HomeAdivasi Dailyकॉलेज दाख़िले में आदिवासी लड़कियों ने मारी बाज़ी, राजस्थान में लड़कों को...

कॉलेज दाख़िले में आदिवासी लड़कियों ने मारी बाज़ी, राजस्थान में लड़कों को पछाड़ा

विशेषज्ञों का कहना है कि राज्य सरकार की नीतियों की वजह से इस तरह का बदलाव आया है. जैसे सिर्फ लड़कियों के कॉलेज खोलना और लड़कियों के लिए मुफ्त शिक्षा, कई तरह की छात्रवृत्ति योजनाएं गेम चेंजर साबित होती हैं.

राजस्थान में अनुसूचित जनजाति की लड़कियों का रुझान उच्च शिक्षा की तरफ बढ़ता दिखाई दे रहा है. इस बात का अंदाजा राज्य के उच्च शिक्षा विभाग की ओर से जारी आंकड़ों से लगाया जा सकता है. यहां लड़कियों ने लड़कों की तुलना में उच्च विकास दर दर्ज की है. आंकड़ों के मुताबिक अनुसूचित जाति के तहत समुदायों ने सबसे अधिक 14.36 फीसदी की वृद्धि दर्ज की है.

उच्च शिक्षा विभाग की रिपोर्ट कहती है कि अनुसूचित जनजाति के अंतर्गत आने वाले समुदाय उच्च शिक्षा संस्थानों में नामांकित प्रत्येक 100 लड़कों पर 115 लड़कियों के साथ लड़कियां की शिक्षा में आगे बढ़ रही हैं. सबसे खराब महिला-पुरुष अनुपात अनुसूचित जाति समुदायों के प्रत्येक 100 लड़कों पर नामांकित 93 लड़कियों का रहा. 2020-21 में इस क्षेत्र में लड़कियों का लड़कों से औसत अनुपात 105:100 था.

रश्मि जैन जो सामजशास्त्र की विभाग प्रमुख है ने कहा, “आंकड़े राज्य में रूढ़िवादी समुदायों की तेज़ी से बदलती मानसिकता को दिखाती है. उच्च नामांकन का अर्थ है उच्च रोजगार के अवसर. हमारे शोध पत्रों में यह साबित होता है कि एक शिक्षित परिवार रूढ़िवादिता को छोड़ देता है, जिससे महिलाओं की मुक्ति के साथ विकास होता है.”

विशेषज्ञों का कहना है कि राज्य सरकार की नीतियों की वजह से इस तरह का बदलाव आया है. जैसे सिर्फ लड़कियों के कॉलेज खोलना और लड़कियों के लिए मुफ्त शिक्षा, कई तरह की छात्रवृत्ति योजनाएं गेम चेंजर साबित होती हैं. 322 सरकारी कॉलेजों में से 60 सिर्फ लड़कियों के कॉलेज हैं. खासकर उन ब्लॉकों में जहां गरीब लड़कियों की शिक्षा के लिए जाने जाने वाले समुदायों का वर्चस्व है.

इस बीच, सामाजिक विज्ञान में उच्च शिक्षा में कुल नामांकन के 66.41 फीसदी के साथ मानविकी का नामांकन में एक बड़ा हिस्सा है. 24.07 फीसदी नामांकन विज्ञान में हुआ है, जबकि वाणिज्य 7.22 फीसदी नामांकन के साथ तीसरे स्थान पर रहा.

लड़कियां तेजी से कानून के क्षेत्र में लड़कों को पीछे छोड़ रही हैं. 2020-21 के शैक्षणिक वर्ष में 18,255 लड़कों ने कानून के लिए नामांकन किया, जबकि 8,319 लड़कियों ने नामांकित किया था. अब लड़कियों के लिए कानून में दाखिला लेना वर्जित नहीं है. यहां तक कि उनका कृषि को चुनना भी आश्चर्यजनक है क्योंकि इसे अभी भी लड़कों का गढ़ माना जाता है. सर्वेक्षण वर्ष में 225 लड़कियों ने डिग्री प्रोग्राम के लिए नामांकन किया, जबकि 505 लड़के थे.

जानकारों का कहना है कि लड़कियां कोरोना महामारी के चलते कॉलेजों में दाखिला लेने से बच रही हैं.  उन्हें कॉलेजों में प्रवेश देने के लिए विशेष प्रावधान किए जाने चाहिए ताकि लड़कियों के अनुपात में और भी इजाफा हो सके. 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments