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तेलंगाना में आदिवासी किसानों के लिए सौर ऊर्जा से सिंचाई योजना की घोषणा

सरकार का कहना है कि यह योजना केवल सिंचाई तक सीमित नहीं है. इसमें ड्रिप सिंचाई प्रणाली, उच्च गुणवत्ता वाले फलदार पौधों की आपूर्ति और अंतरवर्ती फसलों के माध्यम से किसानों को अंतरिम आय सहायता देने जैसे प्रावधान भी शामिल हैं.

तेलंगाना सरकार ने आदिवासी किसानों के जीवन में सुधार लाने के उद्देश्य से एक नई योजना की घोषणा की है.

‘इंदिरा सौर गिरी जल विकासम’ योजना के तहत उन आदिवासी किसानों को सोलर पंप सेट निशुल्क उपलब्ध कराए जाएंगे जिन्हें वन अधिकार अधिनियम 2006 के तहत जमीन का अधिकार मिला है.

राज्य में करीब 2.1 लाख आदिवासी किसान हैं. इन किसानों के पास कुल 6 लाख एकड़ जमीन है लेकिन इस ज़मीन पर सिंचाई की सुविधा न के बराबर है.

मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी 18 मई को अमरबाद मंडल के मचराम गांव से इस योजना का शुभारंभ करेंगे.  

इस योजना का उद्देश्य इन किसानों की कृषि योग्य ज़मीन को सिंचाई की सुविधा देना है. सरकार का कहना है कि इससे खेती से होने वाला लाभ बढ़ेगा.

100 प्रतिशत सब्सिडी पर मिलेगा सोलर पंप

सरकार ने इस योजना के लिए पांच वर्षों में 12,600 करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी दी है.

योजना के तहत सोलर पंप सेट्स किसानों को पूरी तरह मुफ्त प्रदान किए जाएंगे.

प्रति यूनिट सोलर पंप की लागत लगभग 6 लाख रुपये आंकी गई है. ये पंप ऑफ-ग्रिड सिस्टम होंगे यानी बिजली के मुख्य नेटवर्क से जुड़े नहीं होंगे. इससे ग्रामीण क्षेत्रों में सिंचाई की समस्या दूर होगी.

योजना 2025-26 से शुरू होकर 2029-30 तक लागू रहेगी.

इससे किसानों को न केवल सिंचाई की सुविधा मिलेगी बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा.

तेलंगाना में अब तक 2,30,735 आदिवासी परिवारों को वन अधिकार अधिनियम के तहत जमीन के मालिकाना हक दिए जा चुके हैं.

इन आदिवासियों के पास कुल ज़मीन लगभग 6.69 लाख एकड़ है. लेकिन बिजली विभाग और वन विभाग की चिंताओं के कारण अब तक मात्र 23,886 किसानों को सिंचाई सुविधा मिल सकी है.

अब मुख्यमंत्री के निर्देश पर इस योजना के जरिए बाकी 2.1 लाख किसानों को भी यह लाभ दिया जाएगा.

बहुविभागीय सहयोग और समग्र विकास की योजना

सरकार का कहना है कि यह योजना केवल सिंचाई तक सीमित नहीं है. इसमें ड्रिप सिंचाई प्रणाली, उच्च गुणवत्ता वाले फलदार पौधों की आपूर्ति और अंतरवर्ती फसलों के माध्यम से किसानों को अंतरिम आय सहायता देने जैसे प्रावधान भी शामिल हैं.

इस योजना को कृषि, उद्यान, जल संसाधन, ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य, ऊर्जा, वन और अन्य संबंधित विभाग मिलकर लागू करेंगे ताकि इसके क्रियान्वयन में किसी तरह की रुकावट न आए.

सरकार ने बताया है कि सभी ज़िलों में PMU स्थापित किए जाएंगे ताकि योजना की निगरानी सही तरीके से हो सके. जिला कलेक्टर इस योजना के क्रियान्वयन के लिए मुख्य अधिकारी होंगे और संबंधित मंत्रियों से अनुमति लेकर आगे की प्रक्रिया पूरी करेंगे.

जिन जिलों में एकीकृत जनजातीय विकास एजेंसी (Integrated Tribal Development Agency) है, वहां प्रोजेक्ट ऑफिसर प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग यूनिट का नेतृत्व करेंगे. बाकी ज़िलों में ज़िला आदिवासी विकास अधिकारी को इसकी ज़िम्मेदारी सौंपी जाएगी.

वन अधिकार अधिनियम की धारा 16 के तहत सरकार के कई विभाग मिलकर आदिवासी किसानों के लिए सिंचाई, भूमि सुधार, मूलभूत सुविधाएं और आजीविका से जुड़ी योजनाएं सुनिश्चित करेंगे.

यह योजना आदिवासी समुदाय के लिए आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्तवपूर्ण पहल है. लेकिन इसका फायदा तभी देखने को मिलेगा जब यह सिर्फ कागज़ों पर नहीं ज़मीन पर भी लागू होगी.

(Image is for representation purpose only)

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