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IAS बनना है – मोदी को आदिवासी लड़की ने बताई मन की बात

12वी कक्षा की भारती नारायण रान कातकरी समुदाय से हैं. यह समुदाय आदिवासियों में भी अति पिछड़े हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से बातचीत में कहा कि वे IAS बनना चाहती हैं.

नासिक ज़िले के त्र्यंबकेश्वर तालुका के कावनई गांव से भारती नारायण रान (Bharati Narayan Ran) प्रधानमंत्री मोदी से अपने मन की बात कहने का मौका मिला.
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से कहा कि वे भारतीय प्रशासनिक सेवा की अधिकारी बनना चाहती हैं.

भारती कातकरी समुदाय से है जिसे सरकार ने पीवीटीजी यानि विशेष रुप से पछड़ी जनजाति माना है.

14 वर्षीय भारती नारायण रान ने सोमवार को एक वर्चुअल कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की थी.

भारती नारायण ने कहा कि वह इगतपुरी तालुका (Igatpuri taluka) के एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (Eklavya Model Residential School) में 12वीं कक्षा में पढ़ रही है.

उन्होंने बताया कि उनके समुदाय के बहुत कम छात्र उसके स्कूल में पढ़ते हैं.

भारती ने जब पीएम मोदी से हिंदी और मराठी में बातचीत की तो उसने बुहत आत्मविश्वास से कहा कि वह एक आईएएस अधिकारी बनने की चाहत रखती हैं.

वह जिस गांव से ताल्लुक रखती है वहां पर 163 घर हैं, जिनमें कातकरी समुदाय (Katkari community) के कुल 750 लोग रहते हैं.

इसके अलावा ज़िले में इस समुदाय के लगभग 16,000 आदिवासी रहते हैं. जिनमें से ज्यादातर इगतपुरी (Igatpuri), त्र्यंबकेश्वर (Trimbakeshwar), पेठ तालुका (Peth talukas) में और अन्य नंदगांव तालुका (Nandgaon taluka) में रहते हैं.

बातचीत के दौरान भारती नारायण रान ने बताया कि उनके बड़े चचेरे भाई भाऊसाहेब पांडुरन रान (Bhausaheb Panduran Ran) ने उन्हें पढ़ाई के लिए प्रेरित किया और भारती ने उनसे ही आईएएस अधिकारी बने की प्रेरणा मिली है.

भारती ने पंडाल में अपने माता-पिता एंव ग्रामीणों के सामने प्रधानमंत्री से बातचीत करते हुए कहा की उसके चचेरी बहन भी एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय की छात्रा थी और अब वह आश्रमशाला (Ashramshala) में शिक्षिका है. उसने कहा कि हम समुदाय में विकास देख सकते है.

पीएम मोदी ने भाऊसाहेब रान से भी बात की जिन्होंने कहा कि वह एक शिक्षक बनना चाहते हैं. वह यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि उनके छात्र देश के हर कोने में चमकें, चाहे वे किसी भी समुदाय से हों.

कातकरी आदिवासी

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कातकरी आदिवासी मुख्य रूप से महाराष्ट्र के कुछ ज़िलों के अलावा रायगढ़, पालघर के कुछ हिस्से, रत्नागिरी, ठाणे और इस समुदाय की एक छोटी आबादी गुजरात के कुछ क्षेत्रों में भी निवास करते है.

इस समुदाय के आदिवासी परंपरागत रूप से कत्था बनाते है.

कातकरी समुदाय के आदिवासी कत्था बनाने के अलाव खेति, मजदूरी, जलाऊ लकड़ी और कुछ जंगली फल बेचते हैं.

इसके अलावा इस समुदाय के आदिवासी जलाने के लिए लकड़ी, कृषि से जुड़े सामान बेचने के अलावा घरेलू खपत के लिए मछली पकड़ने, कोयला बनाने और ईंट निर्माण आदि काम भी करते है.

साल 2011 की जनगणना के अनुसार, राज्य के सभी आदिवासी समूहों में कातकरी समुदाय की साक्षरता दर 41.7 प्रतिशत है.

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