HomeAdivasi Dailyदो आदिवासी लड़कियों ने लिखी अपनी सफलता की कहानी

दो आदिवासी लड़कियों ने लिखी अपनी सफलता की कहानी

एकीकृत जनजातीय विकास एजेंसी (आईटीडीए) के परियोजना अधिकारी आर गोपाल कृष्ण ने शुक्रवार (8 अक्टूबर) को दोनों डॉक्टरों को नियुक्ति पत्र (Appointment Letters) सौंपे, और उन्होंने शनिवार से ड्यूटी जॉइन की है.

स्पेशलिस्ट डॉक्टर बनीं आंध्र प्रदेश के पडेरू मंडल की दो आदिवासी लड़कियां अब विशाखापत्तनम एजेंसी इलाक़े के कई युवाओं के लिए प्रेरणा हैं. माओवादी प्रभावित इलाक़े में जन्मी और दुर्गम आदिवासी बस्तियों में पली-बढ़ीं इन दोनों लड़कियों को उनकी परिस्थितियों ने बड़े सपने देखने से नहीं रोका.

दोनों को अब पडेरू सरकारी अस्पताल में ही पोस्टिंग मिली है – एक बाल रोग विशेषज्ञ हैं, और एक स्त्री रोग विशेषज्ञ. दोनों लगभग ₹ 2 लाख का वेतन घर ले जाएंगी.

एल. नीरजा, जो पडेरू मंडल के लगिसिपल्ले गांव की रहने वाली हैं, ने रंगराय मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की है और आंध्र मेडिकल कॉलेज (2018-21) से एमडी (बाल रोग).

एस. प्रवीना पडेरू मंडल के पी. गोंडुरू गांव की रहने वाली हैं. उन्होंने आंध्र मेडिकल कॉलेज (एएमसी) से एमबीबीएस किया और महारानी मेडिकल कॉलेज, छत्तीसगढ़ से गायनकोलॉजी में एमडी की पढ़ाई की.

डॉ नीरजा ने द हिंदू को बताया, “बचपन से ही मेरा डॉक्टर बनने का सपना था. रेडियोलॉजी के लिए जाने का विकल्प होने के बावजूद, मैंने अपने पीजी में पीडियाट्रिक्स को चुना. मैंने एजेंसी इलाक़े में कई बच्चों को मरते देखा है. इसलिए मैं एक बाल रोग विशेषज्ञ ही बनना चाहती थी, ताकि मैं अपने लोगों की सेवा कर सकूं.”

नीरजा ने दसवीं कक्षा तक की पढ़ाई पडेरू में की, और फिर आगे की शिक्षा के लिए वो वहां से बाहर चली गईं.

एकीकृत जनजातीय विकास एजेंसी (आईटीडीए) के परियोजना अधिकारी आर गोपाल कृष्ण ने शुक्रवार (8 अक्टूबर) को दोनों डॉक्टरों को नियुक्ति पत्र (Appointment Letters) सौंपे, और उन्होंने शनिवार से ड्यूटी जॉइन की है.

“मैंने आदिवासी इलाकों से एमबीबीएस डॉक्टरों को बाहर आते देखा है. लेकिन शायद यह पहली बार है कि एजेंसी इलाक़े से स्पेशलिस्ट डॉक्टर निकल रहे हैं. इन्हें Appointment Letter देते हुए मुझे बहुत खुशी हुई,” गोपाल कृष्ण ने कहा.

उन्हें उम्मीद है कि इन दोनों डॉक्टरों की कामयाबी दूसरे युवाओं, ख़ासकर एजेंसी इलाक़े की लड़कियों को सपने देखने और उन्हें पूरा करने के लिए प्रोत्साहित करेगी.

एजेंसी इलाक़ों में काम करने को तैयार डॉक्टरों की भारी कमी है. ज़्यादातर डॉक्टर इमरजेंसी में या चौबीसों घंटे की सेवा के अलावा इन दुर्गम इलाक़ों में जाने से कतराते हैं. लेकिन यह दोनों नए डॉक्टर ज़मीनी हकीकत से अच्छी तरह से वाकिफ़ हैं. ऐसे में दोनों ने जिम्मेदारी ले ली है, और यहां काम करने के लिए काफी उत्साहित हैं.

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