HomeAdivasi Dailyजंगल में बसे आदिवासी बच्चों को स्कूल पहुँचाएगा खाना, केरल में बेहतरीन...

जंगल में बसे आदिवासी बच्चों को स्कूल पहुँचाएगा खाना, केरल में बेहतरीन पहल

परियोजना के तहत, स्थानीय निकायों और गैर सरकारी संगठनों की मदद से स्कूल आदिवासी छात्रों को उनके घर पर ही भोजन उपलब्ध कराएंगे. स्कूल में 40 छात्र हैं और उनमें से 38 आदिवासी समुदायों से हैं. उनमें से अधिकांश मलमपंडारम जनजाति के हैं. 38 आदिवासी समुदायों के छात्रों में से 27 जंगल में बसे गाँवों में रहते हैं.

जंगल में रहने वाले आदिवासी बच्चों के लिए स्कूल में मध्याह्न भोजन कार्यक्रम एक बड़ी राहत रहती है. लेकिन गर्मियों में स्कूल बंद रहता है. लेकिन इस दौरान भी केरल के आदिवासी इलाक़ों के कई स्कूल बच्चों को खाना उपलब्ध करा रहे हैं.

छुट्टियों के दौरान ये स्कूल जंगलों में बसे आदिवासी बच्चों के घर पर खाना पहुँचा रहे हैं. ऐसा ही एक स्कूल रन्नी नाम के गाँव में है. यह आदिवासी स्कूल अगले शैक्षणिक वर्ष के लिए स्कूल के फिर से खुलने तक आदिवासी बच्चों के घरों पर ही दोपहर का भोजन उपलब्ध कराएगा.

रानी-पेरुनाड ग्राम पंचायत के जंगल में स्थित सरकारी जनजातीय स्कूल आदिवासी बच्चों को तीन टाइम खाना दे रहा था. यह आदिवासी छात्रों और उनके परिवारों के लिए एक बड़ी राहत थी. तीन समय अच्छा खाना उपलब्ध होने से छात्रों को स्वस्थ रखा जा सका. 

इस परियोजना को स्कूल अधिकारियों द्वारा ग्राम पंचायत की मदद से क्रियान्वित किया गया था।

छुट्टियों के दौरान आदिवासी बच्चों के स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए, स्कूल ‘काडू अरियुन्नावरुडे वायर एरियाथिरिककुवन’ नामक नई परियोजना के साथ आगे आया है. इस योजना का उद्घाटन 13 अप्रैल को किया जाएगा.

परियोजना के तहत, स्थानीय निकायों और गैर सरकारी संगठनों की मदद से स्कूल आदिवासी छात्रों को उनके घर पर ही भोजन उपलब्ध कराएंगे. स्कूल में 40 छात्र हैं और उनमें से 38 आदिवासी समुदायों से हैं. उनमें से अधिकांश मलमपंडारम जनजाति के हैं. 38 आदिवासी समुदायों के छात्रों में से 27 जंगल में बसे गाँवों में रहते हैं.

स्कूल में हेडमास्टर बीजू थॉमस के अलावा दो शिक्षक सुमेश चंद्र और अभिलाष बी और कार्यालय सहायक विनोद हैं. अब स्कूल में छात्रों की संख्या धीरे धीरे बढ़ रही है. इसलिए अगले शैक्षणिक वर्ष से प्री-प्राइमरी बैच शुरू करने की तैयारी की जा रही है. 

स्कूल ने हाल ही में सुर्खियां बटोरीं क्योंकि इसने जेंडर-न्यूट्रल स्कूल यूनिफॉर्म पेश किया था. स्कूल के हेड मास्टर की ने यह पहल की थी. हेड मास्टर बीजू के अनुसार, उनका देश का पहला आदिवासी स्कूल है जिसने जेंडर-न्यूट्रल स्कूल यूनिफॉर्म पेश किया है.

आदिवासी इलाक़ों में बच्चों को स्कूल तक लाना एक बड़ी चुनौती रहती है. जो बच्चे स्कूल तक आ भी जाते हैं वो पढ़ाई पूरी नहीं कर पाते हैं. ज़्यादातर बच्चे तो प्राइमरी लेवल पर ही ड्रॉप आउट हो जाते हैं. 

स्कूलों में दोपहर का भोजन दिए जाने से आदिवासी माँ बाप बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयार हो जाते हैं. लेकिन केरल के आदिवासी इलाक़ों में कई स्कूल उदाहरण पेश कर रहे हैं. यहाँ के स्टाफ़ की पहल से ग्राम पंचायत भी सहयोग कर रही हैं.

देश के आदिवासी इलाक़ों में चलने वाले स्कूल भी इस तरह की पहल से सीख सकते हैं. 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments