HomeAdivasi Daily'टोटो' राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू के ख़ास मेहमान होंगे

‘टोटो’ राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू के ख़ास मेहमान होंगे

यह उम्मीद की जानी चाहिए कि दुनिया के सबसे छोटे आदिवासी समुदायों में से एक टोटो के लोग जब राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू से मिलेंगे तो अपने समुदाय की चुनौतियों को उनके सामने रख सकेंगे.

12 जून 2023 को टोटो आदिवासी समुदाय के 10 प्रतिनीधि राष्ट्रपति भवन पहुंचेगे. टोटो आदिवासियों के इन प्रतिनिधियों को राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने बाक़ायदा निमंत्रण भेजा है. यानि वे राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू के औपचारिक मेहमान होंगे. 

पश्चिम बंगल के अलिपुरद्वार के टोटो आदिवासियों में इस खबर से खुशी की लहर है. टोटो आदिवासी समुदाय के बारे में कहा जाता है कि वह दुनिया के सबसे छोटे आदिवासी समुदाय में से एक मानी जाती है. 

इस आदिवासी समुदाय के बारे में बताया जाता है कि उनकी कुल जनसंख्या अब मात्र 1600 रह गई है. सरकार ने इस आदिवासी समुदाय को PVTG (Particularly Vulnerable Tribal Groups) यानि विशेष रूप से पिछड़ी जनजाति की श्रेणी में रखा है.

इस जनजाति की तरफ ज़्यादातर लोगों का ध्यान उस वक्त गया जब इस जनजाति के एक व्यक्ति को पदमश्री अवार्ड दिया गया था. 26 जनवरी 2023 को जब पदमश्री पुरुस्कार दिये गये तो उनमें एक नाम धनीराम टोटो का था.

धनीराम टोटो ने अपने समुदाय की भाषा को बचाने के लिए महत्वपूर्ण काम किया है. उन्होंने अपने समुदाय की लुप्तप्राय भाषा को बचाने के लिए इस भाषा की वर्णमाला तैयार की है. उनके इस काम के लिए उन्हें पदमश्री दिया गया है.

राष्ट्रपति के साथ मुलाक़ात में क्या होगा

टोटो समुदाय के लोग जब राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू से मिलेंगे तो उनसे क्या बातचीत होगी, यह अभी स्पष्ट नहीं है. ज़िला प्रशासन का कहना है कि उन्हें राष्ट्रपति भवन से आदेश मिला था कि इस समुदाय के दस लोगों के नाम भेजे जाएं. 

स्थानीय प्रशासन ने 10 लोगों के नाम फाइनल कर लिये हैं और राष्ट्रपति को भेज दिये हैं. लेकिन राष्ट्रपति भवन की तरफ से इन मेहमानों के साथ किस विषय पर बातचीत होगी इसके बारे में ज़िला प्रशासन को कोई जानकारी नहीं है. 

लेकिन यह उम्मीद की जा सकती है कि इस मुलाकात में राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू इस समुदाय की चुनौतियों को समझना चाहेंगी. मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से यह पता चलता है कि टोटो समुदाय के गांव टोटोपाड़ा में मूलभूत सुविधाओं की कमी है.

टोटो आदिवासी समुदाय के ज़्यादातर लोग दिहाड़ी मज़दूरी करते हैं और उनकी जीविका के कोई स्थाई साधन नहीं हैं. यह भी बताया जाता है कि 1970 में सरकार की तरफ से जो ज़मीन उन्हें दी गई थी, वह भी प्रभावशाली तबके के लोगों ने हड़प ली है.

इस बात में कोई दो राय नहीं हैं कि राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने टोटो समुदाय के प्रतिनीधियों को राष्ट्रपति भवन में आमंत्रित करके एक बार फिर इस समुदाय को कुछ चर्चा मे ज़रूर ला दिया है. लेकिन इस समुदाय की भाषा को बचाने के लिए इससे आगे बढ़ कर काम करने की ज़रूरत होगी.

संविधान में देश के आदिवासी इलाकों और आदिवासी समुदायों के संरक्षण और विकास के लिए राष्ट्रपति और गवर्नर को विशेष अधिकार दिए गए हैं. उम्मीद है कि राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू टोटो आदिवासी समुदाय के इलाके में मूलभूत सुविधाओं को बहाल कराने और जीविका के कुछ स्थाई साधनों के सर्जन के लिए अपने विशेष अधिकारों का इस्तेमाल करने से पीछे नहीं हटेंगी. 

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