सोमवार को एक आदिवासी संगठन, वलासा आदिवासुलु समाक्या ने राज्यपाल,तमिलिसाई सुंदरराजन से आग्रह किया है कि वे तेलंगाना सरकार को एक समिति स्थापित करने के लिए कहे, जो राज्य की आदिवासी अनुसूची को सुधारने का काम करेगी.
इस बारे में मिली जानकारी के मुताबिक जनजातीय अनुसूची में उन्हें ‘गुट्टी कोया’ के बजाय ‘गुट्टा कोया’ के रूप में सूचीबद्ध किया गया है, जिसे ठीक करने की जरूरत है.
क्योंकि गुट्टी कोया आदिवासी के बच्चों को शिक्षा का आधिकार नहीं मिल रहा है क्योंकि वर्तमान में इनके पास जाति प्रमाण पत्र नहीं है. जिसके कारण इन्हें शिक्षा से संबंधित योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है और न ही कोई और आधिकार इन्हें मिल पा रहे हैं.
राज्यपाल को लिखे पत्र में संगठन के सचिव, वेट्टी बीमा ने बताया कि माओवादी हिंसा से बचने के लिए छत्तीसगढ़ से पलायन करने वाले गुट्टी कोया समुदाय को जनजातीय अनुसूची में गलत नाम से सूचिबद्ध किया गया है. जिसकी वजह से तेलंगाना में गुट्टी कोया को जनजातीय प्रमाण पत्र नहीं मिल रहे हैं.
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा अनुसूचित सूची में आदिवासी समुदाय के नाम सहीं किए थे.
उन्होंने ये भी बताया की हमने छत्तीसगढ़ में यह काम करने वाले लोगों से बात की है और अगर तेलंगाना सरकार को इसकी जरूरत होगी तो उन्हें मार्गदर्शन करने में खुशी होगी.
गुट्टी कोया आदिवासी कौन हैं?
गुट्टा कोया आदिवासी की सबसे आधिक आबादी तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और ओडिशा में रहती है. ये आदिवासी कोया बोलते हैं, जो एक द्रविड़ भाषा है.
गुट्टा कोया मेदाराम गांव में दो साल में एक बार (जनवरी या फरवरी) की पूर्णिमा के दिन सम्मक्का सरलम्मा यात्रा करते है. जो एशिया का सबसे बड़ा आदिवासी त्योहार है.
छत्तीसगढ़ में इन्हें आदिवासी का दर्जा प्राप्त है, लेकिन तेलंगाना जैसे राज्यों में उन्हें अनुसूचित जनजाति का दर्जा नहीं दिया गया है. ऐसा माना जाता है की ये आदिवासी छत्तीसगढ़ के माओवादी प्रभाव के डर से तेलंगाना आए थे.
तेलंगाना में अनुसूचित जनजाति का दर्जा न मिलने की वजह ये भी है की इनका नाम राज्य के अनुसूचित सूची में नाम गलत लिखा है. ऐसा सिर्फ तेलंगाना में नहीं बल्कि देश के अलग अलग राज्यों में किया गया है.