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पक्की सड़क होती तो शायद इस आदिवासी महिला को बचाया जा सकता था

आदिवासियों ने जिला प्रशासन से तीनों आदिवासी पंचायतों - जरतनकोलाई, पींचमंदई और पालमपट्टू के लोगों की जान बचाने के लिए सड़क बनाने के लिए तत्काल कदम उठाने की मांग की है.

तमिल नाडु के वेल्लोर ज़िले में एक पहाड़ी के ऊपर बसी जरतनकोलाई पंचायत के एक आदिवासी गांव, एलंदमपुडुर से एक दर्दनाक ख़बर आई है. ख़बर ऐसी है कि आपको सुनकर दुख तो होगा, लेकिन ज़्यादा हैरानी नहीं होगी, क्योंकि आदिवासी इलाक़ो में ऐसी घटनाएं आम बात हैं.

गांव में अपने घर पर अपने मृत (stillborn) बच्चे को जन्म देने के कुछ घंटों बाद एक आदिवासी महिला की मौत हो गई, जब उसे अस्पताल ले जाने के लिए भेजी गई एम्बुलेंस पहाड़ी इलाके में कीचड़ में फंस गई.

ग्रामीणों ने बताया कि एक मृत बच्चे को जन्म देने के बाद, परिवार 20 साल के कांचना को पांच किमी दूर स्थित पींचमंदई के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में ले जाने की कोशिश कर रहा था. लेकिन इलाक़े में हाल ही में हुई बारिश की वजह से गांव की कच्ची सड़क पूरी तरह से कीचड़ से भरी हुई थी, और उसपर गाड़ी का चलना नामुमकिन हो गया था.

इसी पंचायत के निवासी श्रीनिवासन ने द न्यू इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “अगर अधिकारियों ने गांव तक के लिए एक उचित, पक्की सड़क बनाने की हमारी लंबे समय से चल रही मांग पर कार्रवाई की होती तो शायद कांचना को बचाया जा सकता था.”

उधर, अधिकारियों के मुताबिक़ कांचना के स्वास्थ्य के बारे में सूचना मिलने के तुरंत बाद ही आशा कार्यकर्ता ने ग्राम स्वास्थ्य नर्स (वीएचएन) को सूचित कर दिया था. हालांकि उन्होंने माना कि गांव के रास्ते में बारिश की वजह से एम्बुलेंस का पहिया कीचड़ में फंस गया.

“कांचना 24 हफ़्ते की गर्भवती थी. यह एक संदिग्ध मौत का मामला है क्योंकि हो सकता है कि भ्रूण को गर्भपात करने की कोशिश की गई हो. हालांकि, मौत की वजह पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट मिलने के बाद ही स्थापित किया जा सकता है,” उप निदेशक स्वास्थ्य सेवा (डीडीएचएस), भानुमति ने द न्यू इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा.

जिला कलेक्टर पी कुमारवेल पांडियन ने राजस्व मंडल अधिकारी को जांच के आदेश दिए हैं, क्योंकि कांचना की मौत शादी के सात साल के अंदर हो गई. डीडीएचएस ने कहा, “हम गर्भावस्था के दौरान कांचना के स्वास्थ्य पर नजर रख रहे थे और हमारी मोबाइल मेडिकल यूनिट ने आखिरी बार 13 जुलाई को उनकी जांच की थी.”

सड़क बनाने के लिए तीन साल पहले 5 करोड़ रुपये आवंटित

इस बीच, आदिवासियों ने जिला प्रशासन से तीनों आदिवासी पंचायतों – जरतनकोलाई, पींचमंदई और पालमपट्टू के लोगों की जान बचाने के लिए सड़क बनाने के लिए तत्काल कदम उठाने की मांग की है.

क़रीब तीन साल पहले पंचायत को सड़क बिछाने के लिए करीब 5 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, लेकिन यह परियोजना अभी तक लागू नहीं हुई है.

आदिवासी विकास की सच्चाई

अधिकारी चाहे मौत की वजहों की जांच किसी भी उद्देश्य से करें – ये साबित करने के लिए गर्भपात हो रहा था, या फिर कांचना की मौत के पीछे परिवार का हाथ है – लेकिन वो इस बात से बिलकुल इंकार नहीं कर सकते कि अगर पक्की सड़क होती, तो कांचना को मौत के मुंह से बचाया जा सकता था.

यह सिर्फ़ इस इलाक़े की कहानी नहीं है, बल्कि देश के हर आदिवासी इलाक़े से इस तरह की त्रासदियों की ख़बर लगातार आती हैं. यह आदिवासियों के प्रति प्रशासन और सरकार की उदासीनता ही है कि बार-बार ऐसी ख़बरों के सामने आने के बावजूद, हालात सुधारने के लिए कोई ख़ास पहल नहीं होती.

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