महाराष्ट्र के नासिक जिले के डिंडोरी रोड़ पर स्थित एक आदिवासी छात्रावास में रहने वाली छात्राओं को दूसरे छात्रावास भेजने की तैयारी की जा रही है. लेकिन यहां रहने वाली छात्राएं इस फैसले से खुश नहीं हैं.
इन छात्राओं को अमृतधाम के एक छात्रावास में स्थानांतरित करने की योजना बनाई जा रही है. ये छात्राएं अमृतधाम स्थित हॉस्टल में नहीं जाना चाहती हैं.
क्यों नहीं जाना चाहती अमृतधाम छात्रावास?
इन छात्राओं ने अमृतधाम स्थित छात्रावास न जाने के पीछे सुरक्षा संबंधी तर्क दिया है. इन छात्राओं का कहना है कि वे किसी और छात्रावास जाने के लिए तैयार हैं लेकिन अमृतधाम नहीं. यहां भेजे जाने के विरोध में इन छात्राओं ने कड़ी आपत्ति जताई है.
अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद ने भी छात्राओं को असुरक्षित स्थान पर ले जाने पर विरोध जताया है और चेतावनी दी है.
पिछले साल भी अमृतधाम क्षेत्र के छात्रावास में एक छात्रा के साथ छेड़छाड़ की घटना सामने आई थी. परिषद ने इसी घटना का हवाला देते हुए कहा कि इस घटना से छात्राओं में डर का माहौल है.
परिषद ने चिंता व्यक्त करते हुए सवाल किया है कि अगर भविष्य में कोई दुर्घटना हो जाती है तो इसके लिए कौन ज़िम्मेदार होगा.
परिषद ने तर्क दिया कि दूरदराज के आदिवासी क्षेत्रों से शिक्षा के लिए यहां आईं छात्राओं को इस छात्रावास से कॉलेज तक ले जाने के लिए कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है.
इस विरोध के बाद अधिकारियों को छात्राओं को स्थानांतरित करने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है.
क्यों पड़ी छात्राओं को स्थानांतरित करने की ज़रूरत?
डिंडोरी रोड पर स्थित जिस इमारत में यह छात्रावास बना है, न तो वह इमारत सरकार की है और न ही वह ज़मीन. ये छात्रावास नासिक एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना कार्यालय द्वारा पट्टे पर ली गई एक इमारत में स्थापित किया गया था.
इस छात्रावास में 90 छात्राओं के रहने की व्यवस्था की गई थी.
हालांकि अब प्रशासन को छात्राओं को दूसरी जगह भेजकर इस इमारत को खाली करने का फैसला लेना पड़ा क्योंकि इस ज़मीन के मालिक जमींदार ने उन्हें इस इमारत को ध्वस्त करने का निर्देश दिया है.
इस मामले में महाराष्ट्र के जनजातीय अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान (Tribal Research and Training Institute) के ज्वाइंट कमिश्न (Joint Commissioner) संदीप गोलाइत को विभिन्न मांगों का एक ज्ञापन सौंपा गया है.