजली उपलब्ध कराना है. इस काम के लिए सरकार ने 515 लाख रूपये का प्रावधान किया है.

भारत सरकार ने प्रधान मंत्री जनजाति आदिवासी न्याय अभियान (PM JANMAN) कार्यक्रम के अंतर्गत विशेष रूप से कमजोर आदिवासी समूहों (PVTGs) के घरों तक रोशनी का प्रबंध करने का वादा किया है.

15 नवंबर, 2023 को शुरू की गई पीएम-जनमन पहल का उद्देश्य पीवीटीजी परिवारों को सुरक्षित आवास, स्वच्छ पेयजल, स्वच्छता, शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण तक बेहतर पहुंच, बेहतर सड़क, टेलीकॉम कनेक्टिविटी और स्थायी आजीविका के अवसर जैसी आवश्यक सुविधाएं प्रदान करना बताया गया है.

इस मिशन को लागू करने के लिए अनुसूचित जनजातियों के लिए विकास कार्य योजना (DAPST) के तहत अगले तीन वर्षों के लिए 15,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है. यह नौ मंत्रालयों द्वारा देखे जाने वाले 11 महत्वपूर्ण हस्तक्षेपों पर ध्यान केंद्रित करता है.

क्या है सौर योजना ?

PVTG यानि विशेष रूप से पिछड़ी जनजातियों के लिए 11 मंत्रालयों के माध्यम से अलग अलग योजनाएं लागू करने की घोषणा की गई है. सौर योजना (solar scheme) इस सिलसिले में नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (Ministry of New and Renewable Energy) से संबंधित हैं.

इनमें से एक पीवीटीजी क्षेत्रों में ऑफ-ग्रिड सौर प्रणालियों के माध्यम से एक लाख ऐसे घरों तक बिजली प्रदान करना है जहां अभी तक यह काम नहीं हो पाया है.

दरअसल पारंपरिक तौर से इन परिवारों को बिजली उपलब्ध करना एक घाटे का सौदा माना जाता था. यानि खंभे, तारों और अन्य ख़र्चे इतने ज़्यादा होने का अनुमान था कि इसे आर्थिक तौर पर ठीक नहीं समझा गया था.

इसके अलावा पीवीटीजी क्षेत्रों में 1,500 बहुउद्देश्यीय केंद्रों में सौर प्रकाश व्यवस्था प्रदान करता है जहां ग्रिड के माध्यम से बिजली उपलब्ध नहीं है.

वैसे सौर योजना जनजातीय मामलों के मंत्रालय (MoTA- Ministry of Tribal Affairs) के द्वारा पहचाने गए उन क्षेत्रों में लागू की जाएगी जो 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (UTs- Union Territories) में स्थित हैं.

इस सौर योजना में आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल और केंद्र शासित प्रदेश अंडमान और निकोबार द्वीप आदि राज्य शामिल हैं.

इन राज्यों में रहने वाले पीवीटीजी को पीएम जनमन के अंतर्गत इस नई सौर योजना का लाभ मिलेगा.

सौर योजना, वित्तीय साल 2023-2024 से लेकर 2025-2026 वित्तीय साल तक प्रभावी रहेगी.

सौर योजना के लिए कितने पैसे आवंटित ?

सौर योजना के लिए कुल 515 करोड़ रुपये की धनराशी निर्धारित की गई है. योजना में उपयोग होने वाली कुल धनराशी को तीन वर्षों में बांटा जाएगाए.

पहले 2023 से लेकर 2024 के वित्तीय साल (Fiscal Year) में 20 करोड़ रुपये, 2024-25 में 255 करोड़ रुपये और 2025-26 में 240 करोड़ रुपये के हिसाब से कुल धनराशी को बांटा जाएगा.

4 जनवरी को राष्ट्रपति नई सौर योजना के लिए दस्तावेज़ के अनुसार, सौर योजना में उपयोग होने वाली धनराशी एमएनआरई की अनुसूचित जनजाति के लिए विकास कार्य योजना (MNRE’s Development Action Plan for Scheduled Tribe) से प्राप्त की जाएगी.

सौर योजना के लिए एक अलग बजट लाइन भी बनाई जाएगी.

इसके अलावा 515 करोड़ रुपये में से सरकार ने घरों के विद्युतीकरण के लिए 500 करोड़ रुपये रखे हैं. यहां प्रत्येक घर के लिए वित्तीय सहायता या तो 50 हज़ार रुपये होगी या सिस्टम की वास्तविक लागत होगी.

1500 बहुउद्देशीय केंद्रों में सोलर लाइटिंग के लिए सरकार ने 15 करोड़ रुपये का बजट रखा है. प्रत्येक सेंटर को एक लाख रुपये दिये जायेंगे.

सौर योजना की जरुरत

2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में अनुसूचित जनजाति (एसटी) की आबादी 10.45 करोड़ है. जिसमें 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में 75 समुदायों को पीवीटीजी के रूप में पहचाना गया है.
ये पीवीटीजी सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक क्षेत्रों में कमजोरियों से जूझ रहे हैं.

अब तक पीवीटीजी के घरों में दूरी, सड़कों की कमी और डिजिटल कनेक्टिविटी के कारण बुनियादी ढांचे तक उचित पहुंच नहीं है. इस पहल का उद्देश्य उनके दरवाजे पर बुनियादी सुविधाएं प्रदान करना है.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments