डॉक्टरों द्वारा इलाज माना कर दिए जाने के बाद, एक गर्भवती आदिवासी महिला ने अस्पताल के गेट के बाहर एक बच्ची को जन्म दिया. घटना के बाद अस्पताल के अधीक्षक और एक डॉक्टर को निलंबित कर दिया गया है.
चेंचू जनजाति की महिला का मंगलवार को तेलंगाना के नागरकुरनूल जिले के अचमपेट के एक अस्पताल ने इसलिए इलाज करने से मना कर दिया क्योंकि उसे कोरोनावायरस से संक्रमित पाया गया.
आदिवासी महिला बालमूर मंडल के बनाला की निवासी, निमल्ला लालम्मा है. मंगलवार की सुबह वह अपने तीसरे बच्चे को जन्म देने के लिए अचमपेट के अस्पताल पहुंचीं.
अस्पताल में डॉक्टरों ने उसकी जांच की, और उसे COVID-19 पॉजिटिव पाया. इसके बाद, उसे नागरकुरनूल के सरकारी अस्पताल में रेफर कर दिया गया, लेकिन उसे वहां ले जाने के लिए किसी एम्बुलेंस की व्यवस्था नहीं की गई.
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, गर्भवती महिला को करीब 40 मिनट में प्रसव पीड़ा होने लगी. अपने परिवार की मदद से उसने अस्पताल के गेट के बाहर ही एक बच्ची को जन्म दिया.
यह जानने के बाद कि उसने जन्म दिया है,अस्पताल के कर्मचारी उसे अंदर ले गए. इसके बाद उन्हें एक कमरा दिया गया.
तेलंगाना के मंत्री टी हरीश राव ने घटना को गंभीरता से लिया, जिसके बाद अस्पताल के अधीक्षक और एक डॉक्टर को तेलंगाना वैद्य विधान परिषद (टीवीवीपी) आयुक्त द्वारा निलंबित कर दिया गया.
“सभी सरकारी अस्पतालों को स्पष्ट निर्देश जारी किए गए हैं कि वे गर्भवती महिलाओं को प्रवेश से इनकार न करें, भले ही वे Covid-19 पॉजिटिव हों. यह घटना संबंधित कर्मचारियों द्वारा घोर लापरवाही और नियमों का उल्लंघन है,” अखबार की रिपोर्ट में आयुक्त के हवाले से कहा गया है.
मामले की विस्तृत जांच के निर्देश दिए गए हैं.
(तस्वीर प्रतीकात्मक है.)