लोकसभा चुनाव अब आखिरी चरण में है. सात में से छह चरणों की वोटिंग हो चुकी है, अब बाकी है सिर्फ 1 जून का आखिरी चरण. इसके बाद 4 जून को तय होगा कि देश की जनता ने लोकतंत्र की सबसे ऊंची कुर्सी पर बैठने का जनादेश किस के पक्ष में दिया है.
लोकसभा चुनाव के सातवें और आखिरी चरण में कुल 57 सीटों में बिहार की आठ सीटें, हिमाचल की 4 सीटें, झारखंड की 3 सीटें, ओडिशा की 6 सीटें, पंजाब की 13 सीटें, बंगाल की 9, चंडीगढ़ की एक सीट पर मतदान होगा.
लोकसभा की इन 57 सीटों में 3 आदिवासी आरक्षित सीटें भी शामिल है. जिसमें झारखंड की राजमहल और दुमका सीट और ओडिशा की मयूरभंज सीट शामिल है. इन सीटों पर जमकर चुनाव प्रचार हो रहा है.
इस बीच झारखंड के राजमहल संसदीय क्षेत्र से झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) प्रत्याशी विजय कुमार हांसदा के समर्थन में आयोजित सभा को संबोधित करते हुए पार्टी नेता कल्पना सोरेन ने सोमवार को साहिबगंज जिले के पटना क्षेत्र में एक रैली के दौरान कहा कि कोई भी राजनीतिक लहर राजमहल में JMM की मजबूत नींव को प्रभावित नहीं करेगी क्योंकि पूर्वजों के खून ने इसे मजबूत किया है.
कल्पना सोरेन ने कहा, “चाहे वह 2014 या 2019 की अखिल भारतीय राजनीतिक (मोदी) लहर थी, इसका राजमहल पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा क्योंकि किसी ने भी हमसे सिंहासन छीनने की हिम्मत नहीं की और हमें विश्वास है कि आपके प्यार और सम्मान के कारण हमें फिर से आपका आशीर्वाद मिलेगा. दिशोम गुरु.”
हांसदा ने 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी के हेमलाल मुर्मू को 98 हज़ार से ज्यादा वोटों से हराया था.
दरअसल, कल्पना संथाल परगना क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों में प्रचार कर रही हैं, जहां तीन संसदीय क्षेत्रों, दुमका, गोड्डा और राजमहल के लिए लोकसभा चुनाव का आखिरी चरण 1 जून को होना है.
इससे पहले रविवार को साहिबगंज के बरहेट के संजोरी मैदान में एक राजनीतिक रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था, “दिल्ली सरकार ने चुनाव से ठीक पहले आपके बेटे हेमंत सोरेन को जेल भेजने की साजिश रची है लेकिन वे गलती कर रहे हैं. हालांकि एक शरीर को जेल भेजा जा सकता है, एक विचार, एक विचारधारा को सलाखों के पीछे नहीं डाला जा सकता. अब आम जनता हेमंत सोरेन के पक्ष में लड़ाई लड़ रही है.”
कल्पना ने कहा कि लोग केंद्र में “घमंडी और निरंकुश सरकार” को दिखा देंगे कि निर्दोष आदिवासी लोगों को भोला मानने की उनकी धारणा गलत है.
कल्पना ने कहा, “वैसे आदिवासी बहुत अच्छा बोलते हैं लेकिन चुनौती मिलने पर वे अपने अधिकार छीनना भी जानते हैं. हम आदिवासी लोग किसी भी ताकत के सामने झुकने वाले नहीं हैं, चाहे वह कोई भी हो क्योंकि संघर्ष से लड़ने की ताकत हमें अपने पूर्वजों से विरासत में मिली है.”
उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन ने धरती के सच्चे पुत्र होने के नाते, भारतीय जनता पार्टी (BJP) द्वारा धमकाया जाना स्वीकार नहीं किया और लड़ने का फैसला किया.
कल्पना ने कहा, “भाजपा ने 2014 के चुनावों से पहले बड़े-बड़े दावे किए थे कि वे हर साल 20 मिलियन की दर से लोगों को नौकरियां प्रदान करेंगे, किसानों की आय बढ़ाएंगे और काले धन को वापस लाकर आम लोगों के खाते में 15 लाख जमा करेंगे. लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया लोगों को पता चला कि ये सभी दावे महज एक राजनीतिक नौटंकी थे और कुछ नहीं. इस सबके बजाय वे महंगाई, बेरोजगारी आदि का सामना करने के लिए मजबूर हैं.”