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हिमाचल में चुनाव अधिसूचना से पहले हाटी समुदाय को मिलेगा जनजाति का दर्जा ?

हाटी समुदाय के नेताओं ने भी यह भाँप लिया है कि चुनाव ले पहले ही बीजेपी पर दबाव बना कर यह माँग पूरी कराई जा सकती है. इसलिए इस समुदाय के संगठन ने यह ऐलान किया था कि अगर उन्हें जनजाति का दर्जा नहीं मिलता है तो फिर इस इलाक़े के लोग सत्ताधारी दल का विरोध करेंगे.

हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के सिरमौर ज़िले के गिरीपार क्षेत्र (Trans-Giri area) में रहने वाले हाटी समुदाय को जल्दी ही जनजाति का दर्जा मिलेगा. यह ऐलान भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा (JP Nadda) ने किया है. बीजेपी अध्यक्ष नड्डा पार्टी के हिमाचल प्रदेश नेताओं को संबोधित कर रहे थे.

एक लंबे इंतजार के बाद हिमाचल प्रदेश में हाटी समुदाय को जल्दी ही जनजातीय का दर्जा मिलने की उम्मीद बढ़ी है. मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने भी हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा देने के मुद्दे  को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के समक्ष उठाया है. जिसके बाद उन्हें आश्वासन दिया गया कि इस मामले पर जल्द ही अंतिम फैसला लिया जाएगा.

सीएम जय राम ठाकुर ने पिछले महीने चंडीगढ़ में आयोजित मादक पदार्थों की तस्करी और राष्ट्रीय सुरक्षा पर सम्मेलन के बाद केंद्रीय गृह मंत्री के साथ सिरमौर ज़िले के हाटी समुदाय को आदिवासी का दर्जा देने के संबंध में विस्तृत चर्चा की.

मुख्यमंत्री ने कहा था कि केंद्रीय मंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया कि सरकार जल्द ही हाटी समुदाय के व्यापक हित में इस मुद्दे पर अंतिम फैसला करेगी.

जय राम ठाकुर ने यह भी कहा था कि वह उम्मीद कर रहे हैं कि केंद्र सरकार जल्द ही हाटी समुदाय को आदिवासी का दर्जा देगी और इस समुदाय की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करेगी. सीएम ने कहा कि उन्होंने इस संबंध में केंद्रीय समाज कल्याण मंत्री से भी चर्चा की है.

चुनाव से पहले बीजेपी वादा पूरा करना चाहेगी

हिमाचल प्रदेश में अगले दो-तीन महीने के भीतर ही विधान सभा के चुनाव होंगे. पिछले विधान सभा चुनाव के घोषणा पत्र में पार्टी ने यह वादा किया था कि वो हाटी समुदाय को जनजाति का दर्जा देगी. 

हाटी समुदाय के नेताओं ने भी यह भाँप लिया है कि चुनाव ले पहले ही बीजेपी पर दबाव बना कर यह माँग पूरी कराई जा सकती है. इसलिए इस समुदाय के संगठन ने यह ऐलान किया था कि अगर उन्हें जनजाति का दर्जा नहीं मिलता है तो फिर इस इलाक़े के लोग सत्ताधारी दल का विरोध करेंगे.

जयराम ठाकुर भी अमित शाह से इस सिलसिले में दो बार बात कर चुके हैं

अभी तक केन्द्र सरकार से भी जो संकेत मिले हैं उनसे लगता है कि अब हाटी समुदाय को जनजाति का दर्जा दिए जाने का फ़ैसला कर लिया गया है. हालाँकि सिरमौर के दलित संगठन हाटी समुदाय को जनजाति का दर्जा दिए जाने का विरोध भी कर रहे हैं. दलित संगठनों का कहना है कि रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया पहले दो बार हाटी समुदाय को जनजाति का दर्जा देने के प्रस्तावित आधारों को ख़ारिज कर चुका है. 

क्या है पूरा मामला

दरअसल गिरीपार क्षेत्र के हाटी समुदाय के लोगों की ओर से जनजाति क्षेत्र घोषित करने की मांग हिमाचल प्रदेश के पूर्ण राज्य बनने से पहले 1967 से ही उठ रही थी. फिर 1983 में इसके लिए केंद्रीय हाटी समिति को पंजीकृत किया गया और इसके बाद इसकी मांग पुरजोर तरीके से उठने लगी.

हालांकि इसके बाद कई सरकारें आई और सभी सरकारों की ओर से हाटी समुदाय को जनजातीय घोषित करने का समर्थन मिलता रहा. साल 2009 में बीजेपी की ओर से हाटी समुदाय को जनजातीय घोषित करने के मामले को अपने घोषणापत्र में भी शामिल किया गया था.

इसके बाद साल 2014 में वर्तमान में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने सिरमौर जिला के दौरे के दौरान हाटी समुदाय को जनजाति का दर्जा दिलाने की घोषणा की थी. वहीं पिछले चार वर्षों में इस मामले में तेज़ी देखी गई और केंद्रीय हाटी समिति, स्थानीय सांसद और मुख्यमंत्री की अगुवाई में कई दल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री से मिले और इस मामले में तेज़ी लाने की मांग समय-समय पर उठाते रहे.

2011 की जनगणना के अनुसार हिमाचल प्रदेश में जनजातीय लोगों की कुल जनसंख्या 3 लाख 92 हज़ार 126 है जो प्रदेश की कुल जनसंख्या का 5.7 फीसदी है. जनजातीय क्षेत्र की बात की जाए तो हिमाचल प्रदेश के कुल क्षेत्र 55673 वर्ग किलोमीटर में से 23655 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र आता है जो कुल क्षेत्रफल का 42.49 फीसदी है.

हिमाचल प्रदेश में अभी तक 10 जातियों- भोट, गद्दी, गुजर, लाहौला, स्वांगला, बेडा, किन्नौरा और लांबा को जनजाति का दर्जा दिया गया है.

इसी का नतीजा है कि अब गिरीपार के क्षेत्र को जनजातीय क्षेत्र घोषित करने की जल्द ही घोषणा होने की आस हाटी समुदाय के लोग लगाए बैठे हैं. हाटी समुदाय लोग आस लगाए बैठें हैं कि गिरीपार क्षेत्र को अनुसूचित जनजाति क्षेत्र घोषित करने के लिए सभी औपचारिकताएं पूरी हो चुकी हैं और संसद के इस मानसून सत्र में उन्हें यह दर्जा दिया जा सकता है.

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