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तमिल नाडु में काडर आदिवासियों को पीवीटीजी की सूची में शामिल करने की मांग तेज़

1972 में किए गए एक सरकारी सर्वेक्षण में अनुमान लगाया गया था कि अन्नामलई हिल्स की छह बस्तियों में 168-172 काडर परिवार रह रहे थे. 2011 में एक गैर सरकारी संगठन द्वारा किए गए सर्वेक्षण में 190 परिवारों के यहां रहने का पता चला है. इससे साफ है की पिछले कई दशकों से इन आदिवासियों की आबादी में कोई खास बढ़ोतरी नहीं हुई है.

1972 के बाद से इनकी आबादी में कोई उल्लेखनीय बढ़ोतरी नहीं हुई है, और अब अन्नामलई पहाड़ियों में कुछ दर्जन काडर परिवार ही बचे हैं. ऐसे में आदिवासी अधिकार कार्यकर्ताओं ने तमिल नाडु सरकार से मांग की है कि काडर जनजाति को विशेष रूप से कमजोर आदिवासी समूह यानी पीवीटीजी घोषित कर दिया जाए.

ऐसा करने से उनकी संस्कृति, भाषा, और उनके अस्तित्व की रक्षा की जा सकती है. कार्यकर्ताओं का कहना है कि केरल में काडर आदिवासी PVTG की कैटेगरी में आते हैं. 

पीवीटीजी की सूची में शामिल होने से तमिल नाडु के काडर  आदिवासियों को केंद्र सरकार की विशेष योजनाओं का लाभ मिल सकेगा, और इन्हें बुनियादी सुविधाएं देने में भी आसानी होगी.

1972 में किए गए एक सरकारी सर्वेक्षण में अनुमान लगाया गया था कि अन्नामलई हिल्स की छह बस्तियों में 168-172 काडर परिवार रह रहे थे. 2011 में एक गैर सरकारी संगठन द्वारा किए गए सर्वेक्षण में 190 परिवारों के यहां रहने का पता चला है. इससे साफ है की पिछले कई दशकों से इन आदिवासियों की आबादी में कोई खास बढ़ोतरी नहीं हुई है.

2012 में, 69 परिवार नेदुनकुंडू में रहते थे, और अब यह संख्या घटकर 38 हो गई है. गिरावट की वजह अप्राकृतिक मौतें और  महिलाओं में बढ़ता बांझपन है.

एक एनजीओ द्वारा हाल ही में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि हर चार काडर आदिवासी जोड़ों में से एक निःसंतान है. स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच में कमी और समुदाय के अंदर ही विवाह भी आबादी में बढ़ोतरी न होने की वजहों में शामिल हैं.

आदिवासी कार्यकर्ता और एकता परिषद के राज्य समन्वयक एस धनराज ने न्यू इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “काडर पीवीटीजी की सूची में शामिल होने के लिए सभी मानदंडों को पूरा करते हैं. आबादी कम है और उनका समाज और आदतें पौराणिक हैं. केरल सरकार ने उन्हें पहले ही पीवीटीजी में शामिल किया है. एटीआर में रहने वाले आदिवासी समूह के कई सदस्यों के केरल में रिश्तेदार हैं. इन आदिवासियों के घर राज्य की सीमाओं तक सीमित नहीं हैं,  वे 2,000 साल पहले से पश्चिमी घाट में रह रहे हैं.”

काडर आदिवासियों के अलावा पीवीटीजी के तहत पलियार, मुदुवर मलिमालासर, कनियारकल और पुल्यारकल समुदायों को भी शामिल करने को मांग है.

आदिम जाति कल्याण विभाग के निदेशक राहुल ने अखबार को बताया कि उन्हें अभी तक आधिकारिक तौर पर यह मांग नहीं मिली है. उन्होंने कहा कि आदि द्रविड़ और आदिम जाति कल्याण मंत्री के साथ चर्चा करने के बाद ही इस पर विचार किया जाएगा.

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