एक आधिकारिक बयान के मुताबिक असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने रविवार को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा दिए जाने की मांग पर ताई-अहोम और मटक समुदायों के प्रतिनिधियों के साथ अलग-अलग चर्चा की.
हिमंत बिस्वा सरमा ने ताई-अहोम नेताओं से उनकी मांग के संबंध में राज्य के शीर्ष आदिवासी निकाय, अखिल असम जनजातीय संघ (AATS) के साथ बातचीत करने के लिए कहा है.
राज्य में एसटी प्रमाण पत्र जारी करने की सिफारिश करने के लिए एएटीएस सरकार द्वारा अधिकृत है.
बयान में कहा गया है कि मटक समुदाय द्वारा एसटी का दर्जा देने की मांग पर हिमंत बिस्वा सरमा ने उन्हें बताया कि राज्य सरकार सैद्धांतिक रूप से केंद्र को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने की सिफारिश करने के लिए सहमत हो गई है.
ताई-अहोम और मटक के अलावा, टी ट्राइब (आदिवासी), कोच-राजबंशी, मोरन और चुटिया समुदाय भी एसटी का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं.
मोरन और चुटिया समुदायों के प्रतिनिधियों ने शनिवार को अलग-अलग बैठकों में मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी. बयान के मुताबिक ताई-अहोम संगठनों के साथ बैठक में हिमंत बिस्वा ने उनसे एएटीएस सदस्यों के साथ बैठकर ‘आगे बढ़ने के लिए मुद्दों को सुलझाने’ का आग्रह किया. हालांकि, इसने उन मुद्दों का उल्लेख नहीं किया जिन्हें हल करने की जरूरत है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि ताई-अहोमों को राज्य के आदिवासी ब्लॉक और बेल्ट में संरक्षित वर्ग का दर्जा दिया जाएगा. जबकि राज्य सरकार द्वारा इसे लोकप्रिय बनाने के लिए एक ताई भाषा शिक्षण केंद्र स्थापित किया जाएगा.
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि असम के सभी स्वदेशी समुदायों को एकजुट रहना चाहिए ताकि असम को घुसपैठियों से बचाया जा सके.
हिमंत बिस्वा ने गुवाहाटी में मटक भवन के निर्माण, स्मारकों और समुदाय के ऐतिहासिक स्थलों के संरक्षण के लिए भूमि उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया. साथ ही अखिल असम जनजातीय संघ, राज्य के जनजातीय संगठनों का शीर्ष निकाय, एसटी श्रेणी में छह और समुदायों को शामिल करने के बारे में आलोचनात्मक रहा है.
केंद्र ने असम में छह समुदायों को एसटी का दर्जा देने के उद्देश्य से उसी साल 9 जनवरी को राज्यसभा में संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (संशोधन) विधेयक, 2019 पेश किया, जिनके पास वर्तमान में ओबीसी का दर्जा प्राप्त है. छह समुदायों के नाम – कोच राजबोंगशी, ताई अहोम, चुटिया, मटक, मोरन और टी ट्राइब्स को एसटी का दर्जा देने वाले विधेयक में शामिल किया गया है.
लेकिन इन समुदायों को अभी तक यह दर्जा नहीं मिला है क्योंकि संसद में विधेयक पारित होने से पहले राज्य सरकार को इसका पता लगाना होता है. तत्कालीन कैबिनेट मंत्री सरमा की अध्यक्षता में एक राज्य कैबिनेट समिति को छह समुदायों के लिए आरक्षण की मात्रा तय करने की जिम्मेदारी दी गई थी जो लंबित है.
फिर भी मुख्यमंत्री ने राजनीतिक रूप से प्रभावशाली समुदाय के लिए कई अन्य योजनाओं का आश्वासन देते हुए कहा कि राज्य सरकार द्वारा भाषा को बनाए रखने और लोकप्रिय बनाने के लिए एक ताई भाषा शिक्षण केंद्र स्थापित किया जाएगा.
हिमंत बिस्वा ने कहा कि जोरहाट में सुकफा समन्वय क्षेत्र को एक शीर्ष पर्यटक आकर्षण में बदल दिया जाएगा और सभी काम दो साल के भीतर पूरे कर लिए जाएंगे.
उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार की असम दर्शन योजना के तहत अहोम के सभी पूजा स्थलों को संरक्षित और विकसित किया जाएगा और गुवाहाटी में राज्य सचिवालय जनता भवन में अहोम वंश के संस्थापक सुकफा की एक प्रतिमा बनाई जाएगी.
मुख्यमंत्री ने कहा कि ताई अहोम विकास परिषद के लिए प्रतिबद्ध 125 करोड़ रुपये 30 नवंबर तक जारी कर दिए जाएंगे और कम ज्ञात ऐतिहासिक स्थलों और समुदाय के स्मारकों के संरक्षण के लिए फंड का इस्तेमाल करने का आग्रह किया.
मटक समुदाय के संगठनों के साथ एक अन्य बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि सोदौ असोम मटक संमिलन को समुदाय के सदस्यों को ओबीसी प्रमाण पत्र देने के लिए एकमात्र निकाय बनाया जाएगा.
हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों में मटक समुदाय के आरक्षण की मात्रा तय करने के लिए विभिन्न विभागों के मंत्रियों की एक समिति गठित की जाएगी. समुदाय से संबंधित भूमि संबंधी मुद्दों के बारे में उन्होंने आश्वासन दिया कि आगामी मिशन बसुंधरा के तहत उन्हें समय पर और पारदर्शी तरीके से निपटाया जाएगा.
सीएम ने कहा कि राज्य सरकार मटक विकास परिषद को मजबूत करने के लिए कदम उठाएगी. उन्होंने कहा कि परिषद के लिए प्रतिबद्ध 25 करोड़ रुपये 30 नवंबर तक जारी कर दिए जाएंगे.