HomeAdivasi Daily'मारा गया आदिवासी नहीं था माओवादी'

‘मारा गया आदिवासी नहीं था माओवादी’

प्रारंभिक जांच से संकेत मिलता है कि 23 जनवरी को सुरक्षा बलों और माओवादियों के बीच मुठभेड़ के दौरान नुरेती "शायद क्रॉस फायरिंग में मारा गया" था.

छत्तीसगढ़ के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने सोमवार को कहा कि पिछले हफ्ते नारायणपुर जिले में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए 23 वर्षीय एक आदिवासी का माओवादियों से कोई संबंध नहीं था.

उन्होंने यह माना कि आदिवासी आदमी मनु राम नुरेती को पुलिस ने गलत तरीके से माओवादी वर्गीकृत किया था.

बस्तर के पुलिस इंस्पेक्टर जनरल (I-G) सुंदरराज पी ने कहा कि प्रारंभिक जांच से संकेत मिलता है कि 23 जनवरी को सुरक्षा बलों और माओवादियों के बीच मुठभेड़ के दौरान नुरेती “शायद क्रॉस फायरिंग में मारा गया” था.

“प्रारंभिक जांच से पता चला है कि नुरेती अपने तीन दोस्तों के साथ 23 जनवरी की रात जंगल में शिकार के लिए गया था. वे तीन बंदूकें, धनुष और तीर ले जा रहे थे। अचानक, 24 जनवरी को लगभग 1:30 बजे डीआरजी की एक टीम, जो गश्ती ड्यूटी पर थी, और माओवादियों के बीच एक गोलाबारी हुई, जिसमें नुरेती शायद क्रॉस-फायरिंग में मारे गए,” सुंदरराज पी ने सोमवार को जारी एक बयान में कहा.

सुंदरराज का यह बयान नुरेती के परिवार द्वारा पुलिस के उस दावे को चुनौती देने के कुछ दिनों बाद आया है, जिसमें उसने मृतक के माओवादी होने का दावा किया था.

मनु राम नुरेती के भाई, रेणु राम, जो एक आत्मसमर्पण करने वाले माओवादी हैं और जिन्हें गुरिल्लाओं से लड़ने के लिए राज्य के पुलिस जिला रिजर्व गार्ड (DRG) में शामिल किया गया था, ने कहा, “मेरा भाई माओवादी नहीं था. उसने हाल ही में पुलिस बल में भर्ती के लिए भी आवेदन किया था.”

मनु राम की पत्नी मनवती ने कहा कि उनका पति सिर्फ एक गुलेल लेकर पक्षियों का शिकार करने गया था. उन्होंने मीडिया को बताया, “उन्होंने मेरा स्वेटर और चप्पल भी पहना हुआ था, लेकिन पुलिस जो शव दिखा रही है वह वर्दी में राइफल के साथ है.”

सुंदरराज ने कहा कि जांचकर्ताओं ने मुठभेड़ के समय मनु राम नुरेती के साथ आए तीन लोगों के बयान दर्ज किए हैं, जिससे पता चलता है कि नुरेती क्रॉस फायरिंग का शिकार हुआ.

मामले की अलग से मजिस्ट्रियल जांच भी चल रही है.

सोमवार का पुलिस बयान बस्तर के सुकमा जिले में एक पुलिस मुठभेड़ में एक और मौत के एक दिन बाद आया है.

पुलिस के अनुसार, सीआरपीएफ की एक यूनिट, जिला रिजर्व गार्ड और कोबरा (कमांडो बटालियन फॉर रेसोल्यूट एक्शन) की 201 वीं बटालियन की एक संयुक्त टीम रविवार को गश्त लगा रही थी, जब माओवादियों ने तिम्मापुरम गांव के पास गोलियां चलाईं.

पुलिस ने कहा कि गोलीबारी बंद होने के बाद, ‘वर्दी’ में एक पुरुष माओवादी का शव और एक बन्दूक मौके से बरामद की गई.

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