कोयंबटोर के अनामलाई टाइगर रिज़र्व में तनाव की स्थिति पैदा हो गई है और आदिवासियों ने बेदखली अभियान का विरोध शुरू कर दिया है. दरअसल बिजली निषेध और उत्पाद शुल्क मंत्री वी सेंथिल बालाजी द्वारा 7 नवंबर को कादर जनजाति के लगभग 21 परिवारों को उनकी पारंपरिक बस्ती के विकल्प के रूप में पट्टा दिया गया था. जो अगस्त, 2019 में भूस्खलन में नष्ट हो गया था.
पारंपरिक बंदोबस्त से उन्हें बेदखल करने के खिलाफ कई विरोध प्रदर्शनों के बाद पट्टे की उनकी मांग पूरी हुई. इसे आदिवासियों द्वारा अपने भूमि अधिकारों को पुनः प्राप्त करने की दुर्लभ घटनाओं में से एक माना जाता था.
लेकिन उनकी खुशी बहुत कम दिन की थी क्योंकि आदिवासी लोगों द्वारा घर बनाने के प्रयासों का वन विभाग द्वारा कथित तौर पर विरोध किया गया था.
मनमपल्ली वन रेंज अधिकारी ए मणिकंदन ने कहा, “आदिवासियों ने अपने निर्धारित क्षेत्र से आगे वन भूमि पर अतिक्रमण करके पांच झोपड़ियां बनाई थीं. हमने शुक्रवार सुबह सिर्फ एक झोपड़ी हटाई और विरोध के बाद मौके से निकल गए. साथ ही जब हमने उन्हें उनके अतिक्रमण के बारे में समझाने की कोशिश की तो आदिवासी लोगों ने हमें गालियां दीं और हमें अपना काम करने से भी रोका.”
वहीं आदिवासियों ने वन विभाग के कर्मचारियों के साथ बहस में यह दावा किया कि उन्होंने अपनी जमीन में ही घर बनाए हैं. इस मुद्दे को लेकर तनाव बढ़ने पर ग्राम प्रशासनिक अधिकारी विजय अमृतराज और पुलिस के नेतृत्व में अधिकारियों की एक टीम ने घटनास्थल का दौरा किया और जांच की.
राजस्व विभाग के अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने आदिवासियों को दिए गए सही क्षेत्र का पता लगाने के लिए शनिवार को वन भूमि का सर्वेक्षण करने का फैसला किया है. एक अधिकारी ने कहा, “इसके बाद आदिवासी परिवारों को अपना घर बसाने की अनुमति दी जाएगी.”