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मध्य प्रदेश के शिवपुरी में 3 आदिवासी बच्चों की मौत, बुख़ार और उल्टी की शिकायत थी

अभी तक पूरे मामले में जो तथ्य सामने आए हैं उसके अनुसार प्रशासन ने रैपिड एटिंजन सैंपल भी लिए थे. इसमें कोविड रिपोर्ट नेगेटिव आई थी. इसके बाद इन बच्चों का RT-PCR सैंपल भी लिया गया हैं.

मध्यप्रदेश के शिवपुरी से आदिवासी बच्चों की मौत के कई मामले सामने आए हैं. ख़बरों के अनुसार कोलारस थाना क्षेत्र के आदिवासी बाहुल्य बैरसिया में 24 घंटे में तीन बच्चों ने दम तोड़ दिया. 

इसके अलावा तीन और बच्चों की हालत गंभीर बताई जा रही है. मौत का अभी कोई ठीक ठीक कारण नहीं बताया गया है. 

अभी तक जो पता चला है उसके अनुसार बच्चों को हल्का बुख़ार और उल्टी आने के बाद उनकी मौत हो गई थी. प्रशासन की टीम ने गाँव में पहुँच कर कोविड 19 के सैंपल भी जमा किए हैं.

हालाँकि अभी तक इन सैंपल की जाँच रिपोर्ट नहीं आई है.

प्रशासन की तरफ़ से अभी तक इस मामले में कोई बयान या जानकारी नहीं दी गई है.

इस बीच कुछ लोगों ने अफ़वाहें फैलाना भी शुरू कर दिया है. कहा जा रहा है कि शुक्रवार को एक फेरी वाला तरबूज बेच रहा था.

बच्चों ने उसी से तरबूज खरीद कर खाया था.  इसके बाद से उनकी तबीयत बिगड़ने लगी।

जिन बच्चों की मौत हुई है उनमें 12 वर्षीय नीलम पुत्री हक्के आदिवासी और चार वर्षीय प्रियंका पुत्री सुखदेव की मौत हो गई.

गांव में ही तीन और बच्चों की हालात खराब बताई जा रही है. आठ वर्षीय चमेली पुत्री शिवचरण आदिवासी, राखी पुत्री राजमल, सागर पुत्री राजमल, करनू आदिवासी को लेकर कोलारस स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे.

12 वर्षीय नीलम पुत्री हक्के आदिवासी को ज़िला अस्पताल रेफर कर दिया गया था. लेकिन अस्पताल पहुँचने से पहले ही रास्ते में उसकी मौत हो गई. 

अभी तक पूरे मामले में जो तथ्य सामने आए हैं उसके अनुसार प्रशासन ने रैपिड एटिंजन सैंपल भी लिए थे. इसमें कोविड रिपोर्ट नेगेटिव आई थी. इसके बाद इन बच्चों का RT-PCR सैंपल भी लिया गया हैं. 

इस टेस्ट की रिपोर्ट आनी अभी बाक़ी है. गाँव में लोगों में दहशत और भ्रम का माहौल है. इस तरह की स्थिति में कई बार लोग फेरी लगाने वालों के ख़िलाफ़ हिंसा भी कर बैठते हैं.

इसलिए यह बेहद ज़रूरी है कि प्रशासन गाँव वालों को समझाए कि ऐसी अफ़वाहों पर ध्यान ना दिया जाए. इसके साथ ही बच्चों की मौत के कारणों का जल्दी से जल्दी पता लगाया जाए.

बच्चों की मौत के कारणों का पता लगाने में देरी, गाँव और इलाक़े के दूसरे बच्चों को भी ख़तरे में डाल सकती है. अफ़सोस की बात ये है कि कोविड -19 के प्रकोप की  वजह से पहले से ही कमज़ोर स्वास्थ्य सेवाओं पर ज़बरदस्त दबाव है. 

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