HomeAdivasi Dailyयूपी के आदिवासी इलाकों में वैक्सीन पर बात नहीं हो रही है

यूपी के आदिवासी इलाकों में वैक्सीन पर बात नहीं हो रही है

उत्तर प्रदेश के भदोही जिले के वारी गांव के आदिवासी और ओबीसी परिवारों का कहना है कि वो वैक्सीनेशन अभियान के बारे में नहीं जानते

देश में कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए वैक्सीनेशन अभियान जारी है. अब तक 50 करोड़ से अधिक डोजेज लगाई जा चुकी हैं. वर्तमान समय में 18 साल से अधिक उम्र वालों का टीकाकरण किया जा रहा है. लेकिन अभी भी कोरोना वैक्सीन कुछ लोगों की पहुंच से बहुत दूर है.

उत्तर प्रदेश के भदोही जिले के कई ग्रामीणों का यही हाल है. भदोही जिले के लोगों ने इस बात की शिकायत की है कि उनके समुदाय में किसी को भी कोविड वैक्सीनेशन अभियान के बारे में कोई जानकारी नहीं है.

दरअसल भदोही के वारी गांव में करीब 30 आदिवासी और ओबीसी परिवारों का कहना है कि कोरोना वायरस के बारे में जानकारी देने के लिए न तो आशा कार्यकर्ता ने उनसे मुलाकात की और न ही ग्राम प्रधान ने.

यहां रहने वाले लोगों ने रिपोर्टर को बताया कि ज्यादातर ग्रामीण दिहाड़ी मजदूर हैं. महामारी के बाद से उनका काम प्रभावित हुआ है क्योंकि वो खुद को इस वायरस से बचाने के लिए घर के अंदर ही रहते हैं.

गांव के एक मजदूर और दुकानदार जिलाजीत ने कहा, ”मुझे सुविधाओं से संबंधित सवाल क्यों नहीं पूछने चाहिए? आशा कार्यकर्ताओं को हमारे समुदाय के बीच आकर हमें जानकारी देनी चाहिए. उन्हें हमें शिक्षित करना चाहिए ताकि हम आगे बढ़ सकें. अगर कोई सब्सिडी या अन्य सुविधा है तो हमें इसके बारे में भी बताया जाना चाहिए. लेकिन दुर्भाग्य से हमें कुछ भी नहीं मिल रहा है.”

जहां ये सभी परिवार उपेक्षा का आरोप लगा रहे हैं वहीं आशा कार्यकर्ताओं और ग्राम प्रधान का दावा है कि बार-बार कोशिश करने के बावजूद समुदाय हमारी बात नहीं मानता है. आशा कार्यकर्ता का कहना है कि हम थक चुके हैं, वो हमारी बात नहीं सुनते.

न्यूज वेबसाइट द क्विंट ने दो आशा (मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता) कार्यकर्ताओं से बात की. उन्होंने बताया कि वो समुदाय के लोगों को समझा-समझा कर थक चुके हैं. एक आशा कार्यकर्ता ने कहा कि ये लोग हमारी बात मानने से इनकार कर देते हैं.

आशा कार्यकर्ता हंसा देवी कहती है, ”हम कई बार मुसहर समुदाय के बीच गए और उन्हें वैक्सीन से जुड़ी जानकारी दी लेकिन वे सुनते ही नहीं हैं. उन्हें लगता है कि वैक्सीन से उनकी मौत हो जाएगी. वो कहते हैं कि उन्हें राशन नहीं चाहिए. वो कुछ नहीं सुनते. हम थक गए हैं. एएनएम कार्यकर्ता, अधिकारी और ग्राम प्रधान उनसे बात करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन वो किसी की भी नहीं सुनते. वो हमें देखकर अपने दरवाजे बंद कर लेते हैं.”

वहीं ग्राम प्रधान विपिन सिंह का कहना है कि आधार कार्ड नहीं होने की वजह से भी लोग वैक्सीन लगवाने से मना कर रहे हैं. विपिन सिंह ने कहा, ”यहां दो-तीन मुसहर समुदाय हैं और आशा कार्यकर्ता इन सबके पास गई हैं. यहां तक मैं भी वहां गया था और उनसे वैक्सीन लेने के लिए कहा था.”

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) गांव से तीन किमी दूर है. भदोही में 21 सरकारी वैक्सीनेशन सेंटर हैं (CoWIN डैशबोर्ड में मिली जानकारी के मुताबिक). इसके अलावा वैक्सीनेशन से जुड़े अभियान अलग से भी आयोजित किए जाते हैं.

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