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नागा महिला आरक्षण की लड़ाई लड़ने वाली ‘नागा मदर्स एसोसिएशन’ को ठिकाने लगाने की कोशिश

मदर्स एसोसिएशन ने राज्य में स्थानी निकायों और नगर निगम चुनाव में महिलाओं के आरक्षण की मांग के लिए अदालतों और लोगों के बीच लंबी लड़ाई लड़ी है.

नागालैंड में स्थानीय निकायों और नगर निगम चुनाव में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण की लड़ाई चलाने वाले संगठन नागा मदर्स एसोसिएशन को राज्य में पूरी तरह से किनारे करने का प्रयास चल रहा है.

राज्य के मजबूत और ताकतवर जनजातीय संगठन एक बार फिर स्थानीय निकायों और नगर निगम चुनाव में महिलाओं के लिए आरक्षण के खिलाफ खड़े हो गए हैं.

नागालैंड में नागा मदर्स एसोसिएशन भी एक बड़ा और प्रभावशाली संगठन रहा है. पिछले सप्ताह इस संगठन ने राज्य सरकार की आलोचना की थी. राज्य सरकार ने 28 मार्च को नागालैंड म्युनसिपल एक्ट 2001 को निरस्त कर दिया था. 

सरकार के इस कदम की आलोचना के बाद मदर्स एसोसिएशन राज्य के जनजातीय संगठनों के निशाने पर आ गया है. इन संगठनों ने राज्य सरकार और आदिवासी समुदायों से कहा है कि वे इस महिला संगठन से दूरी बना कर रखें. सुप्रीम कोर्ट ने 5 अप्रैल को राज्य सरकार के कदम पर रोक लगा दी थी. 

इसके बाद तो राज्य के शीर्ष आदिवासी संगठन और ज़्यादा ख़फा हो गए हैं. मदर्स एसोसिएशन ने राज्य में स्थानी निकायों और नगर निगम चुनाव में महिलाओं के आरक्षण की मांग के लिए अदालतों और लोगों के बीच लंबी लड़ाई लड़ी है.

1992 के संविधान संशोधन के अनुसार नागालैंड में भी साल 2006 में म्युनसिपल एक्ट में भी इस प्रावधान को शामिल कर लिया गया था. 

लेकिन महिलाओं को नगर निगम और स्थानीय निकायों के चुनावों में 33 प्रतिशत आरक्षण के प्रावधान के बाद राज्य में आदिवासी संगठनों ने ज़बरदस्त विरोध किया. इसके बाद साल 2009 में राज्य सरकार ने साल 2010 के नगर निगम चुनाव रद्द कर दिये. 

2011 में नागा मदर्स एसोसिएशन ने गुवाहाटी हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. इसी साल महिला आरक्षण के लिए इस संगठन की की नेताओं ने एक ज्वाइंट एक्शन कमेटी का गठन भी किया था.

हाईकोर्ट ने उसी साल सरकार को आदेश दिया कि राज्य में नगर निगम के चुनाव कराए जाएं. लेकिन सरकार ने साल 2012 ने विधान सभा में एक महिला आरक्षण को रद्द करने का एक प्रस्ताव पास कर दिया. 

इसके बाद नागा मदर्स एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में एक विशेष याचिका (special leave petition) दायर की थी. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने साल 2017 में राज्य में महिला आरक्षण के साथ चुनाव कराने का आदेश जारी किया.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राज्य सरकार ने एक बार फिर से राज्य में नगर निगम चुनाव की घोषणा कर दी.

लेकिन राज्य में इसके खिलाफ जबरदस्त आंदोलन और हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए. इसके बाद ये चुनाव एक बार फिर टल गए.

लेकिन ऐसा लग रहा था कि इस साल यानि 2023 में अंतत ये चुनाव हो जाएंगे. चुनाव आयोग ने चुनावों की तारीख सहित पूरा चुनाव कार्यक्रम घोषित कर दिया था.

लेकिन ये चुनाव हो पाते इससे पहले ही राज्य सरकार ने एक बिल पास कर नागालैंड म्युनसिपल एक्ट को ही खारिज कर दिया. इसके बाद राज्य में इस साल नगर निकायों के चुनाव की जो उम्मीद बंधी थी वो पूरी तरह से टूट गई. 

नागालैंड के जनजातीय समुदाय के शीर्ष संगठनों का कहना है कि नगर निकायों में महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था उनके कस्टमरी लॉ और संविधान के आर्टिकल 371(A) का उल्लंघन है. 

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